পাতা:বিশ্বকোষ ত্রয়োদশ খণ্ড.djvu/৬৮২

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মগ ] همطنئ . % 露臂x3 ५उडिग्न छाशद्र यत्रzषचईौब गूबांबs इन चणि नेिब्रा থাকে। - এতোক গ্রামে মগংেশীয় পূজাজত এৰট'সেৰাখোল' আমাদের পঞ্চালনাতলা ভার)• ৰাছে। এগুণে শিক্ষালব্ধ ৰক্ষাগণ পৌত্তলিকতা লিঙ্গন জিয়া ৰৌদ্ধধৰ্ম্মৱ ৰিষ্কারकtझ बrमानिtदवं कब्रिग्रांदइ । डीशांब्र इक्विनईौéरबद्र अछूकब्रहण ८षाण कब्रडॉण बाजांहेही बूक-नकैौखैम छद्धिंरक जांब्रख कब्रिद्राएइ । डॉशरमन्न cयोच नूछाहिठ ब्रां७णैोभनं वशछर्दीबउ अरुणषबै कब्रिङ्ग थाप्क । श्वेशब्र बखक जू७म ७ इब्रिञ्जाब्रडिज़ कां★♚ग्नेिथॉन कहद्र ? फेहीरन्नम्र श्रोजणैौब्र ** थ८७ $श्रेिछ । ¢पछह cषणां »२ छैग्न मूंटर्स छांशंहः ग५ ७ डिांजकूछे चाठौड किङ्करे cमदन করে না। প্রতিবৎসর আষাঢ়ী পুদিন পর্যন্ত ভাষার শ্যা श्रृंद्रिक्वांछ म कहिीं छझेब्रां ॐांकिदृङ बांश इङ् । ब्रग्रन्द्राननर्भीक्रांalइनंकीtण गतोह कॉण**बtनङ्ग' (अंॉबरजंब्र) इहब वरैिक 1 कथम कषब जारीब्र क्वीविक कल७ बककर्ष अवणक्रम श्वङ्गभूटश् अछिदांश्डि काइ १ *८इ शब्रिजांचखिल वांग भब्रिउाभभूर्तक श्रृंप्र ७ िडाणड रहेब्र विदाइ वज्ञान अवरु हय । ५हे णमरइ छहांझ cबां#क जीrम बिय्षबिछ इहेब्र शांtक । ब्रांeर्जीर्णन श्रृंग्रह न षोंकिब्र अॉइ३ ‘किङ्गांश्’ अभिक डजनांनcा कांणवां*म काब्र । ॐrछाक &jीएकई áजयांनिभcभग्न बारह ब्रचिठ dहेक्रण ७क ५कन्नै किडt१ श्रांप्रक् । ফাগুণী-পুয়োছিত্বগণের মধ্যে চাৰিটী ৱিড়ির শ্রেণী জাছে, ५ बश्t८षङ्गि ( षट्संवेिश्ब्र), १ श्tक्षिांवि।। { शtश्विद्म ), ५ •अङ्गन (केन्मन्यन्) स महेनॉन्न वी चंब८मङ्ग (बांधrर्थक) शिकीर्थ *भएभङ्ग निकछे इहेtड भोईौह श्रकूनॆणन ७ खांtनांइकि दाग्ना cणांdस क्लभ*: धहtrधं८ब्रt *tर्ष ॐझपछ हद्देरड *ोहम्न । क्ङबाधाभन्न क७को अविक cश्रमलिङ्ग थारश्। थे ग०ण धमिरा बाधीशूर्णिया ७ बिबूल नष्क्रांखि ऋिन बश cभणी दछ । हामैौद्ध श्मूि ७ यूनणयांनभंन बै बकिरद्ध द्वांछि छाडिाग्न ८मा ७द९ श्रृंछमा ७ेणीबी विद्रl cक्दफोक्न अछिड़ुक्न कब्रिछ। थार्क। निरङ्ग थाम, जाम, cनबभूखि ७ फे९मदबिन डिथिङ स्टेश - ६{{कt1 গ্রীষ dुखी *कशिभ পটিয়৷ cदीभtइं★t জুড়াগোঁসাই মীপূর্ণিয়।। $o চক্ৰশীল৷ ফাচি{ চৈত্রসঙ্গেরি। હો উমাইনপুৰ पूकनर ਾ- শস্ত্ৰত্নে

  • चबौ९ ककwरिष्ठ भूबॉब कॉन विहेि इन।

ক্ষেতা পৰ্ব্বনি । গ্রাম והצוא• ও চাইদানি }ਂ •ुङ्ग अङ्कजा, সত্যসিংহ 鑒 বৈশাখীপূর্ণিম। . ब्राँ¥जांब शृ९मां চুলগুলি আীপুর্ণনা। । পাহাড়তলীর তিনটা মন্দিরেই শাক্যবুদ্ধের বৃহদাকার প্রতিমূৰ্ত্তি স্থাপিত। মুষ্ঠিত্রশ্নের ৯টা মাণিকচেরীয় সামস্ত মানরাজের এবং অপর দুইটা বক্রয়া-কুলোদ্ভব কালীচরণ মুৎসুদী ও মোহন সিংহ মুবাদারের বিনির্মিত। সাধারণের বিশ্বাস, চক্রশালায় বুদ্ধ আসিয়াছিলেন, এইজন্ত অনেক ফরাচিন তীর্থে যুদ্ধপদ দর্শনে গমন করিয়া থাকে। কেহ কেছ চঞ্জনাথ শৈলেও সীতাকুগুস্থ বুদ্ধপদদর্শনে জালিয়া থাকে। । জপর তীর্থগুলি অপেক্ষাকৃত আধুনিক কালে গঠিত। মাঘীপূর্ণিমা ও বিষুবসংক্রান্তি তাছাদের বিশেষ পুণ্যাহ। ঐ দিনে ৰক্ষাগণ দীক্ষা গ্ৰহণ করে। শ্রীপঞ্চমীতে সরস্বর্তীপূজা দিনে ভাষার সপ্তমবর্ষীয় বালিকাদিগের কর্ণবেধ করে, কিন্তু বালকদিগের কর্ণবৈধ জপর সময়েও হইতে পারে। বক্লয়াগণের বিবাহপ্রথা প্রায়ই পুৰোক্ত রূপ, তবে हेशरङ अप्नकोशम्भ श्न्शूिद्र १ इडे श्छ । ठांशद्दषब्र धाश कछांएक दब्रशूह आनिग्र। दिबाइ भियांब्र शैछि आँप्छ । दिवारहद्र जभद्र श्रृएग्नोश्ठि श्रृंकमैंण ७ भक्रजস্বত্র পাঠ করিলে ৰন্থ ও কস্তাকে তাহ আবৃত্তি করিতে হয়। সম্প্রদানকালে রমণীগণ অহরহ হুলুধ্বনি করিয়া থাকে। शूबबडे़ी विषबाब्र! दिवांश् कप्त्व न, क्रूि अणदब्र विवाह করিতে পায়ে । बरब्रॉरणाठे शङिग्न थूकएनए गांश् कब्र ७१९ औोष्ठ १९नरब्रड অনধিক বর্ষ স্থত শিশুদেহ পুতিয়া কেলাই বিধি। ধনীদিগকে ৰে গাড়িতে উঠাইয়া শ্বশানে গইরা খায়, তাহাকে হাসাইসি স্লখ বলে। উক্ত শকটের হুই মুখে হংসপ্রতিडुडि श्रांप्ह । ॐ अष केनिदाघ्र भूएन इहेनिरक गकि क्ङ्गि बैोथी रब ५बर नमट्क्क 4ाथषांनिर्भ१ इहेखांcत्र दिछङ शहेद झहे क्क् िरहेण्ड ॐ ब्रक कनिष्ठ कारक । केशत्र प्sक-क्त्र कनइड अदर यथtत्र षिकूद्ठ नांग्लश भाउ । खेछद्र ऋच अमाशनिब्र गत्र क्रूि इडभरपञ्च चत्र शांछ रह अवर नक्कश्छक छेकब्रविष्क ज३श भिइ क्लिकाब्र फेक्स धाङ्गिक क्राङ्ग। थूक्षधिकारब७मत्रण-दछ ७ नकनेवबद्ध भt# क्रडा दछ fश्रीषांजन बब्रिभिधक अक हीरमहे ब्रांइ भङ्गी झल, किब्र षमै * शूकर्मश्छिविहनंत्र मॉरश्छ श्रद्ध cनदे हझन अकै अझै कभवांशिवकिक बिनिक ? इ ई * জন্ম কৰ্মৰালিৰ কল্প জন্ম দি *