পাতা:বিশ্বকোষ চতুর্দশ খণ্ড.djvu/৩১০

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Skjanik sekh JANIK

भश्रृङ्ग बर्शैिौम ’, মহম্মদ মন্ত্ৰাখি ( শেখ), জনৈক মুসলমান ক্ষৰি। ইষ্টার अङ्ग# नाभ भश्चक नैर्ब्रौन् । हेनि cर्शाज़ा त्रशै-मठादनईौ श्गिम। u३ थछ *मन भूणांनीव्र गश्ङि ३शत्र क्लिब cगोशá' श्च । । १8४७ धृष्टेटिक डांबिज नशcन्न ईशद्र वृङ्क रहेcण, खङ्गदांव मभtग्न ॐाशब्र नभाथि इहेब्राझिण । हेनि नाथांঋণ মুসলমানের নিকট একজন সাধু লিয়া পরিচিত। ইহার भ्रॉफ्रैंड ‘कणायन भजांौ' नाभरू ५क्षानि निषान् ७ क्रब्रभानि জপন্ন গ্রন্থ পাওয়া যায়। झइन्द्मप्त মসুম मां★ी (जांभैौब्र), गञ्चाँ अकबब्र भाप्रुद्र 'जtनक गजोड गडांनन् । उकब्र ईशग्न जलाशांन । हेनि যুম্বক্ষ, জেলেখার অনুকরণে হসমূ-ব-নাজ, লৈলী মঞ্জস্থর অমু.े भक्षेिश्ङ्गड এবং মগ জন উল আক্সার, হগুপৈষ্কার ও লিঙ্কেশরনাম প্রভৃতি গ্রন্থ অবলম্বনে ১ হাজার শ্লোকে এক f शॉन षंग्रंनिबि बहून1 ख्रदङ्गन ।। ५छडिझ श्रीब्र छिड श्रॆषानि दिीन् ७ श्हेषििन नांकि-बीमा भौ७ब्र शाब्र। हेनि ५क সময়ে এক সহজ সঙ্গী সঙ্গে লইয়া পাৱন্তরাজ শাহ আব্বাসের সভাৰ উপস্থিত হুইয়াছিলেন। बईमान भश्नीम् (cनान्ना), कांनानवानी बरेनरू कवि । ऊंक गैौब्र प्रकैौ मांमक aइ ब्र5न कtब्रन। भश्मन भश्नैोन, *गणानैौबजटेनक विट्जारी उरलीगनाद्र । ইনি ইম্বাদ আলীর সহিত ১৮৫৭ খৃষ্টালে সিপাহীবিদ্রোহে cदाशमान रुब्रांद्र हेtब्रांज कईक शुछ इन । दांश्च नशtद्र পর বৎসক্ষে ইহার ফালি ছয় । --. মহম্মদ মহসীন (शछि ), श्शणौनिदांनौ छटेमक विषाऊ भूमणभान ककौब्र। हेनि अछूड गन्”डिब्र अषिकाद्री श्ब्राs বিষয়ে নির্লিপ্ত ছিলেন। স্বজাতীয় দীনহীধর এক্তি জহুরাগ ও নিঃস্বাধ দানহেতু সকলেই ইহাকে ভক্তি করিষ্ঠ। তখনकांग्र श्श्रीशैौन्न थनिक शमैौ नयांब थ'1 छांशन भी विष्णय शिषTांङ रहेरणs ५हे बशभूझtषग्न छांग्र नभशिक थTाडि अर्जन कब्रिटङ * श्it८द्मम क्ttं । ' शजि मझ्छष cष गजाख भूगणभांजयश्रण थश्रaइ१ कtब्रभ, উাছা খংশাখ্যারিক। এইরূপ পাওয়া ৰাজ জাগা ফজল উন্ন নামক জনৈক পারস্তবাণী ধনী বাণিজ্য । উপলক্ষে ১৮শ শতাম্বের প্রান্ধতে ভারতবর্ষে আগমন করেন। छ९गूज शंचिक्कब्र इभगो ७ जूनिंबाबारन वागिबाक्छिाड़ করিয়া বিশেষ প্রশিক্তিশালী হইয় উঠেন। কিন্তু কাৰ্যবৃদ্ধির श्रेशनष्कन । भडिर डासंब ३भवtबबऽागप्रइ डिनि शू - प्रज्वार डाशक इवगै*** वन कशिप्लश वर नवाद একটা নশালিনী দী দতি তাছার প্রণ জন্মে। " थरंधन भरनीन ॐ ब्रभणी ¥िक्लान् ’ इनंजैोध्छ *जानिब्रां दान क८ङ्ग ५gद९ ८कॉन् वरtन डांशंत्र अग्र श्, ठाश थगनअरब अथाट्न वणिक्का ब्रांप करूँषा ? • हेग्णांशम मभtब्रब्र दिश्वjाङ मडाइब्रिदtt*ब्र eथनिक शांखिँक जांश भङांझांङ्ग अब्रभtजब यांबभtिइग्न थॉन्नांछौ ছিলেন। তিনি গন্ত্রীটের এরূপ বিশ্বাসী ছিলেম মে, খাজনাथानाब छबि डॉशब्र निको पाकिङ ७द् ङिनि ननद्रिदान त्रिी७ोग्राप्लद्दे शान् कब्रिबाङ्ग भएमभ •ाहेब्रा झिएणम। কালক্রমে পত্নীর অভিপ্রায় অনুসারে সহরমের তাঞ্জিয়া সম্পন্ন কল্পণার্থ জাগী মর্তাহার বাদশাহের আদেশ মতে হুগলী নগরে বাসস্থাপন স্করিলেন। সম্রাটু তাছাগিকে যশোহর, চিৎপুর ও অপরাপর স্থান জায়গীয় স্বরূপ প্রদান করেন • । মোগল-সাম্রাজ্যের সমৃদ্ধি পরিত্যাগ করিয়া হগলীতে ৰাসकारण ॐांशयनग्न भरम uकठिी इंभांभशप्ली मिन्द्रंाए*म्न गकब्र फेशिठ श्छ । क्लबन्नुशारख्न आशा भज्राइग्न थारुम्न श्रृंचा माधक अप्टेनक छूणा-वाचगाग्रीब्र निकः श्रङ वéभान इंभाभषाम्नांक अनि जब করেন। পূৰ্ব্বে এই জমিতে’জাফরের কুঠি ও জানয়ে ধিবির हेमाभदांफ़ झिण । पञांनयाद नए थै नृकण श्रद्वेणिक क्लग्न कब्रिब्र! आशा मठाशं ब्र ०५०8 श्छिब्रां★ मांजिग्न शाछि cशtगtनब्र नांप्य हे भांभवांक्ल निर्धा १ प८ब्रन । ५६म७ ५थाcम हेयाभ cशtभtनब्र मॐनांभि श्ब्रtथां८क । आश्रो बज्राशब्र cभषबीवप्न श्रौँ श्हेप्च्च श्रारब्रन माहे । তিনি মৃত্যুর পূৰ্ব্বে প্রিয়তম কন্স ময় জ্ঞানকে একখানি তাজি দিয়া ৰলিয়াছিলেন যেন, তাহার মৃত্যুর পূৰ্ব্বে উহ ন৷ ভাঙ্গ হয়। আগা মতাছারের মৃত্যু হইলে ঐ অলঙ্কার ভাজিয়া দানপাত্ৰ ৰাহির করা হয়। ঐ দানপাত্রে কন্যাই একমাত্র অধিকারিণী জানিয়া আগাপী পূৰ্ব্বোক্ত হাজি ফৈজুল্লাকে शूम*ाब्र विदांश् रु८ब्रन। uहे प्रच्ठौ शंहेरठ शंजि भश्जनं बश्দীনের জন্ম হয়। আবার কেহ কেহ বলেন, মুর্শিদাবাদ मशप्द्र छैाशब्र छत्र श्छ। निस्राब्र बृङ्काब्र भइ, छैशब्र 'भाउा হগলীতে জাসিন্ধা জাগা মতাহায়ের পাণিগ্রহণ করেন। श्रादाब्र ७मा शांद्र, ५१७२ घूं*ाध्च ॐाशङ्ग जक रह I cरोवरम डिमि गिरजांजि नाभक थरैबक cभोणबिब्र निकके दिछानिक कtवन । सक्द निक$ cश्नबभनवूडाड छमिह उशद्र प्रङ्মাৱ ৰাৱে ভ্ৰমণবাদন জন্ধিয়াছিল। কিছুক্ষসে খুশিক্ষাৰামে पाकिइ चार ७ भाग्नछब्राजा श्रृंगब काङ्गन। आवशैं ७ পারগুজাৰা ঠান্ধৰ শিৰ ব্যুৎপত্তি ছিল। অন্তঃপুৰক ੋੜ੍ਹਾਂ , , , , ' ,'ोई पषिां{ी निर्दबि4 s نسنت ،:Skjanik sekh JANIK