পাতা:বিশ্বকোষ দশম খণ্ড.djvu/৭২৯

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পালন भाद्रगै भtका यकीनं करब्रन । ॐङ भद्रांदउँौश फेभाषानि शरेंद ड९क्रगद्र ब्रांबकवि फेtगठाउछ ७ धाब २०० वर्ष পূৰ্ব্বে জায়াকালের প্রসিদ্ধ মুসলমান কৰি জালোবাল ৰাক্ষলায় পক্ষাবর্তী কাব্য রচনা করেন। क्रिरङांtब्रग्न भग्निनैौ फेनांशांनरे दिङ्गडडांtद eरे श्रृंचांदउँी कांtवा शर्निङ इहेशttइ । क्लिष्ठांब्रांषिण डीबनिश् नचांवष्ठौब्र কবি কর্তৃক রাসেন নামে বিস্তৃত। উপাখ্যামটী বিকৃত হইলেও এই কাব্যের শেষে আল্লাউদ্দীসের পরাজয় প্রসঙ্গ অাছে। कवि भागांब्रांग आब्रांकांनग्रांरबब्र अमांडा मांभन#ाङ्कtब्रह श्राप्नtनं छैांशत्र भद्यादउँौ ब्रहना करग्रन। अइषानि भूगगमाप्नब्र ब्रध्ना कांtखहे यtश यtषा भूननबांनैौ फांब थीकिरण७ হিন্দুসমাজের আচার ব্যবহার ও প্রকৃত পারিবারিক চিত্র অতি छ्मग्न अहिङ ह्हेब्रोह । इथोनि श्रृंो? कब्रिट्ण क्षइकोtब्रङ्ग गशङ्कडांखिझाडांद्र यtशहै गब्रिक्रम शृॉ७प्रां शांद्र । পদ্মাবতীপ্রিয় (পুং ) পদ্মাবত্যাঃ প্রিয় স্বামী। ১ জরৎকাঙ্ক মুনি । ( শক্ৰয়” ) ২ জয়দেৰ । পদ্মাসন (ল্পী । পরমিব পাকারেণ বদ্ধং আসনং। যোগাসন বিশেষ। গোরক্ষসংহিতায় এই পদ্মাসনের বিষয় এইরূপ লিখিত } আছে—বাম উরুর উপর দক্ষিণ উরু সংস্থাপন করিয়া হৃদয়দেশে অঙ্গুষ্ঠস্থাপন করিয়া নাসায় অগ্রভাগ অবলোকন করিতে থাকিবে। এই পদ্মাসন ব্যাধিবিনাশক । "বামেরপরি দক্ষিণং নিয়মতঃ সংস্থাপা বামং তখী । দক্ষেীরূপরি পশ্চিমেন বিধিলা ধৃত্যা করাভ্যাং ধৃতং ॥ অঙ্গুষ্টং হৃদয়ে নিধায় চিবুকং নাসাগ্রমালোকয়েদেতবোধিবিকারনাশনকরং পদ্মাসনং প্রোচ্যতে।" (গোরক্ষসং) হটবোগদীপিকায় এই পদ্মাসনের বিষয় এইরূপ লিখিত আছে,—চরণদ্বয় উত্তান করিয়া উরু সংস্থাপন করিতে হইবে, छैद्राग्न भषाऋण इछन्नग्न ठि९ कब्रिग्रां नानां८७ जूटि कब्रिट्य, এইরূপ করিলে পদ্মাসন হয়, এই আসন সকল ব্যাধিনাশক ७द१ झुर्छा छ ।• ২ পূজার নিমিত ধাতুময় পাকার আসন। ৩ স্থতিবিষয়ক পদ্মাসন । t १२e ]

  • *छेख्नांtनो छब्रप्नौ कृची छैङ्गजशrहो 4षङ्गख: ।

कब्रभाषा छtषाडtष्मो ग॥१ कूच जप्ङाँ बृप्तौ ॥ नानांt* बिछप्नजांबनडबूल फू बिश्तब्रा। छठका ध्दूिक वक्शथाना गवनर नरेनः ॥ ஆ हेक्र श्रृंग्रामम१८बांड१ जर्फबाॉदिविनाथन६ ॥ § ' इ७ि१ &त्र हिनीभिश् ौशखां जणश्च १ि ॥” ് ( हैtषां★कैौनिकां* *|se-s१ ) ' 门 X >bro, §§ পালনে নাগপাৰাে পাঞ্জেলগুটা "(ফিনী) ( भूः) गंधर विकूमाजिकवग१ जांगमर पछ। * बक, কমলাপাম । शृणांझ्श (द्वौ ) भन्नज जांखा जाषा पछाः । * *ब्रक्रांत्रेि जष्ठां । (ब्रांजमि' ) ( ) २ जषभ । “s & পত্মিম্ (পুং)পানি সৰশ্বিন, গুজরাখিনি। ১ পদক্ষেণে। २ भन्नषाद्रौ दिसू । दिकू भधsजभवांनब्रषांशै बनिद्र, नविन् नश्चल विकूरक भूकोज़ । (जि ) ७ भइषाद्विमांज । • भजगनूर । পদ্মিনী (স্ত্রী) পদ্মি জিয়াং ওঁী । পয়লত। পৰ্য্যায়-মলিনী, विनिमैो, थुशोलिन्नी, कभनिनैो, कबिमौ, जप्द्रबिनौं, मानिकिमी, मांगैौकिमैौ, अब्रविनिमैो, जहछांजिर्नी, भूकब्रिगे, अपाणिनैौ, अजिनौ । हेशंद्र शच५ “মূলনালীলোৎফুল্লবলৈ সমুদিত পুনঃ । अग्निभैौ toधांफ़ाइड cचाँटेछर्दिनिछांनिwक न! ह्ड़ी ॥" (ब्रांजमि*) देशग्न ७१-मभूब्र, ड़िड, कषाह, नैठण, निस, जिभिप्नार, दभि, अभ स जडां★मालक । ( ब्रांजमि*) श्रृंग्रछ शक ऐक गएक विषारङ भौtब्र यशः ।। २ छफूर्रिश्नंछि अंकांश शैौद्र মধ্যে স্ত্রীবিশেষ । "छवृद्धि कमणएनङ्ग मॉनिक क्रूभङ्गक অবিরলকুচযুগ্ম দীর্থকেণী ফশাদী। মৃত্যুবচনমুশীল মৃত্যগীতাম্বুরক। गकनष्ठइशावली •ग्निमैौ *प्रशंका ॥” (ब्रठिभश्चडीी ) পদ্মিনী ষ্ট্ৰীয় রতিপ্রকার এইরূপ লিখিত আছে, "कूरु१ कtब्रण गरम* *ीफ़रजनशार शृङ्ग१ ।। ब्रम*१vग्रराएकन श्रृंग्निनौब्रठिमांनिप्ल९ ॥" (ब्रशियअप्रैौं २४) ৩ সরোবর । ৪ পদ্ম। • মৃগাল । ৬ হস্তিনী । ( খঙ্গণি” ) পদ্মিনী,জীযদিহের প্রধান মনীি ও সিংহলাৰ হামীয়শষের कछ। ४२१८ भूटेरिक गझर्णनिश् भिषांरब्रह निश्शनाम जांtब्रांश्ण काग्रम । ॐांश ब्र बग्रन अझ थांकांग्र ठंशिांब्र निकृया औभनिशएं ब्रांछकां८१ीग्र ठसांदथांनखांब्र यॉर इम । यहे शैभनिरश्रें ভারতগ্রসিদ্ধ। পশ্মিনীর পাণিগ্রহণ করেন । क्लर” ७t" यमम ब्रमी कोब्राउ झर्णछ । “हे ८गोश्वर्गमर्यौं আলোকসামান্ত রমণীকে লক্ষ্য করির দেশীয় ও বিদেশীর কত कवि कांदा लिथिब्रा अहि* जांख्ठ कब्रिग्रां शिग्रांप्हन । [*श्रांबडीी দেখ। ] রাজপুতভাটগণ এখনও তাছাকে রাজপুতজননী বলিয়৷ शष्टचांथन करग्रम. e छैiहांग्न शैर्डिंशांथ कौर्डन कब्रिग्रां गईजांशां★नं८क बूई कग्निग्न थां८कन । পঞ্জিনীয় রূপই রাজপুতজাতির জনর্থের কারণ। সুলতান चीनtेौम्।। १क्षिनैौगांप्लव जीofto विभूं एऎ्रश् चिनि 8 بتنقنقة -