পাতা:কবিরঞ্জন রামপ্রসাদ সেনের গ্রন্থাবলী.djvu/১৬

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श्रृंछि श्रृंछ खुनि झक कुश्रह *बडांमक ? cरूाकिण-यूजिक श्रृश्ङ्ग-स्ट"ब्दछ कृष्ण निरक प्रकछच ॥ ভ্ৰfৰঙ্গে কাননধৰি श्थं श्वश्च । পুষ্টাগুজি পণি स्थ रुइ वाने कtक कब औों काँच ॥ मोबाछ थूकरु रङ 曹薰唯臀尊尊钟 भू{खच शfीं अद्ध कv कईट्स कि tझ्डू छूध खश्इ ॥ ফজ পুণ্যপুঞ্জ ষষ 事響 。事事"響書調雪も 한》 ∎ ዝጻflog कश्छिधि ॐat डाँडूब ॥ खबढार्थ कर्छ झनि এ ফঞ্চ মা ক্ষঙ্গিষঙ্গি । 《事【聊得3 事鲨 प्राअब्राईी झई क्रूषि tr’ इ*ष्ठ बीजौ ॥ কীয়’ৰী মনে গঙ্গে * リ 零*tw 。 প্রসঙ্গি ৰঙ্গে कदि कृष्ट्रङ्गहन् । हुन्नि शाजिझैौसitन ।

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哆 মালিনীর পুষ্পচয়ন ও হাটে গমন । श्रृंमहत्व हुनिो tअझन्! बानियैौभित्रु ? *बब ८कौफूट्रक बtव1 रन नूनका ॥ cठरत्र रुक छ-रू कछ बी ट्रप्रश्ननिरू । छांछि भृषि अंकबाल बांश्नडी भाँझ कt ॥ वडक्न श्ललङ्ग प्रकाश्ववि कून । कूच अब क्लक कनि 8*श कडूल * कांकअ थांकरैौजक tनfन अर्दछब्रt t चtषा क जनडॉखिछ fभविभ२t tशwाँ ? * tx'tifs costrijos annizavons gors i किएउक पाच्की किर्केो ८थ्iरण शुक्लङ्क । डूलिञ डूत्रब कछ-कछ कब माय ? - *ङ गांज नांखि भूति ध्रण बिक दांव ॥ वtछ fशब्लीं बनिज ख्रिमांक बद्ध-**ष्णु । वानमा यऋिङ भारब किक शिकू शtन ॥ आंध्र कवि ८ मात्रै क्च्एन cवथि ४भाका। 趣 কবিরঞ্জন রামপ্রসাদ সেনের গ্রন্থাবলী । कावाङ्कका श्डेtण 8छुक छ थाहरू काल ! ! מואאזא שf ihמשושה: נשיאיfrt छुक भछि त्योtदी देिछि शुक्ल छान् ि। cऋग्नेिोकश्च छै:क भिवृी है काँ* sifन ॥ अथ९-डिड दिशा दूख ईक थाटइ * अन्त अनि थारशुक्कै क1 cकरण त्रि को छ । अन्धि जाति मैंक्षि शोभन्दा 6छ?श् बश्नु ! ८बद gगाँव ह*ाँञ्च-अन्दि*ी fक ब* दtङ t ভাঙ্গ ৰাপু যঞ্জি জড়িঙ্গে খাণ্ডে গুপ্ত , श्रां दन्त थालिम्रै न(अखि भू.5 चशः । # ऋदिकश्चन श:ण कtझौ*क न? • * fद इtझ f***क्सक जैit६ भू**tद्ध ॥

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সুন্দরের মাল্যগ্রন্থন । fक्ज ग्र छ कि छक ड अँीtथ भू**ाड़ । fक वा ८नt*t st*?t****१ अf $५९*१६ ॥ धद, क्क ब्रझन्त्रक कूक जथालिङ • खाडिकूल ९ दङ्कन थाल्यो झंझरू ! *itथ हैौछ कडशैक थtश्tfक किईखक बाडि अद्र भू-नकट भडय:कौडूक ? পষ্ট গঙ্গে ঙ্গীগে ক্ষে স্বাগপঞ্চ ঞ্ছ ঞ্জ । 寧驚響幫事 呼擊電幫疇* 彎畫葡 彎堂灣船 नमझाँ जैpt* ***-४क* * श्रींछकौ ! नर्करणद नैkथ <बच कूटब cरूङडौ ॥ कूजा माइ ८काज 5ोझै ... कि चनजर । वृ*बांब कै#* भंश लtश्र धझाङर ॥ कt* बाद बमकवि भूर्व कण काश्री । স্বপৰাগ পাৰে জাঙ্গ এক্ট খুনী কাল্পী । কৰিয় মাল্যসংক্রান্ত পরিচয় লিখন বস্থান লীগ কৰি স্থৰ সংশিৰ । छछि ब्रtण झण भिरथ भविtथै जिसा ॥ ख*गिकृ-वहाँष्ठांचा उtनव भविथ ।