পাতা:কবিরঞ্জন রামপ্রসাদ সেনের গ্রন্থাবলী.djvu/৮

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fअविक चाश्च इरूकिन इस्रवांछ । वेिदविद अक्तिक्रि पूछी भद्रकरणांड ॥ ****झa च"चि ऋक्रम हfaछ है। दरबाइइ इरबोङइ fकश्केिड कि*िड ॥ निचिदा थुक्र्यौिंबकि अक्षर्भन । डदिव खदि१ थाथ इगैर्ष कूeन ॥ केनदूङकूर६ इविड *हेि #ाई 1 कि कद करनड कथा डिङ्कबरन नाहे ॥ भर्रसक्शेन पश् िबन्दान् श्ड । फू१डून चारद काइ कड श*ानच् ॥ छरु कुमाणाद्ध बाङ्ग क्इाकरण भूखा । नक प्राrब किस छt१ cम ऋछ जबूब ॥ ८र श्रुश्ञ्चि८नन्त धछि अर डर ८छात्र ! कि चाब ¥श्कि प* भूर्लद* *नाथ ॥ दिइब वtfइxptक्रांtव ख4द्वात्रि मारन ! थाकूक थाबद्ध ८कङ कथा न छिझरन । कि थाद कश्दि वाक ब्लौभूछ जबल । दिइन-क्काम व दृझ कsन क#१ ॥ এ সমর্থ তোমার মাঞ্চ জানি গে৷ কননি । @幫曾嘯電 尊勢尊事ff實 কালীবদ্দন । काँलकण-कूछब्र-टरूनवॆी कांजी जां★ t श्रनिtज बहीण शङ्ग बाग़ जॉन) १jब ॥ काण कब भूषकू छिछइ मध्न *हे । अकiरह के काख औई बाणि मt$cमहे । काननांtवं शृंव अरब वङ्ग करइ अस । अचि**थ-शृtá काँक दमबदैौ श७ ॥ छह नाश् िछह माश् िछत्र आङि चाँद । *झष शfणः श्डर्सा श्रtrी५णfश्च ॥ मjम fगडrी व्रचखि निर्थिजमार्थ-मैं★♚ { fo*शैश् छ्iख णखि *श्शिशि :िझ ॥ कांक*ि*ौ स्थि¥िद्वामि*ण श4 कालः । कट्टजबइ-किम* क्षिविवृणूक अtना ? o কৰিয়ন আৰপ্ৰসা সেনের গ্রন্থাবলী । दिदहा वजिगीषों कीर्ष वै बरच । दिको क्षब ऋषीनामभीड शब्दच् ॥ मिछ फ्रेञ्च इजाकि चविश छन्हो ? पूरु कुरख केvदूरथ भिरण ग्नूिचके ॥ झछ इथैो भीरुचेि फूढध कfदकन्त । विदाकृष्ण मड्म कान नछाडे । अकांछ काङद्ध थछि कईौ दाश कञ ॥ चकरण अिश्रष्ट छाडेि झाँक्रिम भक श्र ! चथिच्छअझै किव क्लङ्गि आजभ ! £कt* {#t कङ्कणीश्व*ि * थ** ८क ध* * iftrs #ftwסtel sש איtע ואוש ושי4 «ήa fν αφ* «υ ξαφ« πιπικι και уч хүч क्किाr६fध नाव नरक कब ।। कश्विाद कपा मद ब्रिचश् कि कर । প্রগাঙ্গে খমঞ্চ ও ফাল্পী ৰূপাঙ্কট । चा*ि कृsा बाभ-वान काहीभूब ब्रहे । अहै ●नtथा ह अककभी-***** * fकर्णाकrम ५५ (द fstछ बाच्न ६ :द ढन् । **fधा ५दाँभाका कt; झj¥rक#} ड* } चकौश्च ज्ञश्च शैौ-*ाए*ध्र झर* ****** গ্রাঞ্চজাৰু সঙ্গfিশৰ fཟླ་ཀཱ་༦༈་ལ་ * if: 1 . बड़ा कfख नग्न ऋछि छूनः अtश्व कtन ? कि कtन डूत्रम हेि हि अ cरुम ठr:१ ॥ शा.4 करङ्ग बक्भ विभड पूंढ कश । क्लेिश-काजाशt" भदिनू* *डाशद में $थ ए६ a ५कt4 केचक बिश्वरने ! ঙ্কোৰযুক্ত ৰিমুখ শঙ্ক নিৰীক্ষণে । Lসঙক্তি খলপথাৰ। ’ दि{इश विख*ानि द्रब्रपूं★♚ a झिलकखि ८लाब कर* *ाहे नछिबtन ॥ cभरश्ची ऋध्रीत्र१ वश्कल ।। " जइब अदिशऔन विभक्त विश्ववि fi footङ्क्षक्षॆौ ७५ ख्रिश्चाश्वि' भ्रष ।। * छषरण कहनानिबू अब भवभक ध