পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/২৬৬

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कथायाँ चन्द्रापौडजगोत्सव । Հ8 Ա सरभसमित्ख्तत प्रधावितस्य परिजनस्य चरण्शत्-स चीभ चलित चिंतित्काली भूपालाभिमुख स्वत रुखलद्गति-विकल () कञ्च,किसहस्रो जन सचाइ निष्यिथ मागा पतित-कुष्ज वामन किरातगणी विस्तार्य्यमाणान्त पुर (२) जनाभरण-भङ्ािर मनोहर पूरा पात्राहरण (३) विलुव्यमान (8) वमनभूषण स चोभित नगरो राजकुले दिष्टिवद्धि सम्भ मीऽतिमह्राग् भूत (ष) । श्रनन्तरच मन्दरमध्यमान () जलनिधि (३) घोष-गोर दुन्टुभि-ध्वान पुर सरेग प्रहत मृदु-मृदङ्ग-शङ्ख काइला नक निवइ-निनाद निभ रेग ( ) मङ्गल पटह पट रवस वद्धि तेन अनेक-जन मेघमाला इरया ज्ञलेन माद्मतीति द्व अदी मेधीत्पन्त्रवक्रिस्तमिव वह्रलिइाश्व लिछ्परन्तपेरष्झ ख इति खप्रत्ययान्ती निपात ! मेघज्यीति ररह्मद इत्यमर ! चर्वीपमाख द्वार । (ष) तझिब्रिति । त स्वान् राजपूर्व जाते राजकुनै अतिमद्वान् दिष्टिइडिसन्ध्र म राश सौभाग्यइडिज्न्या खोकान त्वरा अभूदित्यन्वय । अव प्रथमान्तपटानि सन्ध्र म इत्यस्य विशेषण नि । सरभस सइष म् । चरणाना शतस्य समूहस्य सचाभेण भाघातेन चलित कम्पित चितितल य खान स । भूपालाभिमुख सत् प्रसृत वार्ता मभिधातु प्रखित रुखलद्गति धष्टगमन विक्लम् भानन्दसमाकुलच कचुकिसइस्रम थन्त पुरचरहद्धब्राघ्राणसमूड़ी यमिन स । जनाना सन्झट्ट न स घष ण निष्पिष्यमाण अतएव पतित कुञ्जानां वामना । ख छहौनां विरातानां शूद्रदैइानाञ्च गणी यझिन्स । किराप्त स्वादख्यतनौ इत्यादि हेमचन्द्र । विस्फार्यमाणे वृद्धि नौयमानी थ भन्त पुरजनानामाभरणभद्धार तेन मनोइर । उत्सवं सुद्वद्भिर्यानि बनादाकृष्य नौयन्त तानि पूण पात्राणि तेषा माइरणेन ग्रहणेन विलुठयमानानि इखाइतिकरणसन्ध्र मेण पतितानि वसनानि भूषणागि च यझिन्स ! वडापक यदानन्दादलदारादिक पुन । भाक्कथ ग्टद्यत पूण पात्र पूर्णानकञ्च तत् ॥ इति इारावलौ । सचोभितमुदलित नगर राजधानौ येन स । राजकुले राजवाट । (स) अनन्तरमिति । मन्दरैण पव तेन मथ्यमानभ्य जलनिधै समुद्रख घोषवत् शब्दवत् गनौरी दुन्दुभिध्वनि मेरौशब्द पुर सरी यस्य तेन । अत्र लुप्तीपमालद्धार । प्रहता वाटिता यो मृदव बोमाजध्वनिकारिण स्वटङ्गा शङा काइला वाद्यविशषा भानका पटहाश्र तेषां निवइग्य समूइस्य निन देन निभर भतिमात्रो वद्धि त इत्यथ কারী একটী পুত্র প্রসব করিলেন। (ঘ) সেট রাজপুত্র জন্মিলে বজাব সৌভাগ্যবৃদ্ধিনিবন্ধন রাজবাটতে লোবে ব খুব ছড়াহুড হটতে লাগিল , প িজ৭বর্গ আনদেব সশিত শতস্তত ধাবিত হতে লাগিল তাহদের চরণের আঘাতে ভূ ল কঁপিয়া উঠিল বঞ্চুকিগণ আনন্দে আকুল হইয়া রাজার নিকট সংবাদ বলিবাব জন্য স্থলিত গতিতে ধাবিত হইতে লাগিলেন কুজ বামন (খর্বদেহ বামনবীর) ও কৃশশরীর লোক সকল লোকের ঠেসাঠেটিতে নিষ্পেষিত হইয়া ভূতলে পড়িয়া যাইতে লাগিল অন্ত পুরস্থ রমণীগণেব অলঙ্কারের বৃহৎ ও মনোহর ঝঙ্কার শুনা যাইতে লাগিল লোকের গাত্র হটতে অপর লোক বলপূৰ্ব্বক বসনভূষণ টানিয়া লষ্টতেছিল তাশতে অনেক বচন ও ভূষণ ভূতলে লুষ্ঠিত হইতেছিল এই অবস্থায় রাজধানী একেবারে উদ্বেলিত হইয়া উঠিল । (স) তদনন্তর ত্ৰিভূবন পরিপূর্ণ করিয়া সেই মহোৎ (१) शून्ध । (२) व ण मानान्त पुर ! (३) দুল বানৰ, i (४) विशुप्यमन l سہی۔ (५) मन्दराराध्यमान ! (६) उलधि ! (७) निवइनिभर्रण ।