পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৩২৫

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३०४ वादडबश्री धूव भागै प्रावारित-(१) पृष्ठख रसित-मधुर-घण्टिका रव मुखर-कण्ठी , मञ्जिष्ठा लोहितस्कन्ध केसर बाल , ( ) निहत वन गज रुधिर-पाटल सटरिव केसरिभि , पुरोनिहित यवस राशि शिखरीपविष्ट-मन्दुरापाल प्रासत्र मङ्गल गीत ध्वनि-दत्त कर्ण, अन्त कपोल धृत-मधुर सरम (३) लुलित लाज (४) कबल , भूपालवल्लभर्मन्टुरागतस्तुरङ्गमेरुद्धासितम (ह) श्रधिक रण मण्डपगतेच्चार्यवेशैरत्यञ्चवेत्रासनोप विष्टीधैर्यमयेरिव धर्वाधिकारिभिर्महापुरुषेरधिष्ठितम, (क्ष) अधिगत सकल ग्राम SSASAS SSAS SSASAASAAAS (स) गन्धति । गन्धमादननास्वा गन्धभूतिना पूर्वीनाखचणेन गन्धगजेन सनाथौक्कत ग्वसयुनौक़त भधिष्ठित इत्यथ एकदैो यस्य तत राजकुलमित्यस्य विश्षणमैतत् । (६) उज्ज्वलेति । इतन्त तौयान्तपदानि तुरङ्गम रिति वच्यमाणस्य विशेषणानि उज्ज्वल टाँप्तिझष्ट्रि पइकष्वल क्वमिकोषीत्थसूवनिमितकग्वल पट्, सम्यक प्रावारितानि श्रोच्छादितानि पृष्ठानि यंषां त । रसितानां ग्रीवाचाखनेन शब्दितानां मधुराणां मनीशानां घण्टिकानां चूद्रघण्टाना रव शव्द मुखरा शब्दायमाना कण्ठा गखा धेर्षा त । मञ्चिष्ठावत् रञ्चनद्रब्यविशेषवत् नोहिता रक्तवर्णा खान्ध पु केसरबाला केसराख्यलीमानि तेष त अतएव निहतानां खय मारितानां वनगजानां रुधिर पाटला श्व तरना सटा जटा येषां त केसरिभि सि हैरिव यित । अवीपमालङ्कार । पुरोनिहितानाम् भयत रह्यापिताना यवसराशौन धासपुञ्चान शिखरैषु उपरिभागैषु उपविष्टा मन्दुरापाला वाजिशालारचका येष त । वाणिशाला तृ मन्दुरा इत्यमर । थासम्रेषु समीपवत्ति पु मङ्गलगौतध्वनिषु दसौं कयौ य स्त तषामपि गानश्रवगौत्सुक्यसत्वादिति भाव । अन्त कपीलषु गण्राभ्यन्तर्रषु धृता मधुरा सुम्बादा सरसा गुडनाद्री भतएव लुलिता उभयतो गलदृगुड़ा लाजकबला धानाग्रासा य स्त । भूपालवल्लभ राज्ञ मिर्थ मन्दुरागत वाणिशालाखित तुरन्त्रम घोंटक उक्कासित शीभितम्। इद राजकुखमिति वक्षयमाणस्य विशेषणम् ! (ख) अधोति । अ धक्रियन्त जना अग्निब्रित्यधिकरण व्यवहारदश नसमा तन्झण्डपगत यार्यवशैं सभ्य जनीचितवेण सुपरिष्क तपरिच्छटो रत्यथ अन्युयोपु वत्रासनेघु उपविष्ट धर्चमयँध र्यनिष्पन्न रिव धर्याधिकारिभि অলস্কৃত ব্যক্তিব মু | যেমন চঞ্চল কর্ণপল্লবদ্বারা আহত হইতে থাকে গন্ধমাদনের মুখও তেমন বিস্তৃত কর্ণযুগলদ্বারা আহত হইতেছিল। (স) এইরূপে গন্ধমাদননামক গন্ধহস্তিকস্তৃক BBBD BBBB BBB BBBBBS S BBS B BSBBB BBBBBB BBB অশ্বে শোভা পাই৩েছিল উজ্জল রেশমী কম্বলে সাহাদেব পৃষ্ঠদেশ সম্পূর্ণ আচ্ছা দত ছিল, শব্দায়মান মনোহর ক্ষুদ্ৰঘণ্টাব রবে তাহদের কণ্ঠদেশ শ দত হইতে ছল, তাহদের স্বন্ধের BBB DDmm BB BBS BBB SBD BBS BBS BBB BDDB BB BB BB রক্তবর্ণ-জটা সমম্বি সিংহের ন্যায় সেই অশ্বগুলিকে দেখা যাইতেছিল, তাহদের সন্মুখ স্থাপিত ঘাসরাশির উপরে অশ্বশালার রক্ষকগণ বসিয়াছিল, সেই অশ্বগুলি নিকটবর্তী মঙ্গল গীতের শব্দের দি ক কর্ণ অৰ্পণ করিয়াছিল গালের f-ত র গুড়মিশ্রিত সুস্বাকু খহ র গ্রাস লইয়াছিল , সুতরা গালের দুই দিক দিয়া তাহার বস বাহিয়া পড়িতেছিল এব সেই অশ্বগুলি রাজার প্রিয় ছিল। (গ) বিচারালয়ে সাক্ষাৎ ধৰ্ম্মময়ের ন্যায় মহাগুণবান বিচারকগণ (१) प्राइत प्रावरित । (२) वाशपन्नव । (२) मध रस जब सुलित । (४) जन्वाख ।