পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৪৪৫

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88で कादंबरो पूर्वभागे त्रयम्बकाम, (व) निरन्तरभसोल्ल गठनसिताङ्गी (१) रतिमिव मदनदेइनिमित्त हरप्रसादनाथमाग्टहौतहाराराधनाम, (श) चीरोदाधि (२) देवतामिव सहवास परिचित हर-चन्द्रलेखोत्कण्ठाक्कष्टाम, (३) (ष) इन्दुमूत्ति मिव खर्भानु-भय छात-त्रिनयन शरण गमनाम्, (४) (स) ऐरावतदेइच्छविमिव गजाजिनावगुण्ठनोत्कण्ठित गितिकण्ठचिन्तितोपनताम्, (ह) पशुपति दक्षिण मुख-हास (व) दचेति । उज्जत ष खदृप्त गैण प्रमथगण य कचग्रह कैशाकष ण तरुग्नाटूभयेन उपसेवित परित्राणाथ माक्षितस्त्रयश्वक्षा शिक्षी थया ताम् ददस्य प्रजापतेरध्वरक्रियt यज्ञक्षायैमिव ख्यिताम् तस्या बपि महापुण्यश्पत्वं न त्रेतत्वादिति भाव ! भवापि क्रियीत्य चाखद्धार । पुरा किल दचप्रजापतिना शिवापमानाथमेवानुष्ठीयमाने यश स भगवान्नाहत कृति तत्प्रमथा समागत्य त यश विध्व सयामासुरिति भागवतानिवार्ता । (ग) निरन्तरैति। मदनदैइनिनित पुनरपि पत्यु कन्दप स्य दैइलाभाथ यत् इरख प्रसादन तदथ म् थाग्टहीतइराराधनाम् आरब्धणिवीपासनाम् अतएव निरन्तरभील्लण्ठनेन सिताङ्गी रतिनिव खिताम् । भत्र द्रब्यीत् भैंचालङ्कार ! तथा इरपदस्य हिरुपादानात् पुनरुत्वातानैोष स च भाग्टझैौततदाराधनामिति पाठेन समाधेय । (ष) चौरीदेति । सइवासेन एकचौरीदसागरे मथनात् पूव मवस्थानेन परिचिता या इरख ललाटख्या चन्द खेखा सखा उत्कण्ठया भाक्लष्टां चौरीदस्य भधिदैवताम् भधिष्ठात्रौं दैवैौमिव निरतिशयगृधघौरीदाधिष्ठाढत्वाशखा अपि निरतियथग्रश्वत्वसम्भवादिति भाव । अत्रापि द्रब्र्योत्मंदालङ्कार । (स) इहिति । खर्मानीराष्ट्रीभयेन क्कत त्रिनयनख शिवख शरणगमन यया ताम् द्वन्दीशन्द्रख मृति निव । द्रव्यीत्मचा । (क) ऐरेति । गजाजिनस्य इतिचर्मण भवगुण्ठने परिधाने उत्कण्ठिती गणाजिनप्रियत्वादुत्सकी य थिति कण्ठ शिवम्तन चिन्तिता अनन्तरमेव उपनता उपख्यिता ताम् ऐरावतस्य दैवराजशृधइस्तिन देहच्छवि शरीर कान्तिमिव स्थिताम् । चव गृशेत्न चालङ्कार । ہی بی، ہ" (ল) বিধাতা পঞ্চমহাভূতস্বরূপ দ্রব্যাত্মক শরীবনিৰ্ম্মাণোপযোগী সামগ্ৰীসমূহ পরিত্যাগ করিয়া কে ল ধবলগুণদ্বারাই যেন তাহাকে নিৰ্ম্মাণ করিয়ছিলেন (ব) উদ্ধৃতস্বভাব প্রমথগণকর্তৃক কে iাকর্ষণের ভয়ে দক্ষের যজ্ঞক্রিয়া যেন আত্মরক্ষাব নিমিত্ত আসিয়া শিবের আশ্ৰয লইয়াছিল ( ) পুনরায় কামদেবেব দেহলাভেব নিমিত্ত শিবকে প্রসন্ন করিবার জন্য রতিদেবী যেন তাহার আবাধনায় প্রবৃত্ত হইয়া সৰ্ব্বদা ভস্মে লুণ্ঠন করায় শ্বেতাঙ্গী হইয় সেথা ন রহিয়াছিলেন , (ঘ) পুৰ্ব্বে একত্র বাস কবায় পরিচিত ীিবের ললাটস্থ চন্দ্রকলার সহিত সাক্ষাৎ করিরীর নিমিত্ত উৎকণ্ঠাতে আকৃষ্ট হইয়াই যেন ক্ষীরোদসাগরেব অধিষ্ঠাত্রী দেবী আসিয়া বসিয়াছি । (স) রাহুর ভয়ে মহাদেবের শরণাপন্ন চন্দ্ৰমূৰ্ত্তির ন্যায় তাহকে দেখা যাইতেছিল (হ) হস্তব চৰ্ম্ম পরিধান কবি যার নিমিত্ত উৎকণ্ঠিত হইয়া মহাদেব চিস্তু করিলে আপনিই উপস্থিত ঐরাবতহস্তীর দেহপ্রভার ন্যায় সে বিরাজ করিতেছিল (ক্ষ) مم-سیم. -مه (१) कचिदय पाठी नाति । (२) चौरोदधि । (२) लेखीत्कण्ठाम्। (४) मरणागमनाम्।