পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৫৪৪

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कथायाँ महाखताया खंकंतव्यालोचना । ५४e मकार्षीत् (स) । अचिरणं चं सभायातरलिकोपंनीताभिचन्दनचचौमिस्तालछन्तानिलखीपलब्धस् ज्ञा तार्लबॉकुखीईक्षां मूतनवांधिष्ठिता विषादेंन, मल्ललाटविष्टत स्रवञ्चन्द्रकान्तमणेिशखावीम, अविच्छुित्र-वाष्यंजलधारीन्धकारिंतंर्मुखैों रुदतो तरखिकामपश्खम् (४) । उश्नीशितलीचगाश्च मां संt क्षतंपद्tiंीमा चन्दनपढाइँण करयुगलेन बचाञ्चलिरवादौत्–‘मत्त दारिकै ! कि लज्जया गुरुजनापेचया वा । प्रसँौद, ग्रेषय माम आनयामि तै हृदयदयित जनम्, उत्तिष्ठ खय वा तत्र गम्यताम्, अत परमसमर्थाखिं सोढ मिम प्रबल चन्द्रोदय विजूभमाणोत्कलिकाशतमुदधिमिव मकरचिहम” इत्येवंवादिनी तामहमवोचम्-( ) (इ) भचिरेणेति । किच सश्व न्तयं सत्वरया तरलिकया उपनीताभिद ताभि चन्दनस्य चञ्चाँभिल*पन तरलिकाछन तालद्वन्तानिल श्र अचिरेणाइम् उपलब्धसंज्ञा सतौ भाकुलाकुल! ममावस्यादर्शनेन भतैौवविंझषाम् मूत नेव मृतिमतेव विषार्दन भधिष्ठितामानिताम् मम ललाटे विधृता शान्तयूथे ख्यापितं स्रवन्तौ चन्द्रकंरस्यश्राँत् जष्ण क्षरनौ चन्दकान्तमणिप्रस्बाका यया त तथा धविच्छित्रथा वाष्पक्"ल रथा धन्धकारित सर्झातान्धवार मलिगमित्यथ मुख यस्यास्तम्। धत्र मृत्त नेवंति मूतिसयोगितीत्ग्रेक्षणाटगुगीत्यो चालद्धार । (च) उन्झौखितेति । किच क्कत पादयॆीमम चरणयी प्रणामी यया सा मा तरलिका । चन्दनस्य पड़न मदङ्ग लेपनकालखग्रग गाढद्रवेण थाद्र तेन । प्रयत्न प्रक्वटी यश्वन्द्रोदयस्त न विज न्भ्रमाण वईमानम् उत्कलिकाशतम् उत्कण्ठासमूइतरङ्गसमूहष यक्षिन् त तादृशम् उ~धि समुद्रमिव मकरचिऽ ध्वजरुपलघष यख त मकरकतु त्ववि समुत्पन्न कामम् सीढुम् असमर्थाषिा । भतएव खय वा पत्र गम्यतामिति भाव । बव पूर्खोपमाखङ्कार । بیمه مسیر همیم. সময়ে চন্ত্রোদয়নিবন্ধন পদ্মবনের সঙ্কোচনিদ্রার স্থায় মুচ্ছ আসিয়া আমার নয়নযুগল মুদ্রিত করিয়া ফেলিল। (হ) তখন তরলিক সত্বর হইয়া আমব অঙ্গে চন্দন লেপন ও তালবৃন্তের বায়ু সঞ্চালন করিতে লাগিল তাঁহাতে আমি অচিবকাশমধ্যে স জ্ঞালাভ করিয়া সেই তরলিকাকেই রোদন করিতে দেখিলাম তখন সে আমার অবস্থা দেখিয়া অত্যন্ত বিহবল হশয়া পড়িয়ছিল বিষাদ যেন মূৰ্ত্তিমান হইয় তাহার উপবে অধিষ্ঠা করিতেছিল আমার BBBB BBBBB BBBS BB BBBBBBB BB BBS BBB BBBBB BBS BBBD অশ্রুজলের ধারাতে তাহার মুখমণ্ডল মশিন করিয়াছিল। (ক্ষ) আমি নয়নযুগল উন্মীলন BBBB BBB BBBBS DDB BBB BBB BBDS DBDD DC BB BBB BBBBBS BBS BBB BBB BBBS BBBB BBBS BBBB S BBBS BSBS BBBBB BBBS করিয়৷ ফল কি ? আপনি প্রসন্ন হউন, মামাকে পাঠাই ৷ দিন আমি আপনার প্রাণবল্লভ ক আnয়ন করি অথবা উঠুন আপনি নিজেই সেইস্থানে গমন করুন ইহার পর আপনার এই কাম বদন আমি আর সহ করিতে পরিব না , কারণ মুস্পষ্ট চক্ৰোদয়ে সমুদ্রের স্তরঙ্গের ন্যায় আপনারও উৎকণ্ঠ শতগুণ বুদ্ধি পাইতেছে তরলিক এইরূপ বলিতেটি ল (१) तामवोचम् ।