পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৫৫৯

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५६३ कादब्बराँ पूर्वभागे (ढ) इतरेण च नखमयूखदन्तुरतया चन्दनमिव स्रवतीत्तानोक्कतैन चन्द्रातपमिव निवारयन्तम, (ण) अन्तिकधितेन च अचिरोद्गतर्जीवितमागमिर्वेोद्योवेण विलोकयता तप सुहृदा कमण्डलुना समुपेतम, (त) कण्ठाभरणोष्ठातेन च स्वणाख वलयेन रजनीकर (१) किरणपाशेनेव स यम्य लोकान्तरमुपनीयमानम्, (२) (थ) कपिञ्जलेन मइर्शनात प्रब्रह्मिण्यम’ इत्यङ्खिचस्त न द्दिगुणीभूतवाष्योद्गमेनाक्रीणता कण्ठे परिष्वज्ञाम, तत्चगविगतजीवित तमह पापकारिणैौ मन्दभाग्या महाभाग मद्राच्तम (द) । (य) इतरेणेति । किञ्च नखमय म्हद न्तुरतया विषमतथा छेतुना चन्दन स्रवतेव स्थितेन उतार्नौछतेन इतर्रय दथिरीन पाणिना चद्रस्य यातपम् अतीवपौडाजनकमालीक निवारयनामिय ह्यितम्। यत्र क्रियीत् प्र धवीमि थी निरपेदतथा मसृष्टि । (त) थन्तिकैति । किञ्च उटूग्रौवेण भतएवाचिरीटूगतस्य जीवितस्य माग विलीवयतेव सतौ भन्तिकरिष्यतेन तप सृद्रदा कमण्डलुना समुपैतम् । भत्र प ाथ हेतुककाब्यलिङ्ग क्रियैोत् दीरङ्गाब्रिभावंण सङ्घर । (घ) कण्ठ ति । किञ्च कण्ठाभरणौक्वतेन मृणालवलयेन उपलचितम् अतएव रजनौकरस्य चन्द्रस्य किरण एव पाणस्तन सयम्योव बडव यमेन लीकान्तरमुपनौयमानम्ं। अत्र निरङ्गकेवलरुपकक्रियीत्प्र चोरङ्गा ब्रभावैन सुर ! (=) कपौति । मद्दशनात् मम दश नेन द्विगुणशीकोदयादित्यथ श्रब्रह्मण्य प्रक्कतसमयाशुपख्यितेवि घे रिदानौमिवावध्य पुण्डरौक इत्यद्य धब्रह्मगयमवध्यौन्नौ इत्यमरः । षषध्यंीतौ वध नाह्लैिौत्युक्ताविति तदथ । उह इस्त न उत्थितकरेण दिगुणौभूती वाष्योद्गर्मी यस्य तेन भाक्रोशता भावेप कुव ता मनस्ताप प्रकाशयता कपिञ्चलेन कण्ठ पक्ष्विज्ञामालिङ्गितम् । पापकारिणी मन्निमित्त एव मरणात् मन्दभाग्या बाख्य एव वैधव्यादिति च भाव । महाभाग तादृशख्पादिगुणग्राखिलान्तौवभाग्यवन्तम्। KSDDD BBB BBB BBB BBB BBSL B S S BBBBBB BB BBB BB না থব কির ে আঠ মান হওয়ায় চন্দ েব রস যেন ীি সারিত কবিতেছিল আর তিনি যেন সেই হস্তে চান্দ্রর কিরণ নিবারণ কবিতছিলেন। (ত) তপস্তাব বন্ধু একটা কমণ্ডলু নিকটে উদগ্রীব হইয়া থাকিয় তাহাব অচিরনির্গত জীবনের পথই যেন দেখিতেছিল। (থ) কপিঞ্জল র্ত হার গলদেশে একটী মৃণালবলয়েব আভবণ করিয়া দিয়াছিলেন তাঁহাতে বোধ হইতেছিল যে যম যেন চন্দ্রের কিরণরূপ বজুদ্বারা তা কে বন্ধন কবিয়া লোকান্তবে দিয়া যাইতে ছন। (দ) কপিঞ্জল আমা ক দেখিয়া হস্ত উত্তোলন করিয়া এখনই ইহার মৃত্যুবিধান করা উচিত DD BSD gDBB BBBB BBBB BBBB BSBB BBB BBBB BBSBBBBS BBB কপিঞ্জ লর অশ্রুজল পূৰ্ব্বাপেক্ষ। দ্বিগুণ হইয নির্গত হইতেছিল। তখনই মাত্র তাহার জীবন গিয়াছিল। আমি পাপিষ্ঠ। আমার ভাগ্যও মন্দ তাই আমি সেই মহাভাগ্যবান্‌কে সেই আ স্থায় দেখিয়াছিলাম । (१) रजनिकर । (२) नैौयमागम् ।