পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৫৮২

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वथायाँ चन्द्रापोडकत्त कमद्दाखेतासान्खनन् । भू८५ अन्याच्च रच सुरासुर सुनि मनुज-सिद्ध गन्धर्व-कन्धका भत,रहिता श्रूयन्त सहस्रशो विष्टतजीविता (थ) । प्रोचुश्च तापि जीवित सन्दिग्धोऽप्यस्य समागमी यदि स्यात् । भगवत्वा तु तत पुन स्वयमेव समागमसरखती समाकणि ता, श्रनुभवे च की विकल्प (द) । कथञ्च तादृशानामग्राक्कताक्कतोना महामनामवितथगिरा गरोयसापि कारणेन गिरि वंतथ्यमास्यद कुर्यथात (ध) । उपरर्तन च सङ्घ जीवन्त्धा र्कीट्टशी समागति • श्रतो नि सशयमसावुपजातकारुण्यी महात्मा पुन प्रत्य्,ज्जोवनाथ नवेनमुच्प्यि सुरलीक नोतवान (न) । अचिन्यो हि महात्रमना प्रभाव , बहुप्रकाराश्व ससार MA AMMMAS AMMAMMAAASAAAA xيعيسي مي (ঘ) মা নি। শ হল দ্রা ব্লৱম্বৰলিয় মুনি যম । (P) म' ति । तटापि औवित मीन्,च्च तं परित्यज्य त यf भस्य हृतस्य समागम वध्न जन वन्दिग्धोऽपि स्यात् भविष्यति न भविष्यति वति सङ्कविहीऽपि स्यात् । *िन्तु च समागमी न सन्दिग्ध षपि तृ स्रव थ वlवभषि नीय सुतरां स थ जौवनत्याग कथमपि नोपपद्यत इति भाव ! तु किन्तु भगवत्या त्वथा खयमेव तती महा पुरुषात् पुन समागमसरस्वतौं पुनरषि तवानेन सद्द भविष्यति समागम इति सचलनविषथा वाणै समाकणि ता सुतरामनुभव च भामिन एव प्रत्यचे च को विकल्प सशय स्यात् अपि तु कोऽपि नेत्यथ । भत समागमावम्झन्भावा `तद्थ तक्षवश्य क्रौवनध{रण क् त् यमिति भाव । (ध) ननु सा यदि मिथ्या ग्यादित्याष्ट्र कथ मति । अप्राक्कताक्कतैौनाम् अलौकिकाकाराणाम् अतएव महाअनाम् सुतरामेव च अवितथगिराम् अमिथ्यावाचाम्। गिरि वाक्यै गरीयसा प कारणन व तथ्य मिथ्याल कन्त कथम् भास्प्रद प्रतिष्ठा कुथ्र्यात् अपि तु कथमपि नेत्यथ । भर्ती ध्र वमेव समागमी भविष्यतौति भाव । (न) मृतजौवितयोश्र समागर्मी न सम्भवतौत्याइ उपति । उपरतन मृतेन । जौवन्तयास्तव । उपजात कारुण्य उत्पन्नद्य । एनं पुण्डरौक्म । `ौतवान द्रत्यनुभौयत इति भाव । BB BBBBBBBBB BBB BBBB BB DDDB BBBBBB BBB BBBB BBBB BBB BB BB BB BB BBB BBB BBBS SS0Lg KK BBBB BBB BBB ৭ (থ) এর দেব দানব মুনি বাক্ষস মনুষ্য সিদ্ধ ও গন্ধৰ্ব্বদিগের মধ্যে অন্য সহস্ৰ সহস্ৰ কন্তও বিধবা হত য়ু জীবন ধাবণ ক বযাছিলেন—ইহা শুনা যায়। (দ) মৃত ব্যক্তিব সহিত পুনরাব মিলা ইহঁতেও পাবে না হইতেও পাবে, এরূপ স\ য়ও যদি থাকিত তাহ হইলেও প্রা। পবিত্যাগ কব চলিত কিন্তু আপনি নিজেই সেই মহাপুরষেব মুখে নবাধ মিলন হইবাব কথা শুfয়াছেন , স্থত৭া নিজের প্রত্যক্ষাকৃত বিষয়ে আবাব স শয় কি ? (ধ) বি েযত কোন গুরুতব কাবণ থাকিলেও সেইরূপ অলৌকিকাকৃতি ও সত্যবাদী মহাপু যদিগের বাক্যে মিথ্যাভাব আসিয়া প্রতিষ্ঠা লাভ কৰিবে কিরূপে ? (ন) পুণ্ডবীক মরিয়াছেন, আপনি জীবিত আছেন , সুতরাং মৃত ক্তিব সঙ্গিত জীবিত ব্যক্তির মিলন হইবে কিরূপে ? অতএব এ বিষয়ে কোনহ সন্দেহ নাই যে আপনার দু খ দেখিয়া সেই মহাপুরুষের দয়া জন্মিয়াছিল তাই তিনি পুনরায় জীবিত করিয়া দিবার S8