পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৫৮৯

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ԱՀՀ कादब्बरो पूर्वभागे गन्धर्व कुल सुकुट कुटमल पौठ-प्रतिष्ठित चरणे देवखित्ररथ पाणिमग्रहीत्(ढ) । अपरिमितगुणाक्कष्टहृदयखान्यवनितादुर्लभेन (१) अध छताशेषान्त युरेण हेमपट्टलाच्छ्नेन कृत्र-चामर चिङ्गन महादेवौशब्द न पर प्रीत प्रसादमकरोत् (ण) । अन्धीन्धग्रमसवचैनपरयीच्च तयोयॉवनसुखानि सेवमानयो कालेनाश्वर्ययभूतमेिक जोवितमिव;पित्री , अथवा सवस्येव गन्धवकुलस्य वा जीवलोकस्य, दुहिढरत्न सुदपादि कादब्बरति नाम्ना (त) । सा च मे जकात (२) प्रभृत्धकासन गयनपानाशना पर प्रमख्यानमखिलविश्वग्भधाम द्वितीयमिव हृदय बालमित्रम (थ) । एकत्र तया मया च दृत्यगीतादिकलासु (३) छता परिचया, शिशुजनोचिताभिच्च (ढ) तखा इति । किच भसौ प्रसिद्ध सकलख गन्धव कुलख मुकुटकुट मख किरौटायमेव पौठ तत्र प्रतिष्ठितौ चरणौ यस्य स सकलगन्धव राजचक्रवर्तीत्यथ देवयित्ररथ तस्या मदिराया पाणिमग्रहौत् । (ण) अपरौति ! किञ्च भपरिमितंगुण र दिराया सौन्दर्यविनयादिभिराक्कष्ट हृदय यस्य स ताठ्ठागयित्ररय पर प्रीत सन्। भव छात न्युनीष्ठतम भशष समक्षम् भन्तपुरम् भ त पुरखखौजना येन तन छैमपइ खग्न फलकम् उपवणनाय तइाननित्यथ खाञ्छन विज्ञ यस्य तन छ्त्र वत्र चामरञ्च परिचर्थयाथ मृत्यसमेततइन मित्यथ चिङ्ग यस्य तन भइर्दवौशब्द न महिषैौबीधकमहादवैौत्युपाधिदानेन प्रसादमनुग्रइमकरोत् । (त) अन्यान्यति । भन्यान्यग्रेम्ण परस्परप्रणधस्य सवईने परौ परस्प्ररानुकूलधाचरणन यत्रवन्ती तयो सती तथlभट्रिविवर्थयी । पित्नीमौंतापित्री अथवा स्रव स्वं’व गन्धव कुब्जस्य वा भ्रधविा स्व स्य'व जौष्जिीक्षस्य एति औवितमिव भहितौय जौवनमिव भलौकिकसौन्दय्र्यादिसकलगुणाकरत्वादिति भाव । कादश्वरौ मद्यम् रुपेण तदन्झनीमादकत्वात् कादग्वराति नाम । भत्र क्रियैोत्ीचाखद्धार । (च) स्रं त । एक्ामभिन्नंख्यानजातम् धावनमुपवशनि शयनं पानम् चशन भोजनश्च यस्या चा परं प्र'म खानम् अतीवप्रणयपावम् भखिलवित्रभधाम समतविश्वासभाजनम्। भव द्रब्यीत्म चालद्वार । রহিয়াছে সেই সুপ্রসিদ্ধ গন্ধৰ্ব্ববাজ চিত্রবথ সেই মদিবাং পাণিগ্রহণ করেন (ন) এব BBB BB BBB B BBBBB BBBBB BBBB BBB BB BBB BSBB DDBBg উপাধি দান করিয়া অনুগ্রহ কবেন, সেই মহাদেব শব্দ অন্য র শীর পক্ষে দুল্লভ ছিল এব তাহাতে অন্ত পুরের অন্তান্ত রমণী মদির হইতে নীচে পড়িয়া গেল এব গন্ধৰ্ব্বরাজ সেই উপাধির সঙ্গে সঙ্গে একখান সুবর্ণফলক দান করিলেন এবং মদিবার জন্ত ছদ্মধাবী বেভ্রধানী ও চামরধারী xত্য নিযুক্ত করিলেন। (ত) তাহারা পরস্পর, পরস্পনের প্রণয় বৃদ্ধি করিতে যত্নবান থাকিয় যৌবনেব সমস্ত মুখ ভোগ কবিতে লাগিলেন, কালক্রমে কাদম্বর’নামে তাহাদের একটা আশ্চৰ্য্য কন্যারত্ব জন্মগ্রহণ কবিল , সে পিতামা-র অথবা গন্ধৰ্ব্বগণের কিংবা সমগ্র জীবদেকেবই যেন একমাত্র জীবন ছিল। (থ) জন্মকাল হইতে কাদম্ববী আর আমি একস্থানে উপবেশন শয়ন পান ও ভোজন করিতাম , তাহাতে সে আমার অভ্যস্ত প্রণয়ের পাত্র ও সমস্ত বিশ্বাসভাজন দ্বিতীয় হৃদয়ের ন্যায় বাল্যসখী। (দ) সে আর আমি, (१) वनितादुल मेन । (२) जन्झन । (३) गौततृत्यकलाप्त ।