পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬১৮

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कथाया कादम्वरोवणना । ६२१ मङ्गलौभिरुपेताभ्यां चितितलतारागणमिव नखमणिमण्डलसुइहङ्गयां विदुमरसनदीमिव चरणाभ्या प्रवर्तयन्तीम्,(झ)नपुर मणि किरण चक्रबालेन गुरु नितम्ब मर खिचोरुयुगल-सहायताभिव कर्चुमुद्गच्छता स्मृश्यमानजघनभागाम्, (अ) प्रजापति-कर दृढ निपीडित-(१) मध्यभा•t-गलित जघन शिलातल प्रतिघाता शावखस्रोत इव द्दिधागतमृरुच्चय दधानाम्, (ट) सर्वात प्रसारित दोघ मयूख मष्टबॆनथ या परपुरुषदर्शनमिव निरुन्धता (२) कुतूहलेन विस्तारमिव तन्वता യ്ക്കേണ്. ബ് منہ سہ ہم یہی عرہا۔ م_x می*لامہ ’’بر.Xحممہ अतिकीमखतया छैतुना नखविवरैण करणेन रुधिरधारावष वमन्तौभिरुदृगिरन्तौभिरिव ह्यितामि । अत्र क्रियीत् प्र वा । ईडयौमिरह,खौमिरुपेताभ्याम् चितितखख तारागखमिव गीलीज्ज्वलत्वसाग्यादिति भाव नखमणिमण्डश नखाभरणैौभूतरवसमूइम् उदइङ्गां धारयङ्गाम् चरणाभ्यां करणाभ्षाम् विद्रुमरसख प्रबालद्रवख नदीं प्रवराथनी मवतारयन्तौमिष खिर्ता कादम्बरौम्। अत्र क्रियीत्प्रै चालडार । (ञ) नूपुरेति । गुर्वीवि शाखयोनि तस्वयीभरेण भारेण खिन्न झान्त यदूरुयुगल तख सहायताम् भांयिक नितम्बभारवच्नेन साझाय्यम् कतुमिव उद्गच्छता नपुरधीमणिकिरणानां चक्रथालेन मण्डलेन ख्य श्नझाशौ ष्णचण भागौ यखाखाम्। अत्र क्रियाख्पफलीत्ग्रेचालडार । (ट) प्रजेति । प्रजापते स्रष्टु, कराभ्यां पाणिभ्यां दृढनिपैौढिती निर्माणकाले थतौवष्ठाग्रताविधानाय नितान्त निर्थातिती यी मध्यभाग कटिदैशस्तयात् गखितम् अथ च जघनमेव शिखातख विशालत्वात् कठिनत्वार्थति भाव तेग प्रतिधाताङ्ा तो द्दिधागत विषबिभप्त खावख्खनीत व ऊब्ष्य दृधानाम् । अत्र निर्झंक्षवष्जष्पषष्ठर्षिौषौ जात्युत् चाखड़ार । तेन च कटिदैणस्य नितान्तक्कश्त्वम् जधनदैण्ख विशालत्व कठिनत्वच्च ऊरुयुगखख च जावण्यमयत्व ब्यब्धत इत्यलड़ारण वस्तुध्वनि । (ङ) संव त इति । चव त प्रवारित समन्ताश्तिारित मथ खमण्ड्खा येन तेज धातएव ग्रैष्थ या परपुष्ष

  • حم. .به حماسهه .~ -جمہم۔ مہمہ rم*

উপরে রক্তবর্ণ মণিসমূহ ধারণ করিতেছিল এবং তাহার অঙ্গুলীগুলিকে বোধ হইতেছিল যে চরণযুগলের রক্তিম হইতে কতকগুলি কিরণ যেন নির্গত হইয়া স্থিরভাবে রহিয়াছে আলতার রসে রঞ্জিত লাবণ্যজলের ধারা যেন পড়িতেছে এবং পরিহিত রক্তবর্ণ বস্ত্রের দশগুলির অগ্রভাগ যেন লম্বিত হইয়া রহিয়াছে , আর সেই অজুলীগুলি, চরণালঙ্কারের রক্তবর্ণ কিরণমালার ভ্রম জন্মাইতেছিল এব অত্যন্ত কোমল বলিয়া নথরন্ধ দ্বারা যেন রুধির ধারা বমন করিতেছিল। (ঞ) তাহার উরুগুগল বিশাল নিতম্বযুগলের ভারে ক্লাস্ত হইয়া পড়িয়াছিল , মুডবা তাহীদের সহায়তা করিবার নিমিত্তই যেন নুপুরমণি হইতে কিরণমণ্ডল উখিত্ত হইয়ু জঘন স্থল স্পর্শ করিতেছিল । (ট) কাদম্বরীকে নিৰ্ম্মাণ করিবার সময়ে বিধাতা হস্তধারা তাহার কটিদেশটাকে দৃঢ়ভাবে নিপীড়িত ক রয়াছিলেন, হতরা তাহা হইতে বিগলিত এবং জঘনরুপ fলাতলের প্রতিঘাতে দুইভাগে বিভক্ত লাবণ্যস্রোতের ন্তায় উরুগুগল তিনি ধারণ করিতেছিলেন । (ঠ) একছড়া চন্দ্রহারে কাদম্বরীর নিতম্বমণ্ডল পরিবেষ্টিত ছিল , তাহা হইতে আয়ত কিরণশ্রেণী চতুর্দিকে প্রসারিত হইয়াছিল , সুতরাং সেই চন্দ্রহার যেন SSAS SSAS SSAS -۔۔۔۔۔۔۔۔-- ----------------- ------------- --- (१) निष्यौड़ित । (९) रुन्धता ।