পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬১৯

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ई.२२ कादब्बरो पूर्वभाग स्वर्णसुखेन रोमाञ्चमिव मुञ्चता कार्खोदान्त्रा नितम्बविम्बस्य विरचित-परिवेषाम्, (ठ) निपतित सकल-लोक-ह्रदय भरेणेवातिगुरुनितम्वाम्, (ड) उत्रतकुचान्तरितसुख दर्शन दु खेनेव चीयमाण-मध्यभागाम्, (ढ) प्रजापते स्पृशतीऽतिसौकुमार्यात् (१) अङ्ग लोसुद्रामिव निमग्ना नाभिमण्डलोम् (२) श्रावत्ति नोमुद्दइन्तीम, (ग) त्रिभुवन विजय-प्रशस्ति वर्णावलोमित्र लिखित मन्झथेन रीमराजि” मञ्चरी बिस्वाणाम्, (त) अन्त प्रविष्ट कण् पल्लव प्रतिविम्बेनातिभर-(३) खिदयमाण दयन निरुन्धतेब खावरणादिति भाव कुतूइलेन विस्तौण स्यापि विष्तार र न्वता दुव तेव खकिरणरिति भाव तथा स्प्रशसुखेन रीमाच्च मुञ्चता त्यजतेव खकिरणषु रोनाश्वधम जनयतेत्यथ काचौदाबां रशनागुणन श्लेिष्व्ि विश्वख विरचित क्कत परिवेष परिवष्टन यखास्ताम् । भत्र तिस्त्र एव क्रियीत्म्न वा रोमाञ्चमित्यादौ इत्यनु प्रासन्ध कानुप्रासश्व त्य तेषां निर्थी निरपेचतया ससृष्टि । (ड) निपतितेति । निपतितानि परमसुन्दरत्वादारूढानि सकलानां लोकानाम् यानि हदयानि मनासि तेषां भर्रण भारैणेव अतिगुरु नितम्बौ यखाताम्। अत्र हेतूत्य चालढार । (ढ) उमतेति । उन्नताभ्यां कुचाभ्याम् अन्तरित खौब्रत्याइयवहित यन्मुखदशन तख दु खेनेव हेतुना च`यमाणो मध्यभाग कटिर्दशी यस्यास्ताम् । अत्रापि पूव वर्दव हेतूत्म चालद्धार । (य) प्रजेति । थतिसौकुमार्थात् कादश्वरौशरीरस्य नितान्तकीमखत्वाड ती सा शती निर्याणकाले धा यत प्रजापतॆवि धातु निमग्नां श्रौरॆ प्र६िष्टम् वङ्गं च। चक्' ष्ठस्य मुद्रां चिशमिव चावति नौम्। श्रावर वगमध्यगर्ता गाभिमख्खौम् उदइन्नो धारयनौम्। अत्र जाजुत्ग्रेचाखडार । (त) त्रिभुवनैति। मन्झघेन लिखितम् भाअनस्त्रिभुवनविजयख प्रगतिवर्णावर्ली प्लाघासूचकाचर' पौभिव रीमराशिमचिरौ बिभ्राणं दधानाम् । शाबुत् च । (थ) भन्तरिति । भन्त प्रविष्ट खच्छत्वादन्तर्गत कचा पल्लवप्रतिदिग्व यस्य तेन एतदैव प्रतिविन्व छदयस्य इतखानौयमिति कवेरभिप्राय । अतिभरेण खनवीरत्यन्तमारैण खिद्यमान यत् हृदय वचन्तन कर्वा करतलैन ঈর্ষাবশত পরপুরুষের দর্শন নিবারণ করিতেছিল কৌতুকবশত সেই নিতম্বমণ্ডলের আরও যেন বিস্তার জন্মাইতেছিল এব স্পর্শমুখম্বারা বোমাঞ্চই যেন উৎপাদন করিতেছিল। (ড) সকল লোকের মন যাইয়া আরোহণ করিয়াছিল বলিয়৷ সেই ভাবেই যেন কাদম্বরীর নিতম্বমণ্ডল, অত্যস্ত ভারী হইয়াছিল। (চ) উন্নতস্তনমগুলে মুখদর্শনের ব্যবধান করিয়াছিল <লিয়l cসই দু খেই যেন কাদম্বরীর কটিদেশ ক্ষীণ হইতেছিল। (ণ) কাদম্বরী নদীর জলাবৰ্ত্তের ন্যায় যে নাভিমগুলি ধারণ কংিতেছিলেন তাহা দেখিয়া, বোধ হইত যে, BBB BBB BBS BB BBB BB BBBS BBBS BBB BBBB BBB BBBBBBS उथन ऊँींश्द्र व्थूtर्छब्र झिहे ८षन भिभध्र श्झेब्रॉछ्लि । (ड) कॉमत्रद्रौ ८ष cणांमcथौ १iब्र* করিতেছিলেন সেগুলিকে বোধ হইত যেন কামদেব নিজের ত্রিভুবনবিজয়ের কীৰ্ত্তিস্থচক বর্ণাবলী লিথিয় রাখিয়াছেন। (থ) কাদম্বীর স্তনমগুলের ভিতরে, কর্ণপল্লবের প্রতিবিম্ব পড়িয়ছিল এব সেই স্তনমগুল কামদেবের পাদপীঠের ন্যায় ভারী ছিল , সুতরা তাহার (१) सौकुमार्थन्। (९) नाभिनखखन् नाभिखाखौम्। (३) भर ।