পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬৩৫

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Age कादथ्वरो पूव भाग महाम्ब्रेतानुरोधेन च बिदितकादश्वरीचित्ताभिप्राया र द्वत सुख-न्यस्त-दत्त शब्द-निवारण सज्ञा प्रतीहाय्याँ वेणुरवान् वीणाघोषान् गीतध्वनीन् मागधीजयशव्दाख सवतो निवारयाञ्चक्र, (थ)। खरितपरिजनोपनौतेन च सलिखेन कादम्बरी खयमुत्थाय महाश्त्वतायाच्चरणौ प्रचाख्योत्तरोयांशकेनापसृज्य पुन पर्यङ्क मारुरीइ । चन्द्रायोडख्यापि कादम्वर्या सखी रुपानुरुपा जीवितनिविशेषा सव विश्वभभूमिमदलेखेति नाम्ना बलादनिच्छुतोऽपि प्रचालितवती चरणौ (द) । महाखता तु कर्णाभरणप्रभावषिण्य सदेशे (१) सभीम पाणिना स्पृशन्ती, मधुकर भर पयैस्तच वार्ष्णश्वतसमुत्च्विपन्ती, चामरपवनविधुति (२) पयैस्ताञ्च (३) षखवा वल्लरीमनुष्वजमाना कादम्वरोमनामय पप्रच्छु (ध) । सा तु सर्खोप्रेम्णा ग्टह (थ) मईति । किच्च विदितकादश्वरौचिताभिप्राय प्रतौड़ार्य महाश्वताया अलुरीधेन सहतेषु मुद्रितेषु मुखेषु चर्खइस्तै दत्ता अब्दकरणनिवारणसभ्रा शब्दकरणनिब्बतिसद्धेती याभित्ताक्षथाभूत सत्य । मागथैौग स्तुतिपाठिकानां ये जयप्रव्दारुतांथ ! (द) त्वरितेति । कपेण सौन्दर्य ए अनुरुपा खसट्टशै । औवितनिवि शैषा अत्तैौबस्ने इभाजननित्यथ सव विश्रभभूमि सकलप्रकारविश्वासपात्रम् । मर्दन खसौन्दर्ययान्मत्ततया लिखति भडयति यनां चितमिति मदलेखा खिखते पचादित्वादच । (ध) महेति । कर्णामरणप्रमाया वष छटिरखास्तौति तषिान् भ सदैश कादम्बथ्र्या खान्धर्दमे । मधुकरायाँ भरेण पर्यस्त ख लत कर्णावतस कादग्बय्य कर्णाभरपौभूत पुष्पम् उत्चिपन्ति पुनय थाख्यानमुतीखयन्तौ । तथा चानरपवनेन या विधुति सञ्चालन तेन पर्यस्ताम् इतशती विकौर्णाम् अलंकवल्लरी कादस्वव्याँ कुन्तल कखापाग्रदैयमित्थघ अनुष्वजमाना इर्खानामग्रन्तौ । धनामयमारीग्यम् । प्रचक्कधातुदि कर्चुक । AAAAAAAS AAAAA AAAAA চন্দ্রপীড় তাহার উপবে উপবেশন করিলেন। (থ) প্রতীহারীর কাদম্ববীর মনের অভিপ্রায় বুঝিয়া এবং মহাশ্বেতার অনুরোধে মুদ্রিত মুখমণ্ডলে ব উপরে হস্ত সংস্থাপনপূৰ্ব্বক, শব্দ করিতে নিষেধের সঙ্কেত জানাইয়া, সকল দিকের ব শীর রব বীণার ঝঙ্কার, গীতের শব্দ ও স্বতিপাঠিকাদিগের জয়ধ্বনি নিবারণ করিল। (দ) কোন পরিচারিক তাড়াতাড়ি জল আনিয়া দিল, কাদম্বর নিজেই উঠিয় তাহাৰার মহাশ্বে গর চরণযুগল প্রক্ষালনপূৰ্ব্বক উত্তরীয় বসনারা মার্জন করিয়া পুনরায় যাইয়া পর্যাঙ্কের উপর উঠিলেন। এদিকে সৌন্দর্ঘ্যে কাদম্বরীর অম্বরূপ, ভালবাসায় তাহীর জীবনের তুল্য এবং সকলপ্রকার বিশ্বাসের পাত্র মদলেখা নামে কাদম্ববীর কোন সখী, চন্দ্রপীড় হচ্ছ না করিলেও বলপূৰ্ব্বক তাহারও চরণযুগল প্রক্ষালন করিয়া দিল । (ধ) তাহার পর মহাশ্বেত হস্তদ্বার, কর্ণালঙ্কারের প্রভায় আলোকিত কাদম্বরীর স্কন্ধদেশ স্নেহের সহিত স্পর্শ করিতে লাগিল , ভ্রমরের ভরে কাদম্বরীর কাণের ফুলটা পড়িয়া গিয়াছিল, মহাশ্বেতা তাহ আবার তুলিয়া দিল , চামরের বায়ুতে কাদম্বরীর কেশ কলাপ আলুলায়িত হইয়াছিল, মহাশ্বেতা তাহ আবার সমান করিয়া দিল, এই অবস্থার (१) अपाङ्गदैी ! (२) बिच ति । (३) पर्यस्ताखक A SAAAAAAAS J AMA S AMMMMMS SSMSSAAAAAAS"مہ۔ ب۔۔۔می. .یم-بں۔ م۔۔دسر..--