পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬৯

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gદ क्षादब्बरी पूर्वभामे प्रथ विसजितराजलोको “विश्रम्यता”मिति खयमेवाभिधाय तां चाणकाल ( ) कन्धकाम्, “वैशम्पायन प्रवेझतामभ्यन्तरभ” (२) इति ताम्बूलकरइवाहिनी मादिश्ह्य कतिपयाप्तराजपुत्रपरिष्ठतो नरपतिरभ्यन्तर xाविशत् (ण) । भपनीताशेष भूषणश्व दिवसकर इव विगलितकिरणजाख चन्द्रतारकाशून्य इव गु#नुभोग ससुपाद्रत ससुचित व्यायामोपकरणां व्यायामभूमिमयासीत् (त) । स तस्याञ्च समानवयीभि सह राजपुत्र छातमधुरव्यायाम , श्रमवशादुचिक्षध न्तीभि कपोलयोरोषदवदलित सिन्धुवार (३) कुसुम मञ्जरी विश्वमाभि , उरसि निह्यत्रम्-(४) चिकृत्र हार विगलित सुप्ताफल प्रकारानुकारिणोभि , खलाटपइके अिष्टमै चन्द्र शकल तलोक्षसदख्तविन्दुबिडम्बिनीमि खोदजल कथिकासन्ततिभि मचिस्तक्षानां मणिमयस्य,खाना रचितेन शब्द न च तदाखानभवन समाग्टस् सव त द्यभितमुचेखितमिव षभवदित्यब्द्य यूव मम्बु,ङ्ग' ।। (ऋ) अथे त । विसजि ता लधुरवचनेनाभाष्य परित्यक्ता राञ्जलीका सामन्ता येण स तथीतो नरपति शूद्रक्ष खथमेव तां चाखाखकण्वकां वित्रम्यतां विश्राम क्रियतानित्यभिधाय उज्ञा व ग्रन्यायन स शुक चभ्यन्तर ग्टइमध्य प्रवेझतां नैौथतामिति तान्व,लकरडवाहिनी पण वैौत्रिकाधारियी स्त्रियम् भादिष्झ कतिपयरख्यसख्यक भाप्त विश्वक राजपुर्व परिहत परिवेष्टित सन् अत्यन्तर भवनमध्यम् । (ती अपेति । अपनौतानि देहात् विमुक्तानि यशेषाणि सकखानि भूषणानि आभरणानि येन स अतएव विगलितविारणजाल सन्ध्याकाले विशुप्तरश्मिसमूइ दिवसकर सूर्य इव खतस्तजखित्वादिति भाव । तथा चन्द्रतारकाश्य गृगुत्रामीण गुर्भुदिखार विख ताकाश इव विशालदेश्त्वादिति भाव । समुपाध्तानि किड्रै नॉतानि समुचितानि योग्यानि व्यायानोपकरणानि परिश्रमकरणोपयोगिद्रव्याणि खौइमुद्गरादीनि यसा ताम् । अत्रीपमाजङ्घारयोनि देिी निरपेक्षतया समृष्टि । नाय खखिदानौनानी धनियुवेव केवखबिलासपेबल आसीत् येन प्रचुरतरमारार्थमभ्यवहार्थ वातपौवरअरीरी राविदिव निद्रामुपैयादिति। (ণ) তদনন্তর মহারাজ শূদ্রক উপস্থিত সামন্তরাজগণকে মধুরালীপে বিদায় কfয়া নিজেই সেই চণ্ডালকন্যাকে বলিলেন- তুমি এখন বিশ্রাম কর এবং তাম্বলকরষ্কবাহিনীকে আদেশ করিলেন—“বেশম্পায়ুনকে বাটীর মধ্যে লইয়। যাও”—তাহার পর স্বয় বাটীর মধ্যে প্রবেশ করিলেল । (ত) প্রবেশপূৰ্ব্বক দেহ হইতে সমস্ত আভরণ উন্মোচন করিয়া সন্ধ্যকালীন কিরণজলি বিহীন দুৰ্য্যের স্থায় এবং চন্দ্র ও নক্ষত্ৰশূন্ত আকাশের স্থায় শূন্তদেহে ব্যায়ামস্থানে গমন করিলেন। সে স্থানে পরিচারকগণ পূর্বেই ব্যায়ামোপৰোগী লৌহযুগের প্রভৃতি আনিয়া রাখিয়ছিল। (१) चयङ्गाज ! (२) चक्ष्वन्तर खानपानायणादिगा च सुखिगमेन कारथेति चभ्यवतरमश्रणादिना चौपचर्यताम्। (३) घबगखित सिनसिन्धुवार । (४) रतित्रम रतिविश्वन ।