পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬৯১

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હe = कादब्बरो पूर्वभाग शशिग्नर्थया निवार्धैमाश्रविकरस्रश' (१) सुचिरं तत्र'व स्थितवती (च) । तस्रनाच कथमपि सखेदमवतीर्यय चणमिवावख्यानमण्ड़पे (२) स्थित्वोत्थाय रुखलनभियेव निवेद्यमानोपहारकुसुमा शव्दायमानमंधुकरै जलधारा धवल नख मयूखीमुखाना मनुगल (३) गखङ्गिवलय कण्ठबन्धानिवोपपादयन्ती केकारवोद्दिग्ना भवन शिखणिड़नाम, पदे पदे च कुसुमधवलान करेण ग्टहलतापल्लवान् (४) मनसा च देवस्य गुणगणानवलम्बमाना तमेव क्रीडापवतकमागतवती, यत्र स्थितवान देव (ड) । तमुपेत्ध च “देवेनात्र मरकतशिन्ना मकरिकाप्रणाल प्रस्रवण-सिच्यमान रवि प्रति साईया हेतुना सितातपत्रापदेशेन श्र तच्छत्रच्छलेन शशिना चन्द्रण निवार्यमाणो रविकरस्यशाँ यस्या सा ताट्टशैौ च सतौ तत्र सौधशिखर एव सुचिर खितवतौ । थत्र श्र तच्छत्रमपङ्ग,त्य चन्द्रख्यापनादपशु,ति दस्जङ्कार ! (ङ) तक्षादिति । किख तथात् सौधशिखरात् कथमपि कष्ट न सखेद भवधिरईण सकटम् भवतौर्य भवख्यानमण्डपे वासग्टई चणमिव ख्यित्वा उत्थाय खखनमियेव प्रत्यन्तोन्झनस्क्कतया अखच्यमाणत्वादेष.पहार कुसुमेषु कादश्वरी स्वलिल्वा पतिष्थतौति भयेनेव प्राब्दायमानैम्धुकरी निवेदामानानि खर्कौयरवरैव विज्ञाम्यमानानि उपहारकुसुमानि यस्य सा । भत्र हेतूत्म चालडार । तथा कैकारवेण तेषां मय,राणामेव कैकाशब्द न छहिप्रा कादम्बरौ अतएव जखधारावङ्गवला ये नखमय खा कादश्वय्यां एव नखकिरणास्तषु उन्झ खानाँ जलधाराश्वमेण उब्रमितवदनानाम् । अत्र धान्तिमानखडारो व्यज्यते । भवनशिखण्डिनां ग्टइपालितमय,राणाम् गलेिषु कथठ ष्वित्थलुगख विभिनयथ्ध अव्ययौभाव गखह्नि समपणमात्र यवाथ पतङ्गि वखय कटक कण्ठबन्धान् उपपादयन्तौ कुव तौव सति सामध्य उद्देजकानां नियन्नावश्झकत्वादिति भाव । अत्र क्रियीत्म चालरूार । किञ्च पर्द पर्द प्रतिपदचेप करेण इस्त न कुसुमध बलान् ग्टइखतापल्लवान अवनससृष्टवल्लौकिसलयानि धवलम्बमाना दधाना तथा मनसा च कुसुमवडवखान् दैवस्य भवती गुणगणान् अवलम्बमाना दधाना चिन्शयनौ । বৌদ্র নিবারণ করিতে লাগিলেন—এই অবস্থায় তিনি বহুকাল যাবৎ সেই অট্টালিকার উপরেই অবস্থান করিতে লাগিলেন। (ঙ) তাহাব পর তিনি কোন প্রকাবে কষ্টের সহিত অট্টালিকার উপর হইতে অবতীর্ণ হইয়া কিছুকাল বাসগৃতে অবস্থান করিয়া উঠিলেন , তাহার পব কাদম্বর অন্তমনস্ক বলিয়া লক্ষ্য না করায় পুষ্পের উপরে পড়িয়া যাইবেণ” এই ভয়েই যেন ভ্রমরগণ শব্দ করিয়া তাহাকে বিক্ষিপ্ত পুষ্পগুলি জানাইয়া দিল , আবার তিনি গৃহপালিত মযুরগণেব কেকাববে উদ্বিগ্ন হইয়া শাসনের নিমিত্ত তাহদের গলদেশে বলয় অর্পণ করিয়া যেন গলবন্ধন করিয়া দিলেন তখন সেই বলয়গুলি নীচের দিকে সবিয়া পড়িতে লাগিল এব সেই ময়ুরগণ জলধাবার স্থায় শুভ্রবর্ণ নখের কিরণের দিকে মুখ উত্তোলন করিতে লাগিল এব কাদম্বরীদেবী প্রত্যেক পদক্ষেপে পুষ্প থাকায় ধবলবৰ্ণ গৃহলতার পল্লবগুলিকে হস্তে ধারণ ক রয়া এবং পুষ্পেব স্তায় ধবলবৰ্ণ আপনার গুণগ্র ম মনে মনে চিন্ত৷ করিয়া সেই ক্রীড়াপর্বতে আসিলেন যেখানে আপনি অৰস্থান করিয়াছিলেন। (চ) সেখানে (१) किरथस्यशा । (१) चाखानमखपे । (३) अनुपज । (४) क्वचिदृग्टच्पद नादि ।