পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৭৩০

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बाबायाँ चयिड़कावएना । ૨૦ स्तववैरिव रक्ताशोव्हविटपविभूषिताङ्गनाम्, (ड) बखि-रुधिर-पार्शeचवी समागतोख वेताखेरिव तारुँदीयमानफलसुण्डोपशाराम्, (ढ) गद्याण्वरकब्यिर्तरित्र कदलिकावनँ भंयोत्कण्ठितोरिव ब्रोफखतरुषणीखासोईकेशैरिम खर्जरवनँ समन्तादुगइनोछताम्,(ण) विदलित वन करि कुग्भ-विगलित-मुझाफलानि दधिद रुणानि बखि सिवथ (१) लुब्ध-मुग्ध-छावावाकु ग्रस्तमुझानि विविारद्भिरख्यि । ब्र परिग्रहदुर्ललित क्रोडद्धि केशरि किशोरको रङ्गुन्योद्देशाम्, (त) प्रभूत-शभिर कुक्क टकुलानि येषु तै अतएव अकालै दशिता कुसुमतवका यो क्षरिव खिरी रज्ञकुछुटक्कखानामेव कुसुम क्षवकतुख्यलादिति भाव रसायीकान विटपवि यालश्राखाभि विभूषितम् अड्न चलर यख्याक्षाम्। अन्न क्रियोन् স স্বাক্ষ্মঞ্জস্ব । (ढ) बलौति । किञ्च बलौनामुपहारौभूतप्राणिनां रुधिरपानळणया समागत व तालभू तथिमेव रिव ताल शालश्च दौथमाना फखान्य व मुण्डानि तषामुपहारा यस्र ताम् ताखफखानां मुख्समानाछतेरिति भाव । थल जात्युत्ग्रेचानिरङ्गकेवलकपकयीरञ्चाब्रिभावैन सडर । (ण) यडति । यदाज्वरेण पशुवधदशनात् ख१धातडतापेन कम्पितरिव वायुना कम्पनादिति भाव कदलिकावनी रनाकाननौँ । मर्योर्कण्ठित रिव भर्योत्कण्ठाजनितरीमाञ्चतुख्यकण्टकराब्रिदशनादित्याब्रब चौफखतरुषण्ड वि खडधसमूहै ! तथा त्रासौष्ठ केशरिव ऊइ पत्रनिकराणां भयेनोरौभूतकेशवहृथ्झमानत्वादित्यभिप्राय खज रवनै समन्तादृगइनौक्कतां सब तो निविड़ौक्वताम् । भव्र प्रथमा हितोया च क्रियीत्यघा ढतौया तु गुणीत्य चा षाक्षाच्च निधी ग्रिपञ्चतया संसृष्टि । (त) बिखितेति । बलिखिकधषु पूजोपक्ारौभूतानि षु रशनोत वित्यथ लुब्धा खेीझषप्त मुग्धाफ्षेषु बखिसिकथश्वमान्म ढ़ा ये छाकवाकव कुक्क टात रादौ यक्षानि बलिसिकथश्वमार्दव कवजितानि भगन्तर मुक़ानि काठिन्यप्रतैौते परित्यज्ञानि रुधिरारुणानि रझाप्तातया भरुए.वर्णानि विदलितेभ्यो विदारितेश्य करिकुणध्र भय दिबलितानि यानि मुनाफखानि मौशिकानि तानि विकिरक्रि ग्राणिताङ्गतया लोभाद्रीत्वा मांसाभावान् पुनवि चिपि SAe SAeeMS AMAeAMAAAS কতকগুলি রক্তবর্ণ অশোকবৃক্ষ দেবীর প্রাঙ্গণভূমি অলঙ্কত করিম রহিয়াছিল • কুকুরের ভয়ে বহুতর রক্তবর্ণ বনকুকুড়া সেই অশোকবৃক্ষের ক্ষুদ্র ক্ষুদ্র শাখার ভিতরে ঘনভাবে লুকাইয়। ছিল, তাহাতে প্রতীতি হইতেছিল যে, সেই অশোকবৃক্ষের বৃহৎ বৃহৎ শাখাগুলি যেন অকালে পুষ্পস্তবক সকল প্রকাশ ও রিয়াছে। (ঢ) বলির রক্ত পান করিবার ইচ্ছার সমাগত বেতালগণের ন্যায় তালবৃক্ষসমূহ, ফলস্বরূপ মুণ্ড সকল উপহার দিতেছিল। (৭) কদলীবন যেন আতঙ্কে কম্পিত হইতেছিল বিদ্ববৃক্ষগুলি যেন ভরে উৎবষ্ঠিত হইয়াছিল আর ভয়বশত খজুরবনের কেশগুলি যেন উচু হটয়াছিল—এই অবস্থায় সেই বনসমূহ, দেবীর প্রাদশভূমিকে ব্যাপ্ত করিয়া রহিয়াছিল। (ত) সিংহবিদারিত বন্ত হস্তীর কুত্ত্ব তইতে রক্তাক্ত মুক্তাসমূহ নিৰ্গত হইয় পড়িয়া রহিয়াছিল সেগুলিকে পূজার অল্প মনে করিয়া লোভী বনকুকুড়াগুলি, প্রথমে গ্রাস করিয়া পরে ছাড়িয়া দিয়াছিল, এদিকে দেবীর পক্ষভুক্ত (१) वनकरिकुकविदखितमुक्ताफखानि विदलितवनकरिकुश्वविगलितरमानुनाफखानि नचदधिरारुणवशि । eit {