পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৭৪৪

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कथांयाँ चन्द्रापीडस्योजयिनीप्ररधानम् । ewo नौतपर्याऐषु (१) चितितल लुण्ठन () पाशल-सटावधूनमानुमितोत्साईषु रटहीत-कतिपय-शष्य कवलेषु पीतोदकेषु स्रानाद्रपृष्ठतया विगतश्वमेषु पुरोनिखातकुन्तयष्टिषु स यतॆषु वाजिषु, वाजि समीप विरचित पण स स्तरे (३) च दिवस गमन खिन्न-परिवत्ति तयामिके (8) सुषुप्सति सैनिकजने, क्कत बहु-पावकप्रभा-पोत-तमसि दिवस इव विराजमाने सेनानिवेशे चन्द्रापीड परिजनेन वादेवी स यतस्व रुद्रायुधस्य पुर परिक्ायित् प्रतीहार-(५) निवद्वित् शयनेीयमगात् (द्) । निषरशस्य चास्य तत्चणमेव पस्मर्श दु खासिका द्रदयम्, अरतिग्टहीतच्च विसर्जयाम्वभूव राजलीकम्, अतिवल्लभानपि नाललाप पाश्ख खान, निर्मौलितलोचनो یہی*بیمہ بن ھمی ملائی خیم. خمیه यै पादपाखोष तलेषु आवासितेषु मृत्यँवास प्रापितेषु सत्सु । शाखासु अवसतानि सलग्रानि अपनौतपथ्र्याशानि गात्रच्यावितपख्ययनानि येषां तेषु चितितखे लुण्ठनेन पशुिला ध लिब्याप्ता या सटा जटास्तासाम् भवष,ननेन कन्यनेन अलुमित उत्साह पुनगैमनीदानी येषां तेषु ग्टईौता कतिपये शष्यकवला घास यासा यतषु पौतानि उदकानि जलानि यसा षु स्रानेन भाद्रौणि पृष्ठानि येषां तेषां भावस्तया तथीताया हैतुना विगतश्रमेषु वाजिषु भर्श्व सु पुर भग्रत निखाता प्रीथिता या कुन्तयष्टययासु संयतेषु बहषु सत्सु । वाजिनामश्वानां समौपेषु विरचिता ययनाथ निर्मिता पण सन्तरा पत्रमयाख्तरणानि येन तछािन् दिवस थावढ्गभनेन खिन्ना केचित् परिश्रान्ता अतएवान्य परि वतिता यामिका प्रइरिणी येन तषिान् सुषुसति खसुमिच्छति सति । तथा छतानाम् उत्पादितानां बङ्गनां पावकानामग्रौनां प्रभाभि पौतानि ग्रस्तानि नाशितानि तमांसि अन्धकारा यख तस्मिन् तथीत सेनानिवझे रात्रावपि दिवस इव विराजमाने सति । प्रतौहारेण दौवारिकेण निवेदितम् ग्रयनौय शय्याम् । (घ) निषद्यखति । किच्च दुखख आसनस् यासिका प्राप्तिरिति दुखासिका । भावनात्र च हृझते वृति छतिख्यिते पय्र्यायाइ ण षु च इति यासधातीश्ववेि वुञ । निषशस्य शय्यायां खितस्य धस्य चन्द्रापीड़स्य । বৃক্ষের তলে স স্থাপিত হইলেন, ঘোড়াগুলির পালান খুলিয়া গাছের ডালে ঝুলাইয় রাখিল, তখন ভূতলে লুণ্ঠন করায় তাহাদের জটাগুলি ধূলিতে পরিপূর্ণ হইয় গেল আবার সেই জটাগুলি কম্পিত করায় তাহীদের পুনরায় গমনোৎসাহ অনুমিত হইতে লাগিল, কয়েকটী দ্বাসের গ্রাস গ্রহণ করিল, জল পান করিল এবং স্নান করায় পৃষ্ঠদেশ আর্দ্র হইয়াছিল বলিয়া পরিশ্রম দূরীভূত হইল , তাহার পর সম্মুখে কুন্ত (শস্ত্রবিশেষ) প্রোথিত করিয়া তাহাতে জখ দিগকে বন্ধন করিয়া রাখিল , আর সমস্ত দিন গমন করার পরিশ্রান্ত প্রহরীদিগকে পরিবর্তিত করিয়া সৈন্তগণ শয়নেব নিমিত্ত অশ্বের নিকটে পর্ণময় শয্যনিৰ্মাণপূৰ্ব্বক শয়ন করিতে ইচ্ছা করিল , বহুতর অগ্নি প্রজালন করায় তাহার আলোকে অন্ধকার বিনষ্ট করিলে সেনানিবেশটী দিনের স্থায় শোভা পাইতে লাগিল , এমন সময় কোন ভৃত্য, ইস্রায়ুধকে বন্ধন করিয়া তাহার সম্মুখে শষ্য নিৰ্ম্মাণ করিল, কোন ८नोयाब्रिक शाहेब्रॉ cग गNवांन छांनांद्देण, उर्थन চম্রাপীড় সেই শয্যায় শয়ন করিতে গেলেন (ধ) এৰ তিনি সেই শয্যায় অবস্থান করিলে, (१) प्राखावसङ्गतपर्नौयपथ्र्याऐबु ! (२) जुठण । (३) प्रतिरै । (४) परिकलिअतथानिकै । (५) प्रतिकार ।