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পাতা:গৌড়লেখমালা (প্রথম স্তবক).djvu/৪৮

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লেখমালা।

आ-गङ्गागम-महितात्
२३ सपत्न-शून्या-
मासेतोः प्रथित-दशस्यकेतु-कीर्त्तेः।
उर्व्वी मावरुण-निके[त]नाच्च सिन्धो-
रालक्ष्मी-कुलभवनाच्च यो
२४ बुभोज॥(১৫)

स खलु भागीरथी-पथ-प्रवर्त्तमान नानाविध-नौवाटक-सम्पादित-सेतुबन्ध[नि]हित-शैलशिखर-श्रे-
२५ णी-विभ्रमान् निरतिशय-घन-घनाघन-घट्टा(टा)-श्यामायमान-वासरलक्ष्मी-समारब्ध-सन्तत-जलदसमय-स-
२६ न्देहात्। उदीचीनानेक-नरपति-प्राभृतीकृता-प्रमेय-हयवाहिनी-खरखुरोत्खात-धूलीधूसरित-दि-
२७ गन्तरालात्। परमेश्वर-सेवा-समायाता-शेष-जम्बूद्वीप-भूपाल-٭ पादात-भर-नमदवनेः। श्रीमुद्गगिरि-समावा-
२८ सित-श्रीमज्जयस्कन्धावारात् परमसौगत-परमेश्वर-परमभट्टारक-महाराजाधिराज-श्रीधर्म्मपालदेव-
२९ पादानुध्यातः परमसौगतः परमेश्वर[:] परम भट्टारको महाराजाधिराजः श्रीमान् देवपालदेव[:] कुशली
३० श्रीनगरभुक्तौ क्रिमिला-विषयान्तःपाति-स्वसम्बन्धाविच्छिन्न-तलोपेत-मेषिका-ग्रामे समुपगता-
३१ न् सर्व्वानेव राणक। राजपुत्र। अमात्य। महाकार्त्ताकृतिक। महादण्डनायक। महाप्रतीहार। महासा-

^(১৫)  রথোদ্ধতা। “निकेतनाच्च” পাঠ লিথোগ্রাফে নাই; অধ্যাপক কিল্‌হর্ণ তাহার সংশোধন করিয়া দিয়াছেন।

^٭১  ধর্ম্মপালদেবের খালিমপুরে আবিষ্কৃত তাম্রশাসনে “ভূপাল” শব্দের পর “অনন্ত” শব্দটি সংযুক্ত ছিল; এখানে তাহা পরিত্যক্ত হইয়াছে।

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