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পাতা:গৌড়লেখমালা (প্রথম স্তবক).djvu/৭১

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নারায়ণপালদেবের তাম্রশাসন।

चेतः पुराण‑लेख्यानि चतुर्व्वर्ग्ग-निधीनि च।
आरिप्सन्ते यतस्त्यानि चरितानि महीभृतः॥(১১)
१९ स्वीकृत-सुजन-मनोभिः सत्यापित-सातिवाहनः सूक्तैः।
त्यागेन यो व्यधत्त श्रद्धेया मङ्गराज-कथां॥(১২)
भयादरातिभि र्यस्य रण-
२० मूर्द्धनि विस्फुरम्।
असिरिन्दीवर-श्यामो ददृशे पीत-लोहितः॥(১৩)
यः प्रज्ञया च धनुषा च जगद्विनीय
नित्यं न्यवीविशद-
२१ नाकुल मात्म-धर्म्मे।
यस्यार्थिनो सविध मेत्य भृशं कृतार्थाः
नैवार्थितां प्रति पुन र्व्विदधु र्म्मनीषां॥(১৪)
श्रीपति रकृष्ण-कर्म्मा विद्या-
२२ धरनायको महाभोगी।
अनल-सदृशोपि धाम्ना य श्वित्रन्नलसम श्चरितैः॥(১৫)
व्याप्ते यस्य त्रिजगति शरच्चन्द्र गौरै र्यशो-
२३ भि-
र्म्मन्ये शोभान्न खलु विभरामास रुद्रादृहासः।
सिद्धस्त्रीणा मपि शिरसिजेष्वर्प्पिताः केतकीनां
पत्रापीड़ाः सुचिर म-
२४ भवन् भृङ्ग-श्ब्दानुमेयाः॥(১৬)


^(১১)  অনুষ্ঠুভ্।

^(১২)  আর্য্যা।

^(১৩)  অনুষ্ঠুভ্।

^(১৪)  বসন্ততিলক।

^(১৫)  আর্য্যা।

^(১৬)  মন্দাক্রান্তা।

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