পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, দ্বিতীয় খণ্ড).djvu/৩৪১

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లిe a প্রবালী—অগ্রহায়ণ, ১৩৩৬ [ ২৯শ ভাগ, ২য় খণ্ড ക- അക്ഷജം = ബ് ---ബ** ७ यवांग शूनकषांनिष्ठ शांन गांश्ब्राप्छ । इ३ sांबि*ि छगांश्ब्र१ शिष्ठहि, हांबांडांप्त नव कषा राणा नखक् नग्न - s ( s) ७७ ७ ७* शृ♚ांब्र “बांबद्र बांननांप्रब वृङ८मह लांटहांtब्र cजांब्र cन७ब्रॉब्र” कशॉ जां८छ । बाब८ब्रञ्च नभांशि जt८हां८ब्र जाहकांबूण । कांबूण बांबटब्रब्र गवांश्-िभचिद्ब्रड फ़िज Smith's Ozford Heiory of India •tatww ess *fötw cwest wtru i (२) ७s श्रृं*ांद्र बांटह,-“cभांभळांख ८वत्रत्र वाउँौष्ठ नांइ खझै बांक्*ांzहब्र जांब्र ¢कांन अङ्गौब्र बांध तनी बांब्र बांहे ॥” चांफ्रांर्गी बङ्घबांक्षं लब्रज़ीटबश्च शश्७णि श्रर्ष्टिल cणश् ८क्षित्रि शङिङ्ींदम। लांह छहांप्नद्र बांब्र७ छ्रे गङ्गेौद्र-जांकवब्रांबांशै-भरण ७ क९णूद्रीvt qui «rw öraw wttw i (See Aurang:ib, iii. 140: Studies in Mughal India, p. 28). ( ৩ ) ৪৮ পৃষ্ঠায় লেখক “ফতেহপুর সিক্ৰী” নামের উৎপত্তি अनtछ इ** ययांप्नग्न छंप्लष कब्रिब्रां वजिरङएकृन-“cकांन्tā यङ्कङ, डांइ वण कfीन ॥” मजांहे जांकवद्र उछब्रांझे विछछब्र गब्र निझैगैब्र बांभकब्र१ कtब्रन-‘कङांखांम' व विलग्न-ननंग्रेौ । जनभ কিতাবাদ লোকমুখে ও সরকারী কাগজপত্রে “কৎপুর"-এ পরিণত EFnfcu 1 (Smith's Akbar, p. 105)). - (s) s> शृéांग्न जारह ३-“क्रङश्शूद्र निबंगै गब्रिडाख हeग्नांब्र मष८क थशांम बड़े-बकशब्र बांम*ांह 4थांटन जांनिम्न शांन कब्रिट्ठ लांनिtज जानक cजां८कब्र जांनी शां७ब्रांtछ c*थ cमनिभ छिन्नं प्टौब्र अचत्र छैनांननांग्न याiथांठ हऎरङ जां८ण, छाडे डिनि बांकि अकबब्राक शनिम्नांश्रिrणन-इब्र छूमि 4षांप्न थांक चांभि कजिब्र बाहे । नग्न जांधि थांकि छूमि छजिब्रां बांe ॥ थांभां८षम्र छूकtन प्रथांप्न थांक बनछव । ●कशां८छ* बांकि जकबङ्ग * इन श्रृंब्रिडाiगं कtब्रन *

  • अवाप्नब्र भूण cकांब गठ नॉरे ! se१० इडेंtठ seve मांtजङ्ग *ब्ल९कांण श्रृंर्षjख-७डे se-७७ व९नब्बई यकुठ?tण जांकवब्र कदनूब्र-निबौदछ बांन कब्रिम्नांझिरणन । केहांब्र °ब्र २७ वदनब्र छैiहांटक नgriटव बांन कब्रिtठ लग्न ॥ ठांहांब्र गब्र छिबि जांशांब्र किब्रिग्नांछिtणन (s**v)-झ९शूद्र-निबगेtछ बांन बांहे व जांब्र कशन७ সেখানে বাস করেন মাই ৷

८** अलौत्र क्रिध्वंठौब्र मॉषबांग्न बTiषांठ बांकबाब्रग्न निकौ-डjitजब्र कांब्र* इङ्गे८७ *ोरब्र न ; कांब्रल २०१२ मांप्लब्र ●थांब्ररखड़े मकौन्न ठिन ठौब्र शृङ्गा रङ्ग बद९ ॐांशांब्र वृछ्राद्ध गtब जांब्र७ s२-२० ब९मब्र जांकवब्र निजौtठ वनबांन कब्रिग्रांझिरजब । नियौ-ठाiप्नंब्र धूल कांबन, -डौषण ब्रजङहे : निजीब्र बज्र धव िcछोप्ने झोरम cकोमम८७ श्रीनौग्न खज श्राeग्रां यांश्लेष्ठ नोtछ । कtण ब्रांछनलांनन्, जन६था हाठी cशांछl, ऍके ७ छांकब्र-बांकटब्रब्र चकांन वृङ्का षष्ठि । विठौग्न कांब्रथ,चांजी बभूनांब्र छनड : 8खब्र-नक्तिध हैrद्ध थांङभ५ cब्रांष कब्रिवाब्र ७ ककि4-भूर्ति बडिमान गां#ाश्वांब गएक बषिकठब्र इक्षिाबनक । (a) a৬ পৃষ্ঠায় জাছে,—শ ফতেহপুর সিক্রীয় ] পাঁচমহলের शकि५-नकि५ ८कोt१ *cनांtबब्रां श्रहल ॥' cणां८क शtज-‘अब्रिब्रबखभांबँौ बॉम्ब अरूबब बांननांप्रब अकबन cवश्रब cनषांप्न थाकिटठन । डिनि ८क हिरणब झेह ऍक छांनी बांब्र न । &थवांग 4श्रें-ष्ठिनि जांtईनिtब्लब इंडेॉन व गड,निज श्ध्णिन " - जॉकबtइङ्ग इंहेांब--घ्नौ जडैग्नां मांथांब्रt१ब्र बtषा बांख थांब्रäी जां८छ् । अब्रिब्रभ छबांग्रेौ बी भब्रिब्रम-8ज-बमांबैौ ( जर्षीं९ “cन बूtनब्र tत्रघ्नौ' ) बद्रशृङ्ग-गखि विहांढौ भरणब्र कछ । seeर जांष्ट्रब्रांबी भांप्न चांकदब्र डीशष्क रिवार कtबन अवर बरे श्चूिगशैब्र ऋडरे अशबौबब जब्र । निकांत्रांब्र cदषांटब बांकष८ब्रङ्ग नवार्षि बादृक्क छांहांब्र निकटोरे अद्विब्रवअमtीव्र मजोर्षि अबिब्र ! अजिब्रव-त्रयांबौ cष cगांडू*ञ इंडेन-4हे भांबांचक छूल चानक श्रृंखटकहे इांब शांझेब्रां८ह ; cषत्रब, s४s७ मांtण &थकांचिफ अहन्धष जडिएकब्र Agra (*६ >>s ) । बांकब८ब्रब्र बङ्ग१भाक cवणtभन्न धरश cरूह cष cगाडू*ौज व इंडेiन छिटलन बव्रण विवांन कशिांब्र cखांबड़े नछठ कांब्रन बांडे । निes बइन्द्रप्नब चौकृठ caब्रिड-शूद्रव श्रब्रभचब ।। 4३ कांबर१ बूननमाप्नद्रा वित छननौ cभद्रौप्रू जडौष अकांब्र करक cगtथब, aवर ऍक्रशबच् यूनजघान भश्णिांब शृङ्गाब गब्र cष-नांदत्र जलिहिछ हरेtठन ठांशांदङ 'cबग्नौ'ब्र नूनानांव बूख ह३७ । बड़ेब्रप्श३जांकवtब्रब्र अषभ श्लूि-गङ्गौ ‘बद्रिब्रम-छबांबी अव१ बांछ। ‘अबिब्रश्-भकांनौ' इब्रेब्राटइन । वृङ्गाब शब्र ठांशंरक्ब्र ** नूठन नांभ cणांकबूष नश्करण ‘त्रद्विब्रव' व 'बब्रिग्रत्र-विवि' ब्रट्न ऍक्रांब्रिछ इलेष्ठ । छांहांब्र कटल tजां८कब्र क्षब्रिञ्च जरँग्नां८इ tग भब्रिग्नम खाँ अब्रिब्रम-विदि निकहरे ८कांन इडेन बहिणाब्र बांब-भूमणबांनौ बांध श्रेष्ठ गांtब्र न : जठaव जांकरtब्रब्र झुड़ेiन बहिर्वौ fsज ! সিকাগ্রায় জাঞ্চবরের সমাধি বর্ণনাকালে লেখক জীঠদের লুণ্ঠনের कथा शिथिब्रांटइन । किड जानण कथाकेोश् वजिटल छूजिब्राटश्म । 4 डून$ ॐांशांब cरून जांब्र७ जtबtरूब्र श्छ । गर्दछेकानब्र भtषा पूंन कझ cजां८कब्रडे खांबाँ थांटकcय, छांहांब्राँ निकांटाiग्न ८ग नभांथि अनि ब्र cनषिtङ गांङ्गे८ठtछ, rगथांप्न बाब्र जांकवtब्बद्ध बृहtनइ बांडे ! २७** गांप्ण थां७ब्र२बौष शृथन शांकि*ां८ठ] भांद्रt*ांटमब्र गश्ङि बूटक ব্যাপৃত্ত সেই সময় সংবাদ আসিল—গ্রামবাসী কয়েকজন ছুর্দিান্ত खाi# निकांबांब्र नभांविहण ज*विज कब्रिग्नाटछ-बांकरु८ब्रब्र अङ्गिखजि झिब्रछिझ कब्रिब्रां ब्रिां८झ्। rखांप्छब इवृह९ कफेकeणि छांत्रिध्नl, ভিতরে প্রবেশ করিয়া, সোম-কৃপা ও বহুমূল্য পাথরের কাজগুলি किंझिब्र शू#णांके कब्रिग्रांtइ-बांश मtत्र जड़ेब्र बांडेtउ गोप्द्र नारे ठांश नडे कब्रिग्ना निद्राटङ । “गावteब्र! नमांषिइज धूक्लेिब्रा गद्ब्रांरष जांकबरब्रब्र जहिश्वणि जासप्न शूक्लांडेब्र उचौडूठ कबिछाएइ ” (See Manucci's „Storia do Mogor, ed. by Wm. Irvine, i, 142, ii.M 320 m : Smith'§ Akbar, p. 328) এরূপ পুস্তকে জারী ও তুর্কী নামের বানান সম্বন্ধে বেশী সঙ্গতির DHS DD DDD DS GDDD BBBDSDS DDBS BTuDDS SDDDDS cजषांब्र भकशांठी, किड़ “ब्रिछिब्र” वा “जजठधांगू" ब्रांथिब्रांद्दछन, যদিও তাছা উচিত ছিল “রজিয়া” ও “ঈলতুতমিশ • লেখা। এই «4-fwth swą oferswi rem wtrą (sce Cambridge Ilistory of India, vol. III). निझौ जांश मशकांछ खांज hand book-4ब अ७tव वांछ । crow of Sir Henry Sharp's Delhi (2nd. ed., 1928) s Havell’s Agra ce the Tij (2nd ed) ortż wfwl cytoja एठोंश्। शरैश्ण,खभिांग्काङ्ग विचांग, बांशंiर्भंौ जश्झ८१ छिनेि GIशांब्र' ंख८खङ्घ। अtनक अध न६८*ांक्षन कब्रिtद्ध श्रृंiब्रिटबन ॥ छांछ-बझ्ल नचएक खैiहांदक wn wootton Studies in Mughal India outwo wo “Who built the Taj Mahal r" owls offirs outs कब्रेि । शूलएकब्र झांग, कां★श्र ७ छिंज छ९ङ्कडे । बह फ्रेिंज ब्रि भूखकथांनि णार्टएकङ्ग क्लेिखबांहौ कब्रिसांब cछडे कब्रां हर्हेब्रांtइ-4 क्षिtग्न डिबि इब्रप्ट जप्बककै नक्ज७ हर्केब्रांद्दछन । किड ब्रछब-बशूदनाङ्ग चछांटब शूखकथांनि गां#प्रूब्र कछल्ले ऋबांब्रश्चन कब्रिटङ गांब्रिटव,७iह नाकारहब ब्र1 ।। ♚बtजखवांर्ष बटनTां★ांवTांद्रे