পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/১২২

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৯২ প্রাণী—বৈশাখ, ১৩৩১ [২৯শ ভাগ, ১ম খণ্ড tषगांtनानिङ्ग गा इन। शांüछ ७ढ़ीt{ नाकिन शान्न भोज़न (श्रृशोर कौशाम् रागै-श+ उिन5द्र (श 6 शतानि निन शब्द, षांत ७क् १{ *नरानन मृष्क्ष राज्ञै छेि (श्शूगों★षांशग्नशंनरेमपूि१६ा। शा? १, इहेश ऍशतू १६ १३ रशिंश। দ্বীণা মিন্স" পালা আছেন। ##"-क्लग्न निर्मल 5 जशे षष्ठि। {िि प्ौिन' ं (शाौि ७ १ौशैन हे प्रिल् गतः। प्रकारक स्,ि '७ ऐ% जैशी निर्वि আশ্রদ্ধা ছিল। কিন্তু ডাক্রমে নির্ধন চা তৈাৰীতে हरेश ऎीन श; उरे वगै*रांतू षशरः श्रेन ন—এমন কি চাকি পাইলে স্কোর করিা তাকে विभूश् नृशाः क्लब १आशे शख्रिस्न न। ड़ि (रनै गि (रुस् हे गांठाउ श्१ (जों| रुउि शैक्छ इल्लेख्न, अंश रु.१ 5'क्ष प्रश् dरे नशा षििशरु क्वौ*रांतून उद्गुरु५8 १ान रुस् िश्रेष्। (भोग 5'-अंङ्गग्रो चार घाँश प्रकश्-झिँगान्न গ্রন্থ হইডেন। निईज शांतर १:{ रक्षिां षष्ट्रक्षुकर्म १निऊ, পিতার ডাকে তার চমক ভাঙ্গিল উঠি চা'এর ব্যবস্থ रुउि शहेछ। १रुि श्रृङ्ग 5 गरे। आश्।ि घाँस्याङ्ग १लैशनीउ िि}शन रगि १ष्ठि। श:ा আড়াল মাটির উপর তাহার একান স্থাত দেখা যাটড, शाख शुरु श्रृं की श्रेष ९ क्षेली चल्यङ्ग फ़ाः स्प्लि। रागाशङ राग्नि ठि, ि १जैन श्। यग्निरु रिशौक दू१: क: ष१ि {ान একটি গ্রা আস্থ ৪ ডি আন্তঃ স্বাক্ষর স্বর शर्मिष्ठ १३शश। उहे, प्ले-कििन १:३षांशन उ# ३ञ्च १ कोठूल्-रागा वि इंश (शंश। पछि क्षउि व8ि उ१म गर्थछ:िरु र;ि (ठिश्-(इी माझे, क्लो बारें, १रि शिाब्दि "शांत बन ज्वाला शृश९ আমাদের আনন্দ-বেদনার চেতলা, আমাদের স্নেহাতি, गश् शक्लिष्ख् श्रेंtषाञिउग़ा उद्गाठि शृं। উঠিয়েছ। আমাদের বানাবো,প্লে বাগা স্থা দুই গেল। তারপর চা'এর গোট আগাম गि क्वौशराष्ट्र षांशाख्8 रगिाए शब्द रुतिज्ञ ‘उमृशं★' उद्गणी वाहूिन, (ग्रे भूमिशन वनानि -ाग्निरु शनराग्न (शजैठ गत्व गरे (शं५॥ घरान का, ब्जिा श्रौि J Jी स् ि९ गङ्गांता गिरूि १गिा। श,ि क्श्विभ गर् एक एाठि राष्पक्ष tसा लग्लिश गरे शनराग्न धनतः शूरः १ाङ्गानि झग्ाि जनि। निश्ि तिानकश भक्लिस् षगिा (भौशः। (गरे बांग्ला निवान, किशमिशंङ, (शोऽस्मिाण निष्ठाथञिशक ऍशन कांस अशांश्ठि अरुि, शशं गईशानै गरिशिष्ट करनामाष्! षि शग बारेश, गैग्न ९ शेषूत राज्ञिाषेऊ , बाल शर ऋब षगरी रे श्री थीं शत नििश। का नि तां प्,ि"निम् षा इ" মেয়িকা মত দি দি ক্ষ লোকে এক ५ी (वार्षि अंतिरु श्रे, नििश्,(वाश गिरे, -व श्र न, कज़ श्रेष्ठ कज़ (रेि कूशठ५ ज्नः8 दाक्षिः, नैज्॥ {ंति चो१९ ौशॆि পাৰে! सूरुतः १षांनतःि ऐश्वरः श्रेक्षणॆौऽ-{नि षीतःि पि३मञिशश िि७ोष१औं लि अिशेलन। षिज्ञ ःि नंङ्ग कृष्6 (रे चाँ १ घन्। शीिर र श्लो शता ? ािप्ले উড়ি,গে আর একটু কাছে আদি বন্তি। (खांन8 नि र क्वौवराटू (आठिश्नान स्श भग्निऊ, बांगारू शृश्मकtा शशि दूवहेल्म। ऐं नैी तिां (तः षीशानः शूरिौ सं; हुनु सूर्य श्नका छोरा रेशं९ ७को शीरुश, गाजासिमझारेश९७ोस्रजा झ। {गोनाशीतितः ऎw॥१॥ं धरॆ नििौ नििश।