পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/১৯২

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

y RN) দেশবিদেশের কথা—বালা $85 थशांनछ; शांद्वांगै बॉर्षि १*शैशंशांश् । क्रुि जाति ११११११ यांशांश् ?ीक्ष्म बांश् । बांग्लोबिंकि हरैन छह बांशा| शृङ्गेर। तिहु बांग्लांट्स शूर्पङ्ग इवृहे बॉ३ि बांौशिक विक छि रठिश् िन। शी बांशा अर्सक्रिौन स्लjां५ $रः बांनक ॉरें, ठशहरँश छांशं व्छ छैjकांश १िक4हांह बांग्लशुक्।' নারীরঙ্গাশ্রম शारि क्लशिंगैशष्टांगक हैठ वैरू अश्वनांनाः बां{ि dदृौ४ हैसूरु शादशांश क्ष, रिश बांशति शश्नश् ि$क नांौद्गङ्गांव अग्निर्छन भाषां छांनाईwitान। एांशं★ १गनr, “तांशांस्थानं★ििछ शांन, विंशः: शाश्नर्मित थठिक्प्लकtखगाः शूह" कईक बाण, वमर्शश रश्म:१ीरु १tरत" शैरष्ठिर १शंछि, अझ, निििग्न ४ ठि श्रेंड्स शंस, एांशंद्र तिरह बताछ हैtश राख्षिांप्लाई थीं। छांटाढ़ भिंग्लिा ऍऍ át tत शां५ देशं; यदिांtा अणश्{ DD DDDYS BBB BB BBB DD dरेt१,गशांश्छ१श्र?१बांौ झांडूष ४ गयैषा 4ब्ल" जांश्न 8 व"शांनक्रिां**? यष्ठ अछि (हेन भग्निराई (शरे बांग्लश्कः यगर्शश्छष्ठौिशिक श्रांतीः प्रश्रुि यक्तिांश् ९ अग्नlitा ६:श:णिश्रुिति ग्रांदू:ांह (तां क्छन। श्ठनिौ१झूठाइ रुरण होtछ (कन थढ़ा: भूक्लेिशांष्ठ क,ि१मल्लः ५१व* शैरन गंणन रुतिांद्र शांतून ब्रांश् शठे क्लिगर ठिकूल बडःथौि श्छ, थाई नृगशष्ठति शि;िठ श्रँछ|१९; $श्न*ि १#शूिशक्लि शांत्रिशौढ़ि शंक यन्ति्री संहितांश् १ीनशगङ्गांश्; ५ (रीं, ११ शैद्धितःि इनकाग्निरु९ एांश १ी न। शशांक्ष परे अं★थठांग्लाहरू ठिक (औ#न७ बकिक्व न, श्य्ठांगैिशम्ल भाष tरश् | बाँझश्झ शं। शांश्मा शं श्रेष्ठ भुल्ज्ञिाष्ठ का, (११ र স্বগুনি কোন গ্রাণিার স্বাঞ্জাপূর্বক পুরাঞ্জারে शैठ कशिीर्णा इशाशनर्शित कड़ि१ीक्, [कः | t""; 鄲鄂田剛剛四1 ५३गढ़श शनै}१शांशंtऽभशांtछ शर्मशैरन शं"न क*ि* शब्द भा, ५ प्लेक्इ स् ि१क्षा प्रान्तिी गर्छा राक्षति भक्षित किौठ हरेः (, रे ग ौिग्न थांबा प्रश्नैtा बांधकांना ऍक्छ &क नोकश्च॥ $रः ए९. "किरत्रांराप्त 4क शंौ नष्ठांशं अििहैठ श्र। dो बग्नाइस् अन्तिाब्छ बन्न रुशको सिझन। त्यो शंfि गृह-यषांतर 0ा१मा शशः वैशृङ tीगांश शं ुौं झा िशंश सन्धि क्रि रा, ${ बांग्ल९ रु:ि"ा भां★ छविां; ४१गौरक्लिन भश्थि१ि९ "ीक्षा शिाः। dरे थर्शिाना चाtिर मैग़शा िि, शर्ती बां","षांश बांग, शंष्ट्रशंग्लिा बांश बांश शशति taशांशांशी राहि शंकरे शंtा छै"श्छि। हरेtश३। धांश छाण क,ि ऍक्छ; ६;ष-क्तिनांक अकागदे निश निष्ठ गीषर्षांशृणांt घर्ष थांब ९ अर्क अकां★ गांशंशाांब झझि जनप्रिंगिtष कांििशा रीता करिन।' श***ए जानक ििहे छपाशांक १३ कां{# शंक शरैःांश्नtाशि बांश प्रशे श्रेगां★। अशंगैठ बांश शह १शा शीश५३ शिक्षा बांगौन रुiिाणांििहै। (s tानं★ १शw tार्ग-लीगावा श्रे शक्नऊ शांघ्निा शशाक ऐाॉौन (शtार्णन छनोक्षाको प्लेब्रुगै १३ देि३ गतज्ञ का s पत्न कनिष्ठ ह३त। সমাজৰ্ত্তি— शिांन-गि 4झांझिना गक श्रेष्ठ धेशन मणोंकि वैदूल श्रावि श्रीां{ शनांशांश्व (, tिip, जरी१३छ्रेक्षां", जांकि, वांशीन थष्ट्रशिांत शरैः। निकांद्रशांशंशांशैरईशान रागि $शर्मित $की स्थिान रुति, र एक्का बांशै १३ ( ११ष्ठ बाँध्यान १शैछ श्?tत। लिॉनर कांड़ि;ौनिस्कृि|(8iantill: 0.lethnital citation|निकांशैः यांतान बल्फिन वांश्मै श्रेरl दूरा (शी शिं ग्नि शंशी भैं| *ठ कां गति ठू३१ न|| प्रांतानढ़ांौन तान् शिष्ठा बांश, शंगङ्गांन; (कांब (* tसन ति्रंशता नि *िहागis.नि् नक्ष:ए१lः श्रद्दैीतःि यश"िांशांनति न; एशः शांढ़ि रांति रा, करु श्रेर &रः छांमार १ऑशांऽ अछूटा छछ क्छ र श्रैर; गपूर ु कि शि१ऐाढाक्कि शिंश होउ र यछ कि छैिो {{ा तिन * शर्मिानन होंठ (कां★शश कष्टॉक iां, प्लेग्रां ियांसारणपििt; हा। ११{छ (कां★ tसांग शिांििविकलांछ दक्षिांtइन इंह रुग्लि, एांशं* शैः छि पृtछ निर्मं प्लांशि रुतिः श्र। बानकौन प्रबििग्नु९७१मझरिोसििप्ले। आंतिर्शी ििरुरि यिि, ििम् क्षेलक्गिा'तुर्त ‘स्तिांश् रुतिान न गिः अत्रौढ़iः कठि थछठ धानतिं न ចូeff, ধাপ্রাপ্ত ছাত্রাঙ্ক টোপনি বা ঘূৰি গাঁ গ हैीतःि इङ् नैतिौ।। १नि् हे,ि ५ा हि ७ शैरंशैः। 4'ि हि' तििष् गतःि प्रतििङ्गांशनाििनिश्नतः। प्रt] श्निांश भू*ि** क्लिासन हि लि गणनि कमि। छिरहेछ। 'हे गि बल्ल रु १५ोरुि कि निषङ्ग" शंक; क:ि ह**, १: ऍप्लांट्स ऑश्नि श्रेtछ dष्ठश् चtने dतूर्ण छूरे स्नि रश्;ि बां★११४ राशीः श्रान"पििदए श्रेंt१] (ਾਰਿ) बख्नम् शंग्निा नावावा गि ३ि-ांप्त वृिश बद्रग्नमृिशनरुकिौंif छछ कि शिा रारशी में १नि्। धििलन। षांशं द्विः शृश हैशि्रतः निि १ए बताछ है। शशै होगांश् (१,१छ*****ना १ौकः ििनश्छिग्निश्नजपूब्रटtथगैः शागढ़ पैद्वर्ण निं★ हि य8 शरैशंtः।। 3 । वैणकौतांढ़ इगां★ tैथि छै:¢:दूण ९॥ वैशाहू शंक ऑी (लिह१ थः कृग ४ ईशंगै"ागारां भूग़ाथिां:इन। (इौि) দাতব্য চিকিৎসালয়:– जपूछतीत्वांतिद्व भारत निरृशतःि (शांतःि शरां, टि. इतः ततः॥ ५्रौ प्ाििितशीतांशनििश्ह्रांतः। lo