পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/২৩২

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

२ ग५]] ভারতের বাদি পশুসমস্ত ybo १क्षऐष्क्राि नैि (गांका (दक्लोछि श्रे স্বান কৰি, ইয়াং আশা করা না। নোয়ে प्रशंशन १,ागरुङ :ि शशि १शतिशांगा शुशना कछ अंश्छ घर्षर्शन रुशिाश। त्रिशंश शप्तर्षि (झौ श्५ि १शाए शिशशाक्ष झु ।ि शंश अिऐ९ पिन झि6 शत् होस् (१शेश्न, एांश (*रांशैः शशाक ऐझगशार शृंग्लिफ़शिए रुद्रांतिक्ष। মৃত, যা দাড়ি ও সান্তি ग़ग्निहार ििश् सूक्ष्म रक्ष९ गारणा गए। शक ६ ख्राि तरे | श्रेश १ाणु गशश गब्बर न। छातृज्रः षठि १.ाऊ tान। शनर-गशंला ठितृतग्न ऐछि ती चरनश्नि निर्शनं ७१:न दुईशान! t१ (शार्थ (कांनी दिशा ५क्श्रु কুঁড়ে ইনে, আগামা মারিার যোগিতা আশা #ठ श्रेन, विकांशंi (नांताए *न रुन शंष्ट्र प्ले गरे। फ्रान्ती तत्त्व शिा गरेष्ठ श्रेर। षांशानिकट्टे श्रेष्ठ अग्निाईि। छतिष्ठाउन (शशिरे ति। ििक श्रेषश्।ि घशास् िक्वধারণ নাগরিষ্ঠ করি ট্রা। এার *षा घरांत घांनं, स्नि शुषा घरातू ऐकौशन कनिष्ठ हरेर। ऐरक्नोििन घांशातू १३छ्रे ति। तित्व प्रिशष्४िगो रंग। झरे बोल्न नौता गरती जै aाशैबुर्थिस् ६। प्ारे षांशाना गिौरृिजा शीणं नैतः लेि। " (शाक्यूप्ले"स्त्र शि५ ईशरा-बाख्राझ नौ स् िहेर। सिर्ष बाँच्न ७ शैसिरिस् (pdthe) छाता गि प्ले। तििश्शर रिरिचान सोशी७ aीं प्ठेशी ७ *** श{रुघ्नौकरुि dशांन तछि ?ान न। अझै .का ििम (Indian Ta ta "mitte)e्रकाशिता स्त्रीिण४१{णि **गिक घश्याणि १ीक्ष। पिछका १/१ा गाइ ( ऐरी दिईश्म ** शश शम्शशति चाषाका ក្រៅ त्सेज् श्रृष्। गर्शा शबाख्रा चािर रि इ* र प्रशस् िषशत्रू शंण श्रेष्ठ षषाक करिी रेक, dों र छन घशर रघ्नरे झक्ष ति। शैिीणैरीिलनिश्शिर हि,ऋण त्रिसन्न शंका?ौकसा, ({ांशतः श.ि "क्षिा, श्ान्न७७ श् गराए रारा উপাশি রাগ্রাহ্ম। (*न (तमि शृथांश् १ॉाॉर्ष (ए भङ्ग(शुरु • t-१५ रुद्र श एरनिरांनशंका (* ¢प्लांशः अछांर गकिए शब। क्ट्सि क्लारे घाणेकशशशौछdष्ठि १णा (१जै१ज्ा जावश (शांश्ण| श्रेणश्, (ण गशश (*ः क्लिड़नैिण ताक्लि ५१५ १५ष५{क्षमता কেন ট্রোণী, তা উপলব্ধি করার না। অঞ্চ दरे षर{नौ (गासिनंीठिा' नि त' ंमिता। रुद्रा आशामगणु घास्त्रौ। षांश सगरे घरष्ठ थाश् ि(, शंकर श्रेष्ठ १श:छ५ ११ श्रे९ शशिर (आं गङ्गठि शl ওলাউঠ ও কান্তরোগ নিবার করিা ডাঙ্কারের মানসান্ধর ৷ে উপকার করিড়েছেন, ডেট্রনিীি िित्wका छछूत (anthrax) ५त बगांउहाि (talics)(तातिान कशि ११४ शंनत ऎष्ठान एमण ऎ१कनकञिइन। dश् (१शंनारा हर षष्ट्रराशग, रेशशूिश्रे चौशी शीरा ऐगा गरे। स्रिकाaिशरौष५षा। इी ठि श्रेण ऐश्! श्ाभौतः क्षत्रं नि षङ्घ्रिौढिंी (नां)शक्षा सि। तिीि प्लेभारे एंो झोल्युशैशु आका अिस्मा शास्त्रस्। रुष्ट बन्न निराक्रेिa्रौणिकं शिशान श्रूं श्,ि रुए नए प्रशशं विष dएकछि रिङ्गए, तिग घाश झी शंशं सताि शैनोीतः ५लौतिाशीः नी भूमिछ रुक्षिांश, छांह थांशंक १ऊरजाः। शररश् ि( हि ॰सीत श्रिावातः ऐ नििौ। कप्लिाइ एांह (१गरे तर्टशांन¢रश्न घांगका ति। झांaलिन्'्रीनिीतिि' िितशतःि

  • ाiप्रथाक।'एाभिार भौक्रि श क्ष