পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৩২১

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२१8 প্রাণী-জ্যৈষ্ঠ, ১৩৪৬ (...(शश९"ुनार, उशा ? म कै प्रिक्ष। तििष्ठु५श्नरे ७ीशंसि गरे।। १ांश्ातः (लान ऎ१ी नारे। गतःि सा दशा शशल:राजa|११: षार्दितः। ऐठिन (ः कछि श्शेर। dरे ७रुषङ्ग गशांन एीशः शीत, एोशस् {नि सनैिः ख्रि.७ (श Wी, अंशक श्रृं वर्षअितिझअश क्षेत्र। ज्ञ (शन धर्शाउitष उशस् रिश्नर्था न श्रेउ श। निश्न (१urतशांतरे शाशेऽश् छाश गरिज्ञैौठिा घ (क्श्रें झाँउि गि। ज्वाइ ििश्% ११ ড়েছে দেখি আৰু চুটি আদি বলি, “বাৰ, छ१ि१ीर {ठशां, मूत्र " নিরঞ্জন নি,"এর গরের বার এলে তোমা নিয়ে १ां।, ।" মান্ধিয়া ক"িা কমি গরে স্বাবে বাবা।" निद्रश्न रिश्$ष्ठर रनिश, "थानकनि श्रृं★, श।" মায়া ভাব, কং এবার আরম্ভ কৰিলে যে সত্ত্বে शशिष्ठ 5ः न। षांतर येई श्रे,"षाशाह झछ *ि घांगूर!" নিরঞ্জন বলি"তোমার জন্যে সব আনব, যা যাচাওঁ।" ७श्न (गांझौः शशंसनाः षष्ठिशा भू िश्रेश शंश গিীমাকে খবর দিতে চলিয় গেল। निशाना tन शूद्र। गठन गकांग प्रांनाशन शां।ि (शर्थस्रउ हे गरे। शांौि शतांश श्रेछ रिष्॥ श्रे। षीम्।। १ांशैका गता प्ािौ ५ए१ानि अंरक्छ। रि, उश्|(शशन९ स्रा गरे। शैि अज़रे उशत शां★ रुनिक बांत् ि? देश: %; (गिरन रुश्6ा भू१ (शशेर िरु!ि शक्त एशां (नाौ नििर।। {तः १ी,१ा सीौिा निन्नाद् छा उश: ५७शं,ि उशंसारें स् िप्रांतू अंशंत शक्लिन क्ष शरीर १ ग़र गरे र रक्षा शक dरे शै कि रंगरति शीर। क्इि गरिौ शि। पाशै; रिस् ितिर ज़रेब्रु षांििीना झा () शैनति बाग् म् ि५सें हरेरगिर। शशंद्र गाश शंशि* श्रेग गरिौरु चशैक्ष, ११, १७, जरु नििर्वन स् िझोस्। एांश् हॆण षां सैनि १ीनि नाऽ ति } १ १ा। शशातनैः (तानि ौनितः। तॆन (श्रीः। हिंकृतः। (श१6,अिवभूउि झुल छाइ ब्रा। अंशुरु যেন শেষে গোড়াগাড় ীি ীিতে না হয়। ইংৰালে इ१षाः नारे स्कृि१श्लल गठिtान श। रेलूषतिक्षांश नि। गि,"tशक, (औझ्हे १रहि। ति झ( ५१ीघ्रैल १ीरृतः ।।' किरनि,'शाश्रtार। श्रेणियनिन्।ि বুড়াগড়িঠিকমত মাকে গড়া কিনা জানা। ডাকে शाश शंग वंशका १iर,ति का शक् ि।।' रेयूर,ि"क्षर १रा एtरोा ख्रेि श्रीर' रिक्ष ,ि"म्प्लेििरन्छ। शशरति ইীিত বানাংি নি। ভাল চা িগোটাদুই সন্ধানে আছে, বাংলা দেশের বাইরে। যেখানে रेबोिल्शगनर्लिdिझरन।' रेलूक्षर त्शर(शबशक्ष{ई तिन। गरिो जांशुशर्श शि हवाह कांह ऍप्लांशे ईिज़ । (श লিঙ্কি আর তা রেপিয়রোসগঞ্জ রাখিব না। বাড়ীর খবর জায়াড় বোনটিতেই গা छु, छारे७उ शरश्||ि१ऐ७श्। शास्प्लान शिक्षि शांशैज् ीि ऐन। সাবিীকে কোনোগ্রকার বিদায়-সম্ভাষণ করি গেল না। (ोता शन प्ठति नरेि शन सनि। हेम् १ानिरुश्; *रुि छांशात ५रुन शिनिखरे शूह कांव रुछि शांज़ि। शंशांक्8 रुरु कांश् ब्रॉशिंज। रुि शान छू-१ीक्षान्नाः शश ऐल्लेौ{इंग्ला(ग, ज्यू गरिौ (भ गरे। ३न् ५४त शि (नि गरौिँ ?ढ्छु। श्चाित् मु (ग ऎं १िनि षीम्। रेलू ििज्झो ,ि"अिरि (री! थान क्त रैश् षांश्? शां घस्गां शर(? इति षष्ठ গেছৰড়ৈ না? বা এন্ত ও ডোমার আলে।" गरिौ ऐी गिा रनिग, "ारे रा! तित्रिा शुष्षांशैशुश्रीों (शक्षणां का(ग,ा ईiाग९(गौरश्न" -