পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৪০৩

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

५१ ििन कानि १े क्षौं ििण प्रेहि ,ि ति संतां श्रिीक्षा । ौरगतं }ति वा धनिनं, तििन् सांनिस् ६ षोश्चानितः घ(स्पेिंशोंगा (१क्रिनन। ािगि ४dरिवागि इज़ ििर्षगां षां★९ कतेि कईर iিারেন। একখানি তালপাড়া পুথিত আমি शी:ि बारा रति ऍफ़ *ारगै (क्षिि प्लेशभणि षांत तक गिष कति शिगन। क्ढ़ि और गंगा व ग* ९णागिर'a*ि* १श १ीt wांशः गान७, छ:रा 4ाण 8 इक अगणं गैग्नि करिणांत अंशन घा। ५ः गग ४ :ाक्षर संग्लिा शर्त (शिस्त्र प्रिक्ष १ी। dरेगस्न करिण प्रशिक्षरे १, क्रि शत नरगरेग९रेशा शा त्रिा थ५ १ीक्षां शा। *षत्रिगरे शब्द १श,(शन का थरार नैि ९७ग* घांसनं धश्छर का शं; (गरेक्ल पक्षर शतिानां रका' वगैर शगरे र ििग रशिक्षः९इन शशगबण्षिाश्॥५३tत्क्र रुस्सि:निसिंश र्थकस् ित गिरे। (काशं शिास् ि९ (ऑरिवाशा ब्राः सरि (शांक्शनाशालकांश श? रशिशिश्न (जंशः गशरणशा ऍशा शत्र श बारे रेश भशष জোড়াবি৷ শিং কোনো পড়ি িৈল ডার शांकजश्री $ छांशं★ फेरशस्ति ऐस्ट्रिंग पैंगन स्तन ब्रहे, रक्रार्थ &कनिष्ठ शिास् ि९ (रिकांना १iांकौण्(१गल्ण अश् षोइ अंशं९ गतीन कान ब्रहे। शकाननtरक्त करि ९फ़ल्/१dरे श्रे कति #न गर्ण कशि अंकां★ नरगि ऎहनूरुं श्रेष्ठ। षण्áर सरु षश्रभषषtः षांशंकरे श्रेस् dरे गस्ग कछि झाँगै रुरि 8 ज्ञागै अस्त्रा अँध्यारे क्ष्ठि ऐंस्थाइ र 6रे शंका छैशंप्त गर्णािश्तामै शंकरैक्लव्छठीठांचन। sß গীতি কবিতার পরাকাষ্ঠী तल्लक्ष कठिन छांश श्नि ब्रस्, घििविंठ 'क्षिा घ्रः, 'नि ७ णि ििर्वप् छ्ा। ५११ी रांग छांश। रेस्नि अंकांग्ला कतिष्ठांप्रे करिशं★'भाज् शक्न पनि १{ कशि १ीन कति षांश शिं{श्रे॥५१न ििन तालांट्स (व क,ि सिक्रििस्तिो ीि शैक पित्। कश्,ि ििने जस्{#ी रक्ष शिा धन कप्लिांश्न ऎ{ादूर्ण छ,ा }ाका १ीन ! १र्तां, चश्ती, प्रांत कठिशं7, षष्जिी,(चंौगं,नििर्,णि, विरिका-११,-ुरै ं;-त्रि बां★र्तोलकविाक्, शी झकझा प्रशक्का मूल गाप्रमश:-4स् ि१{{ासाठी? १बौद्ध-क्रमशीन बार शिंशिांद्र शैव वईरांौ५३ नश्नांौशी &ठेि ब्रवौ, जां यद्भिरिशा श्a{यं एषां । tरक्षति शै|१|t****रांत តែភ្ងា וזוהויזיוף ואיזיאון चकणशां१िशी कांग्लांकी गरेप्रश्वांशगाविात्मा ११ीणां(ि११iतःि।