পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৫৬২

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-शषक,ि कि ऐ रो५ीनdरैर्णरे प्रापूं कि गिर गति ੋ छांश कू: tषेष*****? थिांश् षtf आठशकों निीं तिितः।

जूर क५ छांग, ईशन दिा गृशों (डांशं नीw fक रार! गूि शशप्त शक सए पनि कन्न ििह । (शांगैिः कू कण अग्नि बांगि। ब्रांशनाएँ प्लकत्नि-प,इन्निक बनtझग न,षस्गा शर। काशी रियू करेन, स्क्रि पूtिब्रनd আঙ্গি করেখেছি,বোলে নি। আীি এখনো সদ্ধান গাই নি, তবে স্বামা নিজেদেশ काश tिाश् चांद्र उद्ग (कांनी इक५सिंग छुः १ि५ स्रीष(िग्नशास्राए ॥ि —কোঙ্খা তাদের দেশ? -छबांगूठ ब्लग एगररे शंग (न। श९ नै िशंगए। शर ५ िप्रिशेर पिश् शांश शांtर स् िन, क्रित एitाष्ट्र रांशेन मृष्ठांनtyाण (लांढ़ श्रीiनि शार स् िन (ग रिश को (अर (१ए शर। रसूल न षशि स् िछि तःि ; - –छ (साप्त क्रा रङ्ग, र्ाागिरे; ऑ/ाग उ षां, इक,6रे, क्रुि४१९७(शा बांश्रे, ॐ त् िशुनरिहू शक गाँषांशं नक्ष शंशा थी। ईभिाईषिषे,हिषैक्षिक्ष५कौभागश, (नार ए४; बारे सूर। रारि षका (शां रिस बात बांगरे "गित 0न षां शंग्शन (*ीतःि नरॆ। शीरेिका (रींीतः १ीौ.एls কেউ জানে না। -6 भर अिन शा, (स्पाइ ि(ब्र गि घांशंइ शं७ (लांढ़ जांइ, चांद्र शश जॉशिनिकरें (ि{ीब (तर। शं★ण करीत राग'क्ष्'बांधारेा निः चाग शंtर, एशगरे गरtगशि शंtर। -{जंतःि शूंश्ात्रा *मूत्! षनििहतं शृशdन,ि निश्शशि। तैिर गितिीक्षानििg • शश का ५* स्र क्ष, अrरों सॅगललानङ्ग पर प्रेषत्रिी हैं। ान्न लीं अिन रोलि। शान्ताप्लव