পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৫৬৬

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'र सं, षां ११:सा शूणि रश्र त् ि। (शंशात श्विनौछ (छत शाः एरे (शक्षा षांश, गाश शांझ, tएांशषां★हूि बनिन। -সৌড়ে ডি বা। —া কাউকে নিবাল রাগাগা করে জাগাব। আমি সতর্ক খান। —ংে আঙ্কে! मृषा श्रेंजरे दक्षनां५ फ़ए ¢ातनं कण्,ि ब्रांश १५ जि७ न। उक्वनां५ शंसू१ॉन नश्न क७ि, एांशंद्र (गांक्न छोरु ििम्ल तरेछ। (शफ्ना ७ गनिा ग्रा गि७क्क (गांक छावृत गरे१ण्।ि रुएन (ज्ञात बिनौनििश्, क्ज्क् िि७श्। १शन ििछाइ छांशंद्र शाश्व शांत शांत झई (गॉक् । ििक्षान्तःि शशी। ततः स हि रीतःि,; iিা ভাড়া ট্রা াৈড়া দা, আদি शास प्रित सांश९ सांश९ िगिरेछ। गां शश षट्स ऑफ़ ए (ग्रेगर तृ१ श्रेष्ठ। उशीर्ष আর ডায়ার লোকের কাছাও ডি লা জানা" तिष्ठ न, तिष् (स्ह् षांगीं नििश एांशं गणि ७श्छर क्षेराठीं कश्छि। उषनांr५न (शन (कॉफ़ी कि गागिरे,क्ष्ग एन्ड्रारिमश्र शछि, क्षेका घ" (गिरु छाश झुण मिशव रिश्रश्मि। सास्क लांस्थििनउद्माश्6 झाँस् ?’ (गरेशन ऑरन कष्,ि क्रुि निन (रग एांशं★ात गा ११ गिछ । क्श्न गँवा, क्श्न श्र्वक, क्षम १शाक। बकाक्ष है हरेर स्शन गि , ५ुरेशन,60गि( झोक्रांक ििन ािचा(शारा प्रितशत स्न। रेशािि গণস্থানান থাকে,জগর লোকের মত শান্ত গণ