পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৬৪১

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  • दिा रक चांना बनाक शिऐ#: फ़ेदः জোগাড়ের কোনও উগা চিন্তান করিাই সে বলিশে,যেখান থেকে গারি জমিত্ত্বোৰে টাকাৰোগাঃ स्रा (ग्र। (शौहरु (का राण १र्ग (गिरु কাছে আন খাবে না।

१गरे कितिशत्र। भश् िचानशनं'हूतः-(रज्ानि निश् िधानाः -१ शताङ्गींौ...ार इतिaज् ि१ि। रीरागस्ानांद्राः, 4शीः शत्र (शाउ 5ांरुति रुद्राण (शशं★ िि: (रिं । तःि षरि वरि राशेः शारं षाङ्ग्रौस्' ९;ात {#(ग्रशः षानैर्सीौ १* क्षि;ि भरि रज्ञहेरु रिो स् िरिस् नििज-११ সাবধানে খেৰ,iিনকাল খড় খারাপ গড়েছে। रज्ञांहे निश (न। শারি মন ৰাখা উীিয় উদ,মোৰো অস্ত্র চন্দ্র চন্দ্র কড়ি লাগিল। সে শিৰে বন্ধে চাঞ্জি नििस्क्t१छाँस-(१क्न! निर्गप् ि(काम्-(लन श} -(१ीकेन “सार! -शि!"अि िश्रृं ीर्गीन्! -{१ांस्तान् {१ारुन-धनििश् ििरप्शी, १्रः বাক্ষ চাপি শান্থি গৃহে গ্রহণ করে ওশা ফুটাই 啊1 नििर्शप्र नीतःि अतिष्ठनििर१ास्-- ༦་ཡཱ།”“ཡཱ།(༡། ! श्रृष्ट्रि ब्रुइन क्रा,लिङ्ग प्लेगांन भन्न रु ६१मि| আশপাশ ও গৃঞ্জা স্বামী গাড় গাড়ে চুটি (रघ्नः। (* षा"नातः शन रुप्रे न सनिीं शशिसून’ शठर इशैन्। षष्ठश्नन्न श्रे|१:ः। षोरा घोर-{तः शा,ि इाज् गार्गि, ऐशरांगिट्टे का शहेर! शाब्रुिअं अिाि शा,ुरास्ट्रिोन्क्: षगशित शाला नि ऐतःि संति श् िििरः (ग जैन ड़ि रुउि १एरु।