পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৬৯৩

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  • १ङ्गौश्ाश्" े षीतः ५्रतिभा निशा कांछ। हेश रात्रौ देैनिंनारांई ऐडिरिश्रू ख्रिीनं हिंििर श्रेष्ठत् ।

ঈশ্বরচন্দ্রবিদ্যাiাগর ऐं धीरं भीन क्षी गीता १ांसि कॆनि i্যিাসাগর মাশা পরলোকগমন করেন। তিনি দেশের নানা বাধ্যক্ষেত্রে নানা কাজ করিা গিাছেন। ऎताि गता संक्षं (मा प् िनििश ऎीतःि (गोश्, छैशंद्र श्र। ¢तः मृकण कtबङ्ग ११ शब्द 'श्,ि स्थिरांस रिश १४रईन। सात् ति में ऍशं; अंछि वंछdार्गना बना चानक *शब्द 8 ¢१ गठ श्रेर। उशंtउtान रिश्रतिरक्ष घांश्स्स् ७(शैक्लिक्ष्ठ पैंत्,िJ शो १% (" शांगिकत्रिशंका तिराक्ष गरी रांज़ि शी! १छ्ातििितिराश् १िीौतिः।। ७षरितः। স্বালাগো দারিংক্স সাক্ষণে খেড় sॉन,ऍशंत वैनाद्गळूनां५कङ्गरशैऔऊ“श्रिांरिका" शृण्स् (भिरन। रेश ऐषी १एत। पूरा भ স্বা। এটিা লিপি, দক্ষুেগীয়া , কলিকাত৷ तांगरिराष्ट्र बाज़ारी घाशाह प्रशस् िनरें; त्रिशंश¢ाग्दकरं पर (वशहूर श्ल करे। (धों... ७ पछािरका श्रृङ्गाऊ ७ १िछा छ१नीशंश्चन प्रेतागिरःि । देश९ रन शाकांक्शन रु,ि (, दकौि कृशरी 8उक्रांगैि रगरिश्र घाशंक ऑक्षौ छनौरु घांश्हा dत९ग्लिशन की न। रागरिश्रांति षांश दृशंौरे शत्र शी। दूशौ९ रगिरिश्राप्त रिवाई शी॥ [शार को कईरा क,ि (ग्रे घा उष्ट्रॉनैि बार्नघर्णकर्णिाशक्नौजत् । राङ्गनी-ीिछा राता भग्नभूत ९ शांति बांौरीिष्म गर्शन wiर शिश्। पद्मभूझा घशांiा पारे ¢शं* *ी। शांश अंशं★१,छांशं चानक भीषौ बन