পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৭৩৮

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শ্ৰীমতীর শিকার ঐসুরেশচন্দ্র বানাপায় গ্নী সং এক বাম, তিনি একটি বা ময়িক। ংেস্ক ইয়া নামে গড়া আধা খু চাপিয়াছে ভারতবর্ষকে নিরাপা এবং অপেক্ষাকৃত বাসযোগ্য शन (शगरे ऍiा ऐकत्र। घर्ष था जै। नि, वैशैिः शिताङ्गौ षङ्गिलाः क्षीरतः धार्शितः। नक्र (अङ्गु ७ो शहेश शिशि क।ि সম্প্রতি খড়ি দাড় দিছিল। " স্ট্রে খাঞ্জি ऐ१ (फैझ नििरु शेण श्-निश्छ तात शाशः টুর্ণ দাড়ানো ছবি দেশবিদেশের কাগজে ছাপা জি प्लेशाः भा; बाहे। उीरें राष्ट्र की शांख्रेि श्र। वैश्रृौ ग्रह्मा रुतििशरः, राः ििन १ट्, ((१ शीि नृत्वास् छा, शैक्साि वा घमिस् िसििद घुस् छी कार्बन ड्री-ज्ञ Jक शाहलाक धाछन रुरिन-(ग़नि ऐक्ल रांशशाशः '; ভোজনক্ষের মেথের অনেকট এর আলাপ-আলোচনার अक्षरे छूझि१क्रि! देश९छि रुगिन, नृताक ডার আগামী জন্মদিনে উক্ত বাঘের মধের একটি ক্র্য ऐंशतििरन; भनं शी् एव ौि नरृशी७धैीत्। হাগেন। স্থা গুগ্রেমের তাড়না বিপর্যন্ত স্বাড় वैशगै शिगन राज्झिरिना; नृतार स् िश्णिारे छै१ स्त्रिाक्षा ११ीक्ज्ञभारु छिििछ रुस्।ि शिtा अशक्न स्म १iरु, ऐाश्6 (*ि १,ा १| श्, निश्शर निक्षिी्र राक्ष शाङ्गी श्रीः क् ििशशस्त्र श्रु१िष रुपूज्ञ रुगिन। छा श्या-१रा बाणि, ग्लिोनक्कै अिफ्ना र (३शश ऐक्ल (यौन ७क और धष्ठ १फ़िाइ। गृशष रानि शः शङ्ख, १ा िि९(बि क्षेशाइ छ। यिका षकं, शरं धनि।। {प्ाभाो गृहंगिल १७ ज्झ. कर्मिा ४१ शृंसा। अरशशा ोरु श्रुवित्र, wi॥ १ीश्-भिकांतःि शशां; tणो!श्च षोा ऎ्ष्ानीं (नाका आशशि ।ि (श्न। िगा स्नशः। शाए गरेः षनशान रनराशाज़ शब्द १ातः (इणः ॥ण १ाशङ्गी {शशिनि हेण। नििष्ठ বড় পাহার, নে শিকার লোড়ে বিশড ড়ে श६शनशा नििम१, (श्न रुझि|(श्रु ( ं। निराक का कारे! रईशन राशि अस् िण षगरुि षों ब्राश्रिाप्त छ गषांछा शनिs इििलए घगरान७१ अश्ठि हेएएए रैंक्षिा ब्रांश श्रेण। प्लेषणः ज्यू९ (वर नारे। भा, धान७७ श्रेष्ठ १itः (, (शशाक्षर *िशब्द निईउि नि%ति शाश्रेग गि नि! गतििव! अर उगर श!ि शाक्षश 8 ग्रह शश शब्द वरठक, ऐंश गरुनरे श* ११ षश्ब्द शब्रिाउ লাগিল। এমন কি নান্ত ক্ষেড়ের বাজ মূরিয়া रान भार सिा ,ि शिीरागशsा (शा8 १्र नःि।। {३ीलिका हि संघ्रिं १छ् नििश नििश। श्ा निि,१ान् {गं diंौन १७:भ्रश्शङ्ग:सा निशा शशाङ हि शब्द नौः षश् श! प्लेषण এড়ই! - ष{{१: (ग वृक्षे नातःि शिखि हेङ्ग-निषि ९ (शाषाग्निऽि। १श ऐणा शा, एट्स"; त्राि धाराष रगिन्न वैश्रौ ९ ऍन (रज्ञङ्क ग्रहौ{न्।ि षप्तःि(्रीतः ५न इ१ि॥ जैक्शा घफ्नाि शाश मििश्। शिर शास्त्र 6ः क्षनि कशरिरक्षि शाश तर्मग्लश:९ &rरन का प्लेस्।ि क्लू शार ।ि वैश्शैकिस्ता अजैक করিড়ে লাগিলেন। (ग्रन् िब्रिग -िघाझ िगर्{ निश्ाि चाग् िस्क्रान(नं हि शतः । अग्लो (१ीक शास्त श्रा कनि छ|बा-छा छ?