পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮০৫

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ήθι झौत्रा शुरति0ारईसैिित्रशिष्टि शता षरिनारीस् सहिगन,-तःि सजल; ििरशिषर गक् िशंशिंगिा बांग्रौशार কলি-আয়ে যে বলে আমার টােপ ফেলেছে! -(ीश (शनाइ (शशं; शै? रगर्ति ! शगिाउ शठि बनकौशांश् रुश्नि,-९५कौरुशन ु। घल्शरि आफ्ना स्।ि जो ििनवार् ो रु:-। वणष्ठर १शै; श्शे वर्तिनांक्षताद् रुशिगन-ई ! बरिमांक्षराख्न हौर उर (शिः ¢उक५ऑनली. মধ্যে মান চিন্তা দেখা লি, কিন্তু এখন আর উপায় आहे! (झ तउि शांत्रि-चोल, एझिा का षाशं (शाल शूर (बन्, उशन और हक १ो। जार घाँ'९िछाउ क्रम। चाँझ गैर रा, तिङ् रक्ष श्रीॉ|-| वनिवार् शस्त्रफ्नाि हेस् िरुस्रेि छनौना५ शांति। छा गैरिशु क्यौ मर्गा गरे, शरे इति, विा श:उ ;ि राशरे, षराक्षर थरु९छर्शािउ (इ फां३ ६ि ईन्तिम-७ी, ন্ধে আছিল এবার স্বল্পকে ডেকে তো! স্বাক্টা এাষ্ট্ৰীতি পলিবো বড় বিধের নয়। সে উপায়াস্তুর না দেখিয়া ফ্যাল ক্যাল করিয়া এদিক ওকি চাহিতে লাগিল। वरिग१५लः श्वै(शीहरfदूररु ऐअश्ठि श्रेन। দ্বনিশিবায়ু উঠা দিয়া বাট কোরের মধ্য फै।ि झो रुणिा–पत्, गिरि बानरौ মোকে পড়াচ্ছ? षङ्गम् ललि-ी, १ह्निं (र-(गीता আীমা বলেছিলেন নি!! কেন, তাতে কি शूiश्? ♛हे रजिः (श ७क्रीन शिशज़ कि षान একবার জানকীনাথের দিকে চাহিতে লাগিল। षरिनाभा शैिर हेग्ा श्रिणं,-षनि ড়িৎ না। पत्रेशा छ र स् िनि , ? ञिशाल छािति छागि। छि रुगिन् श्रुङ्ग स् िजङ्ग4? १ीtउ फ़िशत्र शैक्लिक्ष रगरांन तःि १ी-{ण सीव लीग् तिां द|तःि । ( घाँस्त्र शिा चङ्ग निा (ज्ञ। भांगरौगिर्ष शांशं (ई रुशिंश्लि-शिग (श (शिtछ शृहेऽभिजांद्र चरित्र शृङ्गः श्tज्शन थगा श्रे ऐdनारे। छा पनिबार् । भूः शक्ति स्ि सिि-अश्शासै क्षेशर शग गिरिशक रुष (श्रु। (श्शन ीि ।ि नैष्ट्रेि (श्रुरुनर8शृष्ठानि षईि। क्ङ्गुि (श (श्रीशै; गोषरे ुझ्-७ (छा चाँ िशंख्6 िि। शाशक, ভূঞ্জিগানাগৰি দি বড়ে চাঞ্জ-আজ ৷ে আন্ধ। পাচ-গাড় স্বাগ থেকে যুদ্ধ এসেছে, তার {निश् षा शशा, (लैग मा शशी। श् श्नू हा इंशिारीरशंश षशं★गिाइ। ५न४ एीतःि । ििने, शरेङ्गतःि। नरेन{शशंस षाश्च शिान शारे शिाळ शुछ। शशल, १ि षाः इंशंक्षाः प्लेश(उ! (प्लांक शंवा कश् वा त्ि साझ! ििक्,ुस्रे (अिप्रिश्। छनशैग१ गि-रेश 'स्रष्ट राइप्लि', उशा शंग्लिश:रु ऐश्रृंगक कर्तिा धमक्षू कछि। तिब्द ऐा गरे। 6 क्चिशैिा १ स्थिाइ, चांद शशर श हिस्रे श्रेर। ल शिास्त्र भनिदार झुमतिर झिन्धि-बल चि रङ्ग और। दूठ १ििछरे! ऐंत्री षदिनानिीं शग् ि(न शौ॥ १प्रिल शांगि,उिनि शशितन-ऽभूठ १३ ()ागांठ ि शनैरझषणशन। रिक शिक्रशार्क (झल्, रागं कं नी-{छ्ांशी नःि १ाहर मर । কর পঞ্চাশ টাকা আইনের কেরাণীগিরি, মান তো ঐ उ8राणै, १ि 56 (शाल वाशा शब्द उि! (१शर6रेtा शमूर (छ्। थारांश रुश, अशि९ झन-ौ{ौ* {प्ता । श:, शः! ं शिरः। তিনি জয়ন্ত কীিয় উঠলেন। षा (लैक रशिशशशि शर शेरब, रा भर्थशाना शाग्न रक्षिरे शाहेर शत्र कaि t;