পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮১১

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៥]] আলোচনা-কল্কাকাল 48) शमा षांत) गर:१कउि न १ॉर्तिा (गॅरेशानहे ট্রাড়িা ক্টোইক্টোপায়ৈ কুঁড়ি নি। धः १क्षिा छिरे (गरे कोशांकांग्लांद्र श षनिग, তারপর যখন সে বগা জানকীনাথের কক্ষে উপস্থিত টু ডং তা মাং জিয়াং ! छनशैग१जहांश रुन्-िरुि श्ल|षत्! স্বল্প কল্প" ীি দি কলি-মন্ত পেলু ৷৷ হীি এখনও আমাকে ক্ষা করতে পারেনি। छनशैनां१ ऐड़क्षिएउtर *शांत ऐ११ ऐसा সিা কহিল,-মন্ত হলে না, ক্ষমা করতে পারেনি, ॐ षांता (कन्(नैि ढ१? ख्गत (शनशांशौ, কানন বাৰ এফায়েনায়ী! তসব গান

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घांश् न श चरेि शांझि। धांशं; चांtानं उत ¢रां★ आएरे शरl"dरे रगिा गणारे (ग ऐसी উপক্ষা করিল। স্বয়া মান দ এজ শৃ কাটা দিছে (ग भूिभृशः कश्लि,-घां★नि घ७ शाए शुरन न। আম গঞ্জ যে ঘটিগেছি। এনে (रशै। षांशं★ कांशन (नहै। dरे रतिा (, शैशंrा राशि हरेः(न। बाणै. नार हूिक रिझनञ्जर ऋाए शिा शि, घु तर्श (ईगै (ल र स् िअिगि गि। {५रि षं, हि,-छॉ(ए,शर धारां रुि ढ१! उड्न अंश नैािइ श्रंश भाथा कप्रिंग। আলোচনা ১। কন্যাকাল "शंग्लशैः बोव्छ tशीyां, ढ१r; (श्रांशTा ‘थागैt?) थारु वैवस्था छिप्ला १ु को १ प्ले *शि अनिश्झिांtइन, '्णोश् चश्श श्लांलं तिां रुतःि, एकांग् ,ि शंतःि। ष*ितिी सानः (* {१ांश्ा १ौहः।' १ढ़छ िशंष्ट्र बांग्ला। ति शl;ं वर्षगांठ, थॉरीि। त्रिांश्8 झगारें??ांछ। रुत्रांगांठ रु?, षां रुश्च तिां रा, *त्रे रुश। ग्निह्र शांक कुछ अर्ष आकर बारे। स्छुि,शिबिठूशांशु कशिाब, tशान थशश 0ांशग्न झौ कछि विशिष्, उांना बां; निष्ठि, छांद्गणा शल्ला षषून करुिििछ (स्था छोरा नििस्लेछ। ो बयूो। कनि, कि "क्षिठा किन रुझिान। भोगः नििर् न प्रेझि। शनैः श्-िगिता षांशकिशों, क्लार्सनल ब शनि४ बूटनैठ गेछ शास्त। श्रृि, गांशकारिणीव भित। शशिनि रात्ािं गीासं गिति ? (ग़ान कांठ कछांदों बां★ांश निश् िस्नि, ¢र्षांत्र ण प्रा क। १हाँ त्झेस् स्त्रां १ास् कि क्शत घस्रिा, 0ोो छ। § शृंशए** बांग्ला, बछल थशश लष tणां★ सr, tा प्रारं गा ब,ि'गा शङ्का। रेशष्ट ,ि छलांग आगिछ तिर राणा ११ क्वां निहांगर जागक श्रेष्ठांगि १ङ्गशैर्भीतः शिांशं ग्नि हीन गीं, शेि, aर्हि, w संभूत कण। लनं, गृहाश्ाः, ७ झि रोगी ष गीशी त्रैिल DD DS BBB BB DDB BD DS EBd লো, চত্র। ত্রি ীের কাৰে সোম ড়ো করে, কল্প tर्शनसर्ग र tर्गौ शक्। ({ाश शॉरेंआः, सांस्छ ीिग ब, वरई बांझ रf।) राशराणि रुष्टlथांitगैौशांक में, ु श्। त्। वृष्वािंइ, रुछ। प्रश्न सिीि, ३१ ल्प श। १छ्रंत्रिा २५ कि गि, छवि ब। शछ छहांश ब्रांश नि। बहून १५{ नं*** बांशैः ? ५ था दूसरेष्ठ न? घश्र,4हे तःाशरुग़ाः स्%षा शि१ि शिा श। (*र्भि रईवी (रश्नश्?ि ? श्रीकां ?) *ाई tणं* शक्तिाः गt ची tष्ठां★ का, दशां★ tाए छ" stछ। षांश गि प्रतििक् षट्स (छां★ शा, शंभूरा शाछां★ श, शं५ षङ्गिए शl, रुनाiा धष्ठिां, ९बी कशांशं**स्रे ब{ी बार्शर्मिती शूर्ण स्त्र चीछा झा। ऐशंक १ रुनानि तिर श्रेण स्श शृष्णौ श्लेष्ठ॥ ३ रेल ,ि सा ९ राजा कांज़ (ौऔरुज रुबांग्लांब श्छब, भल्ल श्रेष्ठ। ऐरांझ अब अशां* १छैन.लए{ा १ीक्षां शं। पृश्निांइ बगिंशक स्नाश-शग रगिांश्न। rस्न रगिाश्न, वृशिष्ठ ग१ि व। (रांर रा, क्शा राजा श्रा रुमा जा रुच्न बाँझोछ। ,िीह शिी षौि शिा ताण शृंी {ौौशी, ५॥ ति॥ रार्रdौि कांग। बाढ़ गता कश का अdिणैिरी न,