পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮৫৪

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* প্রাণী- ভা,১৩৩৬ [ ×ሃW, Wፃፀ श। द्रौञ्जनांश् श: इगांगन क्लान श्रृंनिभक्-ि আগামী কংগ্রেসের সভাপতি rr निक्शन दूकानां* ऐणर गणः श। রী দ্বান ওয়ারি জীবনে?" अंज्री गिौ शैसिरु १ गििर बच्न घनक सूत्रु र tो १ सूक्ष शक्ति वि (प्ले रज्झ्नि। षान्नड़ दूरत देशं, बछ&#*१कप्ति श्लिन ७११d१न8 कण्tिश्न। ऍशाङ्ग घरश१ि७ छै/ा गाइ श्ष्ख् १शि९र्पुइु नरुि रज्ञ ९शांश श्रेस् सूोश छाउरा श्रुनि सिक्क्छ (गांत; dहरु षऊांत नाहे। देशभक्षः कशीं। अत्र कि चाँबढ़ान १:१९ मििश्। ब्राहे शंनिरिशृउ शा? शां नौ१#ए ध१ॉौ१:१शैक्नशश्नानार। शश, शशा रि,ि स् शंगै९मशंकरु गरेो । शु िरिश् श्रें निर्भरिएषि क् िनृशंछ शौनञर रांग कठिन १,७ांशं श्रेन ग़ौ शौनए४१ठारौ+ তা গ্রঙ্গে সদ্ধে তর্ক কীি কোন লাভ নাই। মায়ূৈ १िष्ठ शि७ श्रेन क्रि(ग११ीरे, छांश ईशेन iী জীবনের পূর্ণতা বা কাজ ভাবে। ধারা অনেক জেলা, অনেক শার ও গ্রামে নারীর মির্জানিলে বাড়ি বা বড়ি পরিড়েছেন না। वै षt) धार्थकांढ़छ गांशाग्न घरा, बांग्रैौरान घैयारे घआफ्ना क्षेनि। झन् झाँग्नाशषति যতিগা ও শিক্ষিত সম্প্রায় নারীদের উপরও স্বাক্ষা रुतिस्रछ्। षां हि गरौ{१ा{शिः षत् हेतः। िि७ स्वस्ती (गित प्ले,ाघक्नुज्र मरु।ि १ीत्, शं प्रेण५१नंीनि। निि|{{। नाौ। गान शी न रिल, १रितः शश श्रेष्ठ नौ व"श्ञ रक्षा िजगह नौ श्लेख लि, ि शिक्षरे नो श्रेष्ठ गि, एार (श् ४णिनां★ाः ब्लग्न छ१तछि श्रीमण भईन रुरि ििस् প্লা" বা বোন মানে আছেকি? घ/शैक्षांश प्रज्%ष्(िक् रे..., (ग्नि धांगांन|गिाणइ। छांग्लशैः (गांग्लाह शाश (११ (गांसा धष्ठर नॉरे। उ१ि५क ऑक् िक्एg কটিটিশ গ্রামীf:মান্নাড়ান্তের নাম গুঞ্জ रुक्लिाइन। ऍशं★ क्ए¢शन गठां★ठिं श्6ां; (तांन षरेनऽ रा|भांश् त् िन, अनेि न; तिष्ठ भद्र रा शुषरे षांश्। छाउररी (गॉक्छ| १शां, एश रित क्राउ ऍशं★ dरुणा, नॉरे रा, क्ट्सि ििन (१ १राषैिः शंश शंश, थाइ। श्ञां जाग्री (गरराष्ट्री" श्रेगिक रात्रtैः कारुनिकों घांकक्रिएबिति कांश्रिन थांशाः निझरे छांश (क्षिबHाक्षां★९ ॐम रुई हरेशन, dशन शंभुंबढ़ षरन् िनिःशत् (स् {ृिज्'ां ? षष्$र्, ऎीतःि नां शैतिद्धतः १॥(श्नाः इति अंशं त। 'ल् रु गिरे। अलि रुसूर्णी ७ शिष्ठ अंज्रा अिि বাড়িনি দেখাইলেণ্ড কাজে ভারড়ের কোন উপকার ििन शान नरे। अक्नट्स (Fाः रष्ठ घां★स् ि३,6, जज्रिति भूत{ां गान तिष्ठ तििनैः षर्विं लक्ष षश$ए 8 घनशांनधनढ़। धांश गज़ स्श) नश्छांतरे रगिलां५। षांशातू ११ शैक्लेशं (१|| লোক না থাকিলেও আমারভিক্ষার গাত্র বিদেশীর হাত हिरिद्राक्षा कि ऐअश्ठि का लक्षांढ़न। ५र एां (ञा९शछा क्|५३, 6,कि प्रि७ो३ घोप्न বিষয় অনেকের মনে না থাকিতে পারে, যে, বছ रणतः शूलं नि शारुशग्रु गतःि संगतः। शृष्ठभूछि का द्भिः श्रेः शी, उर्शन षांश शृष्ठॉर्भ রিভিউ কাগজে আপত্ত্বি করিয়াছিলাম। আপঞ্জির कां★१ १श गिक्षिांश्लिा, एरकांश ग़ा गिए शशांशष्ट फूणकर रश् छ्नी षां★स्ि বক্সিছিলেন,য়ে টেলেংগড়িয়া আকাড়ান্তা भां★ शृष्ठां★ठिी छि शांगिाए $ांनन। ७१त्र ऍशं; नृश्छि चांशा गांक९ १क्लिा श्नि $र ऍशह शै *{ििष्ठे शं★वा (गरिक शिक रगिा श्रे हेएतौ शंकि ऍशा कि शरेण् ।