পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮৭১

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শিল্পীর স্বাধীন রাজ্য স্থাপন ১২) সেনাপতি প্রাগরাঞ্জএর মৃত্যু( هو يبين d**ाबा घशशंग शि(शनिरांत ऋ y५18, शंशतिं शंग निराशौ अंशांशं ब्रांशस् घांशं: পাাৈদি দিলেন, "লো আমার রাজ্যে বার गं घगिग्रह। श् िछ गरेश९५रः शशास् ुम्ला गिष्सा। बग्न चाँ स्न घास क्ष ৈেংৰা।" ॐम्ल ख्रिशांत क्रूझ रहे थंडीश ब्रां९ रशनांना (Nष राशि श्रेगन ¢रः (लगभूह १: शरेण १िशgड नौ स् ित (लौ नाश्त शब्द शैशंतःि १ारेशन। तिक्षोभूौ'ान् श्रिांशाः शिश् बां९ििरतूि छन शंकारेश (शा झुंझे उशान ऐहि निी झिलन। श् झ षङ्गः शैशं गतः। जिन, रांसि भग्न आहे शृंगढ़ रुj७ (क्षि शिरे शिास्तृि४श* १९५१कए ? नरे, क्षी शनिशान शश नारे। ऍशिंद्र नष्* श्रेणीशंष्ट्स प्राशि की गझ ११, ५११९.१ीtा रङ्गांग; (गांत ीज़रे। ॐ १५ प्ति *शराँठ थश* ९ ऍशं; इश्वन गौ नैज्वरे निश्छ श्रेनन। छ१ञ रिब५ौरिश ऐाशशाiारा ऐyाइन बांति घन्ताक् सांो। (न्,ि 'ास्त्रा नौ गि" (१॥{खाौwit)। घांमक ब्रां९ हाहन शर्मा ब्लगर गोल ॥ि धारा धक्ष कशिन। गिरीशै ¢शt* [गाणि स् िसं।ि ििश गिरेनन,"किरु गास्मि कािउ अिगि शैक्स ीि६ ग|" उ१म चांगक १ ७शं घाख्राझै निछ गद्देश विश्रुनाश शर्श क्रिगन। ििगन७ रहगांग १ीििगल श्रेणैशन ११ (*१ कtिगन। स्त्रुि षनक शां९ ॐणश् १* शश या वन ग्लास शिक्ष इति शंगशा औरवं रुगिन। #ींग/s *शा रांबांह (d?) गू गागांउ ग१ र "शेशन (७शई)। *(क्लत्रपूत राष्ट्र माता शाइ रक्षगांग ९ििक शंद घौन धरान बिभूौ न १ाष कग्नि। भँ वछ(शंच्नु, झुरे शंजै ७त् ज्वाश गर्शत कांज़ि शहेगन। क्ङ्गि रश्नांग नैषरे ििह ग्रं९বোর্তাকে স্বাক্ষা করিলেন। মারাঠার এক হাজার (ी७नू' शानः सप्त (ति। शशि तःि ष*िं हरेतानिताशननिषतः शिशि। ইঞ্জিন শিবাদী পিন্ধুনা গৈ দিী मष्ठान श्ल (ििल्प्ले) (शिगन, उशान चानक १शानि,५र इलाशैaशिअल 'शरौ ज्ञांe" উপাধি দিয়া গ্রড়াঙ্গ রাও-এর স্থানে সৰ্ব্বগ্নান সেনাপতির १:ा निगूल सनि्तन। ye१० गांगा शिलाल श्रेष्ठ न रvहा शीर्ष আগ পর্যন্ত কোনেও স্বল্প ধ্বনি তাননি। झूरे १करे गढ़ा शंख् ९ रिप्लङ श्रे। कद । गिलग। अशुक्त प्रणा९, प्ति ताि णिस् िता वाशक गूंजाब अस् िगजानत (क्षि एांशंषरे शन गि। dरे १\गा नैछकांग षग्ािं क्षिां विांशात् (* णि। शरीषु चत्रित (शाy७ ऑइ प्रणि। शानोर रै भिंग (M) ौि tरी" १अ ईरे। ऎष-कि५ षांशीन-शैशंग (#ण, शब्द शरेशांtा भङ्गिी वांछि शैव तिषांश् चाहि' कप्लिांश्लि। ििगा १ॉक् शक्शिण हरेछ किनारे। घान श्रेन। शरीनराशश शैक्ष#ि श्लिन, ऍशा ११५ठ क्ष छ गरे हूि का पंगब्बर भरेन कशिा ४ठ अछ क्ल कगिन (# ईरे १-हें श्रेण। dरे शशण निराब १श षष्ठात गिक पशीन श्रे१ि१श्रेष्ठ शिक्षिtiशनं । }s?-k রাজ্যভিষেকক্রিসঙ্গা করিলেন।