পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮৭৯

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निं७: शन મ रत्न िभन्त परिश्रस्गििभशिष्, शस्त ठू१(रुन,-गुरु श्१(छाँ घक्रश्७७ छब्रिाउ পারে। এমন অনেকে আছেন যাহার নানাগ্রকার কুচ্ছशन ९छां★ शैशा कठि गर्सरे ¢षऽ। ऍशाः विश्ाली गीव षङ्गतःि। शॆ शनांतःि शून रिक्लए प्रङठि रéशन। नांनी १* dरः १ोन ७ नैता गीता श्ा (तः १ौशिर ७ 'तानि शिम घर, उशा शूल९७३ ििष्। ५३ क्लिष्ि সাৰ্বজনীন না বলিয়াই সকলের পক্ষে বৈরাগাসান मृष्ठरशब्द मा। प्र-अठि घरशंश कांश-१द्गिर्भठि ग़ांश्छ ठूहेश वृई%ज़छ (१ (ः। घळू (कए शांशं#8 र शत्रमांग१ि कांकि अम्ल ऐा, ७११ ग्रु श्रृंगै मििशशश्वास्नीछाचार्सेर प्रित। সমকামিতার বিকাশে ব্যাঘাত জরিলে টিক্সি প্রভৃতি राति ऐoस् िश। dरे (और रिसरल (शन (शर वालिन चैिहि धरुिषाणां चैली १ीरेश নিজ পরিবার মধ্যে অশান্তি আনয়ন করে। ঐত্তরरुठिां★७ तिङ्गठि (श शां★। ७** रिकांतूशैलु गौत। शृङ्गारः षा'ो राौऽ हिता शतं श्लि शैष्णिश्इ शं★ान षकश श। देशह निष्ठ शंौ रा স্ত্রীকে যথেষ্ট ডাবলিতে পারে না। অকারণে আপনাকে शैत्वर (गंगै शन्न रुड्ग, घििरू गांधूरु श्ल, ইড়া এই বিকৃতির ফল। কাম-পরিণতির প্রতিরোধে tस-अरुण शश्-क्लिऊि श? क्ष, ७१ान एांशंद्र घाँगान रुरिन। ७हेशु गि३शको शेर्6, निक्ष शानतिर्षिा कश्-रिङ्गठिा रौछ रईशन घाइ। कांश-ििष्ञ रिशश विश शांशाउ देशाः शश (*{कन शंश्-रिस् ि१ष्ट्रि श्रेष्ठ १ै। শৈশবের আবেদনের উপরই শিশুর কাম-পরিণতি निर्छा नििश् १िे सॆश-१दिशिन्&ठिश्रुितःि। नानां षरीछतिितः श्नीध्रंस७ानातिां (॥१ {ा। षष्पर शक्र-चांरहेन (१,छरिज़५ शैतान कर्णी ®छर क्षिांत का एशं मृह्वरे घशश। b*ार क्षा कोश tार ४शन गरे, रशीन शब्द शंशः श्ग:छां★रुन्निए क्ष। कांश-शैराना वांछरिरु ֆոՆ-9 शृििख्र ऐणज़ (श षष्ठांछ शूनांछांtराe प्लांछरिक्छ। निfा क्ला,-१ क्षी थशर्श घांकरी (क्षि । श्राप्त। क्लि शन्न शिज् शेर, सांशक्रे (क्व रुगिश्ती बौरन ििछ श्रेणश्। प्रिशक्षा স্ব" জঙ্কিাশ ক্ষেত্রে তা নি লালনি शैताना शाह १क्रिांजिउ श। शांति औरनअठा शैकनारेनांशढ़ा शब्ल। (क्रग एणग्रेि (* रुशक्ष-षांढ़tि११फ़्लाइज़ अंछि चांङ्गो ७ बांतष् हन एांशनात्; छरे-छौ, शिंठांशाऊ, मृषांम-नखण्-िगलग शैस्रिधार भूगरे शश्ञर सिाइ। परे शंक लििखtन १ीताः क्षिप्त तांतिकां★ गशव क्ष পড়ে না। ঙ্কিৰ এড়িান বড়ি নে নো কো शि शांरक्षांगए| चरजन क्त चाँक्शत छ। प्रक्षण शृिङांशंठांब्रहे छन शब्लकन्न। (कन गीतशांन हeा रुर्द्धरा एांशं शिांत छोज रशिा ऐह१ रुरि न। उर थूर्क शंश रगिा,ि उश हशेब्रे शास्त्रज्{ छा रु.१ क्ज्क् स् िअिरिन। १र्शाउ अंक्षा हशेब्रे निक्ष घाशंकरिशः ९ अगम्यां नाशांग कल (स् िनि ? । प्लेस्।ि गांशंगा १११ बाहे (, कुछ षङ्गराग शाशग (नर्शन गष्ठर। ঙ্গে কৰি এৰা কিংনীিতি ম ম্যু शा सा बाहेर आल। धाशाः गिरि ग्री (क्ष कईरा। ११-७१न एप्लान वित शृंकि शव्रणशंारु गई। १ि९ रैंगिरे छांशस् १ीक्षांशेष श्र,-4 शश गर्सश शिरी। इशा शृ राशैठ घछ गशा निषरैगि, शिष् श्रेर शशा tशन षष् िरेशह। स्वि प्लिन, षशारू १शिीन, dरः शैौग्नि प्रार्थन विष रैंछि १ील।. क्षि नौ ... ...स्न गज्र्रण घराप्त का चांरशंस, एाशब्द रिसन (फ़्{कांश निष"ांगनष्क्रांस १छ्ल १ीक्ष। शरैर; श्नी ५१ीन शंशं शृतःि घागांना घनांतधृक्। एार (फ़्-क्ण राणांtान गश्छि शारा ग्रएशं★ घांइ उiशाहे किं करि। निक्ष भूरिरा९१नशा शा कारेि चाषऐश्वन श्रेष्ठ