পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮৯৭

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थांश४ भगागा नका ५) 俩 कणिश् छांशंद्र बिाबा ऐ", जांप्राप्त छैन; छशा ग१ षण्न श्न श्रेणश् 6 णि, शशा वाम्ना । शंशन शंस्गि उशी लिहूरै नरें, एांश পাইলে যে সন্ত গা। এইরণে দেখাইডেগার যা ংে নিকো দেখিছিলেন বা বিছিলেন যে, घांग्लंघांश्। আমাদের দেশের এক শ্রেণীর দার্শনিকের বলিছেন, (१ ईक्त छांग सर्मिा क्वांन (ग ग़रारु छांग रुग्लिश क्षीन; {ं गरलं प्ठशि तिा। विीन {ण त्रितः। ठांग दग्नि बांन। बनाईरे प्रकाश श; गरारु ष्ठति। এককে স্বান, আর এককে জানি সবকে জানা৷ এককে জানি দি শবকে জানা যায় তো সেই উপাই ভাল। स्सी संाि गरार बांग (ण गर्द गिरु गरी चग्लिश, dत शैरान (जांस् त्र्शौक्रे र छांगिए পারে। তাই একজন প্রশ্ন কৰিছিলেন,"কাহাৰে জানিলে अर यांनी श?" ऎड़न श्रेंश्गि निवारु, षांप्रारू। शंश् शश स्कूि ७iर, र स्तू 6रे शक्गारे जून, लीस्रे प्लेर र षणऐड्रे इंटे, एांश নিজের বা আত্মার জ্ঞানট, আমি আছি। এই জ্ঞানট वऊगिर-उररे १ढ़, न शक्लि छाशः क्डूि छांश १ रुद्र शृष्ठत श् न। षांप्लांक शंग्लिा षत्रिां एशन (शंनाहे। (श िहूि का (ठ शंश शांना निषस्ट्रे, षांशांकहे फ्रांः। छांग, छांशिाहे (शि शाऐक् न, (श रढ़उ क् ि5ां★। शाश छांशंस उांग जांt), शंश अंशंक षांमक (शा, १श छांशंसद्धिं। शंश छशब्द प्रिंस अङ ग्निः (श एांश छठकाः। क्रुि छांशं; कि मूर्तीtर्शक थिा स् ि? aगिक शश था। छथिरे टेर,0 गए इग्लिश उि १ी, छागं कउि १ान, क्छुि (श निषात् छागं रुद्रां रु१९ जूझ रुउि १ोत न। {लङ्ग-नी {ण नेिव नि:शा षष्ठाश्च द्विी। निक्षतः । चांग्रां★ गृश्इ १ीढ़ गिाहे प्लग्न विनिंग९ छांशं★श्चिा श। धक्का यौन शी गिक शर्मणोरु dरेझ१ सूोहिण-शक्लिारे।मिरेशादा ि չsՅան थिा नार, जम्नांतरे हेछान वह स् िथिा श। ७:, निकारे बांग्लादेश, वत्र बां थिा नाए, चांद्वारे ऐशं वत्र बाक्षि श। अकिरेभूबारेश श श्रृं★शि बार बारे रेश का श्रृंह रा, हेशां(ितृशांनीरु छैनिर, १-१-4)। शरे शंतर प्रशंरश्रेगिावात्, षांसांस् फ्रां, tस्मै देश छांशंक गी'कोि। हेछ। अंश रुि झोस् थिास्त्रा, १ब श्रेऽभिाऊ, dरे जाए त्रेऽभिाऊ '२ शांश् (१, (क्रग घांशांत फ्रां छांश नातू, (ग আনন্দকেও চায়। সে আত্মা ও জানদের যোগ চায়। কেবল আত্মা কেবল আননে তারার কাজ নাই, যে 5ः षांप्रक-अश्उि र श्रांप्रकाश घाषांत। দ্বাৰা আন নি, আস্থাৎখনি নি? ऐष्ठारे,त प्रकृठा विघ्नौह, शिन१ीर, उrत एांशन काल न, उशं★ इति श न। dरेवश्रे 6 षांश९षानकारु षश्र बांग्ल९धांगका (गंगीत गर्स ब्लक कउि देश्स्त। शिं★रिशांtiा सिांस इक्षश्। ििशाख्ष बांग्लाद्गरे स्निानं श छार छांशन १दिन स् ि! ि(रुश् छांशंरु गई भूश्रौिशन স্বপিতা গ্রাবনি, বা "দি ইয়া একো रुि d ि(अंशुरु ११ का श्रेर, (श ि ऍीर। १ीत् एशन शृश्रौितांबा, षगिण, (ल गिइ रौनि शंस्निहे शशो। उरे शंश (श्न क्रुि-घांशांत झां,ि चांमक्रू ब्लांs,गरेछ* ऐञान शंश्8ि5ः, निष्ठा धशा श्रेष्ठ 5ः। थौन शर्मिन भरे छोरन हरेज् कश्नं नरौं ङ्कि हे ग्रिी त छाि जा क्षेत्ना, घाख्न, घनन द|श्९,७छाि। झर्शी पिग्लो दिईन করিলে বলা নিত্য, স্বপ্ন (=আনন্দ), আত্মা। এখানে षांशतः क्षल वनैतः १ात्रौ नित् ष६ि८ौंतः ज्ञ निी स्१ शत्र गिर ग,ि पणि, इ१ घास। ३ % ऐाि र गिौण्। नि घांश (शिछ१ोरेर d३ऐआहे?णि ¢रुझे गका। १। "(श्वःश्शी (क्षाः तििषा (वाोभ्॥१ी गतःि।' ត្, ,