পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৯০৪

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निषिर्मिाश्वांiः १शांशांब्रांज़नैौनाशः॥" SAASA SAASAASAASAAAS भूगशाश्कलांकि, », २।। w। ‘श्रांगृीशमीमणाम्। *षां,ाणिारांश्ाथछ१]णीानं तिितक्षांौिरिरग्ना:। ক্ৰোক্ষাকffান্স। মোগাড়।" 4. षतिशतिं । ፶፪ ) tागै कक्षांशांत्रिश्शश् ॥" ७)। देशन गोष्ठिांकि नस में भी शब। रेशभू;ि कॉ१, वर्रो, सिञ,५४१, बिश्वध्यार्न,एक्तामाकर, पिशास् गिझा प्रश; वरैuांक शाठि (१५.)?sछहॉाः। नौगठठ गरीर दर्शी बांग्लानि शांनं शक्र श रेर्तिी, ५ **। भूरेि रन हॉां, रांश्शा अr oारे मशत हि श्रे जांजार। DDD DDD DD DS DDD DDD DDD DD gS DDDD DDDtttDDDS १ीतः शृतःि ७ शंति हि(षो वसन्) नििर निपाउँछैोोक् पृ९क्रोक्कुनः का; !' গান। पूजयाशक्त्वांकि,४.। স্বপ্ন-নেট ऐरज़र ঐশৈলেন্সকৃষ্ণ লাহ। ঐশৈলেন্দ্রকৃষ্ণ লাহ মনেটে গেঁথেছি গীতি-স্বপনের আল, আকাশের চোখে ভর মুনীর স্বগন, शरुि शंख्र जंङ्ग, कङ्ग१रुि, সোনালী নেশার ঘোরে রাঙা হল রো, ছায়ার সম্পাড়ে ঢাকা আলোর মাণিক, ফিরে আগে আসেন-কে বাতালের বোধ, द्धितःि शांशौरःि धौरना चांग। শিউলি শিউরে আর গরণে গোপন; ঘী" গড়ে আছে গ্রাণে গোল মলিলে লেগেছে কার দ্বিার কাগন, स्एक श१ि,-शांति नराौिर, रुझेछि(ता-रान ११ श्ण (१। *ाग छांशीठ तिष धभूछ षश्रुि; शङ्खशांत षरगtन घरशांrा थांन। ब्रशषा शांtा रुर्ति औरण-शीर्णन। एवां बध्नान ए३ छां★१५षांछ। , গ্রাসা প্রাচীর নাই, তোরণে গ্রী, श्रृौ्वाशार्ारं गतः। ऐन्रूरितः शां, नाश्रिता"; शान &शंt tछाग शांश् छांश शश्; (रु घरि ? (कर्नां ितार ढां। स्घ्रश्नौइक्वप्नाशन। , ऐकूनिस्-ऐशरा घांजक-गरौ; क्ञ७ रुक्कमणि रुक्ष श्ण रु, रुिगिस् कणिः शऐकांश प्रश्न गि एारे गनलिगांव। शृगा इति ऐ#, रिश्त दूर्शी।