পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৯১৩

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i(t) কাগো षतःि ५ाौ सीता ,ि न। शिर एव क्षतं सीता। ༈་། དེ་ཀ་ཤི་ཀའ་

  • ातरि चरश् च१िrशगागशशक्त्र।

—াগড়াঙ্কাও দেখা গনোটুকু খাৰ, 6शशुरु गिहरु श्, गिर। रागौणशा गिशरीर दूषनि हेर६ फेष्ठि प्ति रंगिग, '(१छ, षांशन एक शं★न रुश्ती ग१चांह; क्रुि वांद्र (स्प्लेरे षांशांक गांशंशा रुद्गार ন' ডি এটা দিয়া উঠিল; বলি-দেখুন, বানের জন্ত মোট দেবেন, ওড়ে আপনার স্বন্ত चानक कांब ३७ शtन छ! -কে বা ত আ িবুলি ছিল! বাগান श? क'tन धांशीज़ श्रांमक चांह, किछु {ण षांमक वांशि वर्षा शस्त्र पिश ५क उि सं १ास् करें ज्ञ|! -ष ि(ग्लश शरिश नृशिा शिा िि१কাউকে লাইন-ইউ দ্বাপনি বলতে চান! -न, ए' (ढ्न, उर, dरांत (१ढ़ िगारशंन १९७३गरेdरे रेश ि(श्र नरेग -পাবনা-ইড, স্বচ্ছ এা থেকে আপনিই আমার একমাত্র শ্রোতা হবেন! -लिङ् षांशाः त्रींीन]-श, षां★नाः शीशांना वांश्रािरा कार। আট ৰোগতে পারবে ত? মুনা লঞ্জেী tरांश् श षष्ठांग घांश, (तश्न?' स्मृितः दशीन श्री ५को अि'गि श।ि पैंन। ,ि शागर भारर' '१ि १,ार रग्रेए (शशार रश्-ि एास उद्ग जां★ घांशाह अकै क्षे चांह । जर्षि {शशात् ि ,ि षां नःि षाशप्र 'षानि' বাব-এ ডালে দেখা না। -भांक, चार (भरु शनि !ि उtन रदेशनाश९; षश् िऎीdरेशांन! सं★रतिसँस्नेरि ,ि मगधाि अशा"छ शशै' ब्रौ शु५ श्रज्ञः शिा रीज़रे चांझ्। ५रे (श् शंश, राशेन (स्म ? शtा १९'• -रि क्षेत्र भिं शैषा प्राप्त गरे Yeo-o जां★नां* शब्दशनिएशिशि जॉगिंग। रोगहौ गरिए शशि स्शेराठी शूषा शऊि (*१ सू१कृौि शशैनिप्ाणि। एका क्षीरं ति॥(*मिांसभूक्लिा शंग्लिाउ इष्ठि निशस्त्रे रिझल्लौठ (ग रागोस् णि-पिशक्षा'बा'ित्रुि। शक न, क् िरन ? रागौ गि, रिी ५ शिश नृम्न बा, षरे 6 घण गर्व शु लि, 'शिंज्|(७, जांश् ि१ीरां★ निः षनि!' -इनिष्ठtण शैन ग्रंख्रिाउ शा श्रेउ शांछि श्रेष शरेशश्न। गौ णि- िt|ष्ािशा काराछाई इङ्गि नास्!ि स् िहरिशtग९७षांनन !ि रांगरौ गिाउ गिाउ ििग्न प्लारेण। दिश बलौ रति शगैः स् िशशि र,ि-णि' इ'न घरे-्र षनस् {्रीष-१तः १ tाहि । ,ि १ि७५क्षशिलन। (वा स्पोंसी शैक्षा श्७ श्रौ शूरु रागि। उ३tग घांन(हांtन क्षरनिल बा; हेष्ठावान रागईौ दृढ़ हरेउ शांश्नि श्रेश (jग। (शराद्र शौक-(*१ श्रेष्ठे शौश षष्ट्रत् एँ अग्निजन। ऐस५-१rज़न नि१ि १, १छ्रे सांग्निछ गांगि, छांक्लांट्स-९ ज्ठ शन-धन षांग-शक्ष कठि जानिन। इणि शंशैशं★ नाiथील श्रेष्ठ नग्निज् छि न! ४शीन (शशक्षा रि{१ष पूर्भ शुछ षांगिशन-कांठाषा विष्ठांग कशिन,-(क्शन षी ? ● -रत्र छांनष,ि tरेरा (गा ऍर। षा দ্বিছি ভাস্করণটি নেন।-বলিয়া রোগী ৰে प्रागैश ईस्ट इणिन। dषांश गशांशन (ग्न ौिश्रुतःि ॥ान नििरुचि तॆि नििश। -(रोग चांत शरौत ईक्रान छह (र्षि शष्ठि! • रोगहौ९ श्रौ चांगिण।