পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৯৫৬

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

hoy প্রাণী-আনি,১৩% [洲毗州帕 शाश्ण शक्लिश, ऐशन (शांनांशौ ब्र का एक शांौ कुछ हैिं। शंश रे शीर्ष रे ग्रंश७रश्शूरश्न *शार ब्रां★ बांझ्। ऎश ििठ एाः प्लेष्ठाशास्त्र शूरििक्षह। भग्नांश्च श# tाश्न (शिश् िdरे शर्ण९ tष्शुि शौ गद्भै राष्टि क्रैि0ाशाला ब्लॉा छन, एांशंठ जांगकांशृंद्र {औरछ। शांशंद्र शृंद्र ** बाल एक शस्त। दशरा प्रशांश अश्रुशनि :ि अंशं★ शण खग,ि शाक दू६ ईरः शगं िथा। ठांश{ tानगल्ण शरे षा, शृण (ौ शू१ ग् िपूत श िग िऔशीठ বা আন। সেগুলি এখানকার লামার छु। ¢हे असा शंक्वौ भांजरांत शं; ऎप्तशांशी यांन४ गूि बांश शिश। राक्षांश $ गल्नलििहे. 'वृनके रुरुरुष्नि नागििनर्मिठ शंग दूंगांना . ःिाछ। प्ले (कांन गांश रुदांग त अ िश्रेष्हे óसूछ। 4१ॉन (तन ईपू (श्छिा) रुणि(कांन {लनि शृण ऎशिप् (सि १७ १७९नििन मांशलेि ११)कौल १शांना श। १: बग्लिशग प्रणश् कशि नांनॉर्थकां★ अगङ्गांतू १द्गिरहिंठ रुद्ग हा । (गरे ग़ल्म अगढ़ "विक वृशिश्रृिङ्गणे (कांन७ शा? মা রাখা থাকে। স্বারা কোথাও কোং ভক্তগ ऐशशला ठभ गरि बांगब्र तारा रग्नि १rतन। ठेशमांश्नां★ प्रशं; रशिाहेि थानाक्द्रश्मि। tतश९(काशं९ ऐश बांश ऎषांश त्रक। (कन स्न8 गांश*(श् दूर कई-निर्मिठ षांशtा शूना शश ब्रांशिष्ठ ५क्ट्रॉन शृशश्छि रुद्र श ७* छांशं प्ले"; tतर्निर्विष् प्ले शंस्। ऽिसाठ १ठशनि ग्रू बांझ ভা কোণী কোন কোন মোরা সারি प्ले देिीिछ। ...(ज्र ति अिन रुणिइ ड्नि नष्ट्रि ३श ॥ि आधा रग्निमा। बागरा मृत्र १शं★ गि, बछ हूि शरा न शंक; tशं★तां ब्रवए१५ हिारे थश dतांनं रुगिन। नांनाऐशन ग्रा गरे। आजरु७ िंश नौ७ बाँििश। शश गौगगा कि लोगरगिलास, छष्मीप्रश्७१म९tरक्रिानो बन्छ। গ্রামানীি নাৰীগ এানা যাকে দেয় रक्षणॆणशः विप्रः शशी शाश्ा नि इ६५क तिुः तिरिष। शिल्गांश बाबको कृशा रौश, रिइति शंशः शंग श। ऐश५ठ रौन श6, शंनि । भणि७ घोः किं न गतः। वॆश निद्र रशिा शोर श। बांग ग्रस्रवन्रशशू ब्राशि एक बग्न सति गिरेः शं। cाशन क्षे गते ||१ षोल्षांशतः *च नक्षांशतः १ीयः सकिििझे अलि अन्त७ प्राशा शूरु लुिििछ ७शशंष्ट्र रुद्रशंग ढूंगिाष्tइ। ऎशरु क्षिारुद्रशाह राग। थाइरे शंष्ठांश वाi। शनि नषेश संक्ष९ १छांन शति न। षांशांशन नििश् ड्रः षान्तःि शानि नििर्मतः করি একটা মূল গ্রাণে আদি দৃষ্টা,দেখিা। 'ं गं नौमिक्षौ छेतः श्व 'तानि ** tशश शरेशः । ईरे ऐफ़ इन श्रेष्ठ निशार्गः এরণ শ দেখা যাবে জায়া কে আশা করি নাই। वभू भार ५स सििक्र ३ श्लो बाझ रुषल्क एका शेक्षाहे ठेगळ१ कठिझिग१ शीर १ण१ण शनि रुझारुि हरेगा। श्री५क्शि क्रूण शब्द, शं★ ठिछ। हरेठ भर्शगरछ-ठांश* ऐशृtता स् िक्राको पूागि श्ठ ति गि, अंश श ३ि बाँक्षाव बसिन्। ब्ज़ाि क्रुरुक्षि লোকের হান্তিানা গিয়েছিল। ক্রমে গুনিলাম ऽिशिीतः शाहिप्ह'ि गि'ज्ह, न शॊ१ां शिरः। घ्रा अछा७ गिरेगा। अंश अप्लिो नि लाग ऐड़रिए भरशी शंसििश। ७:१, इशांश्नर गिी शेर र शांशिक्ष।'ाको स्ि श्रुत गरिज्राश् चांदूरु५रु दूरा गांश झठारा तांछि ऐरे शक्ति स् िइै (न। उहां★ "कांछि थ११ रेनियम पूरा रसि से प्रतििक्रेै। *ातः (गांतौ गि श्री। एता,१ीतः विीर ऐशश। ध्नि शं★बन बांशाः शाग शाe *