পাতা:প্রবাসী (একত্রিংশ ভাগ, দ্বিতীয় খণ্ড).djvu/১২৯

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) ఆ ఆ जननि ७ दश्रुबू cषांत्रtछांद्र धर्नtनब्र डिखि इाशन कब्रtणन। ७३ नव जाछारीप्यद्र cणष1 किड णिstक इांब cगण न। यद्यांनाइविठोररू बूकब वूष विप्न cनांनाम इम्प्लाइ-किरू बानां★न चबूष जाछाईirवब cणथा नाइ छ जांब बू८कब दानैं नह । ठाइ ठाप्नब cणषाछनिक “नाज्ञ” गत्ला प्द्रि श्रृथक करङ्ग ब्राष। इज,–व७ि ऋबजाइब्र dझाङ्ग cन नव भांज्ञ चाशद्र किङ्घ कभ cनण नl। 4हे लोहडलिई इ'ज महाशांप्नब्र जछिष#। भशवाप्नञ्च यथन एजणाठ इब्र धूर मछद बमब्रादउँौष्ठ । नानार्बन डाब्र नाज्ञ जबब्रांबडी रूिचा ठाब जबूब थाछकटकब्र মহাবিহারে বসে লেখেন । কিন্তু কনিক্ষের সময় গান্ধাge মহাবানের একটা বড় কেন্দ্র হয়ে ওঠে । শোনা যায় মহাবানের সব oझरब्र बढ़ रूचि अचएषांव ॐांद्र बtनक रहे शांकांtब वप्नदें जिtभझिालन । जनज ७ रुशबकूe नाकारद्वब्र cणांक ।• बांग्रांड#बब्र जरु dझरब्र बछू रहे ह'ज थक्कांनॉब्रबिठांशृङ्गब्र छैौका । dहे छीकां★ छिछद्र हिब्रहे छिनि ठाब नूठन गर्ननग्न अखि*1 करब यांब । चाब cषाणाघ्राप्त्वब्र 8न्ब्र बनक् ि७ बन्नश्वकूब्र मर cछ८ब्र दछू बड़े ह'श-एबोजकांब 4बर बहॉयांन विश्लठिक ७ बिश्नठिक । नांगांमधूं-ब्र ब३tग्नब्र मूल श्रो७ब्रां दांव्र नि-ठी छीन ७ डिक्सडेौ अत्रूवांटम *प्ली झीघ्नी छेणीब्र cनरे । किख बनज ७ वश्वकूद्र यदेछजिब्र नश्कूङ मूल cनगारण गteग्रn cणप्इ । जनव e वश्वकू ॐाप्नब बहे धृक्षैग्न कङ्कर्ष अङएक जिtषंश्लिन भtन हक्के । 4हे छूहे अर्जtनञ्च शूषि"ब झोप्लां यहांथांब लॉयज्ञब ब८षा कठकeजि DD DBBDD DDDD DLLL DDSDDD DD DDDDDD DD जचtषाप्यद्र बूकफ़ब्रिड ॥ ७ शक्ल चाचप्षांप्दब्र कठकखणि cरूीछे GBB DDDDD DDD BBS HBBDD BBBDHHYD काट्याब्र हिणोप्यझे ५ब्रn cष८७ नंtिब्र । जजिठदिखब्र कब्र tजथ छो' बलां शांछ बा किड़ cन कई cय कांबा छोरङ मएमझ cनई । ¢न কাব্য আরও ফুটে উঠেছে অম্বঘোষের “বুদ্ধিচরিতে" । আখযোৰ নিজে বুদ্ধচরিতকে মহাকাব্য আখ্যা দিয়েছেন—সেটা যে মহাকাব্য एठ1 cन वहे बैंब्रिां गप्फुल्लब छैiब्रां जदीकोब्र कब्रन ब1 । बहाकवि কালিদাসের কাব্যের উপর যে তাঁর ছায়াপাত হয়েছে তা পণ্ডিতেরা cबांद्र नजाग्न बाणप्छन । बूकळब्रिप्ठद्र डांबी मडन, इप्लञ्च छिठब्र &यो५ जान्छ, ॐवांद्ध छिछद्र बठिंबा चां८झ । जांद्र नरङ्कठ अलड़ांब्रশাস্ত্রে মহাকাব্যের বে যে গুণ নির্দেশ করেছেন তা সবই বুদ্ধচরিতে गtउद्र शांच्च । चूकएषांद कविलङ्ग बांचोकिब्र नाम कtबtछन । इछब्रांर ब्रांथांब्रrनं★ मtत्र ऊँीव्र गब्रिकृग्न क्लिज ७ ठाब tषtकहें छिनि প্রেরণা পেয়েছিলেন, তা মনে করা অসঙ্গত হ’বে না। অশ্বঘোষের cणथा शांब्रिगूब अकब्रन एप्छह नाप्लेक ।। 4 नाभ्रेरकब्र कठकठणि খণ্ডিত অংশমাত্র জার্মাণ পণ্ডিতের মধ্য এসিয়ায় কুড়িয়ে পেয়েছিলেন। ষ্ঠাদে বত্বেই এই নাটকের কিছু পরিচয় পাওয়া গেছে। এ নাটক बूकवtवद्र औदनौ निद्रहे ब्रक्लिष्ठ हcब्रहिण । छाप्नब नाकtरूब्र कषा बांश प्रिंटल 4ब्र dळ्ळग्न थोप्लेौन बांझेक जांब्र vieव्र खांब्र नि ॥ ४ इोफ़ी कठकठणि cबोकप्लांब, बछवरखब cणांकचङ्गभङक, बा ब्राछ1 DDBDD BBBDSBB BtC GD DD DD DS cनशो९ cषप्णा नम्न । वकबाप्खाज tषप्क अर्का नबूबा बिष्णऐ KSDD BBDDD DDD K DDD DBB BBB BBD HHHHDS SDDBS BSBB BDDGHDS DD HDD DD BD DS DDD छूtछहिरणन कदि खेोप्पब३ इदि चॅीकtइन शब्लांबाउछनाखांs वदनकूषणब्र-गईवांनाब्रडांएकm नन्वादबांकांद्भरुनै ठङ्ग१ नंब्रिमणां८मांक्वांछक् विtद्रकः । প্রবাসী—কাত্তিক, ১৩e৮ 1 е»ч ভাগ, २अ פיאס काशे नामाष्ट्रवाखाच्ठङञ्च कब्रानीशाब्रवडीब छूश-- चबाषान् यार्षग्राड चश्मजबूक्डिाः नानब्राcादकछोः ।

  • cषदकब्लॉब्रां ८छीभt८क चांबीब्रहणं जामाब जांकोलक कब्रटहन ॥ मग्रtषब्र नैौछाबनिङ श्र६ ॐांबा छकज शा अt#tइन । श्रणाब शङ *tन बाकद्र छगtब्र गप्प्लाइ ; उंiप्नब्र बांबद्धरणोध्न वदनंकूवणब्राक हॉब्र यांनिप्प्लtछ । छंदमब्र cववॆ८ठ cष मन्त्रांब्र कूण ब्राइटह छांब्र ऋण जयद्र आकूण इन्द्र ७ütइ । बांद्र ठांप्वब गोप्छद्र मूतक्षनि দোদুল্যমান কাঞ্চির শঙ্কৰে ডুবিয়ে দিয়েছে।" -

●ई कांबाब्रगर्ढे जांदांब्र जछ निष्क- छोकब्र € छिंबकtäन्न होtछ बूॐ श्रद्र छdtइ । इंटेौह **ब-बठे-नठाकब्र ८बौक छांकरी cमधून, जजडीब्र जिकणl cमधून-अ३ जगूर्क tनोग्वर्षीबईौ cनवकछोप्त्रज्ञ cर्षांब नहtछहे बिलाव । किड जबडाब्र बिरूद्ध cकाषl cषहरू ठोब्र ८८ब्लो cणप्झझ्णि छ। न्णहे दूकाङ cत्रप्ण अिफ्ना छ श्रिक् HBDDBDDD BBBDDDS HBBDD DDD DDDD BDS अब्र ठिनि छैiङ्ग दरें जि८थष्णिन बछे बंटरक । इछब्रॉइ घछड़ांच्च क्लिबक८ब्रब्रां ॐांब्र कांदा cष८क जकूटयब्र१i tण८ब्रहिण पूछी भान कब्राँ जगछछ झळख बn ॥ এইবার মহাষানের শেষযুগের শাস্ত্র-সম্বন্ধে দু-এক কথা বলেই cबोक नाहिरडाब्र नब्रिकग्न cलष कब्रव । अरे यूर्ध्नब *कप्रज cबोरू जांठांप्रीब्रो वळूठ इब कब्रह्णन cष cवांषिकर्षn भजवप्नई हप्ठ পারে। এর সপ্তম অষ্টম শতকেই বেশ প্রভাৰসম্পন্ন হয়ে s*:णन ७ नूठन नूङन *ोज़ ब्रक्रमा कब्रrठ गjग:णन । अषङ এদের দর্শনের মূল যে যোগাচারের মধ্যেই রয়েছে তাত্তে • जtवह tबरें । शब्रl tग-जब नस्थाitब्रव्र ऋडि कब्रtजन ठrधव्र श्रङ्गि নিয়ে বেশী আলোচনা হয়নি। তা রয়েছে বেশীর ভাগ নেপালীनूषि८ठ चाब्र ठिक्वडी अठूवाप्न । बबषान ७ कालक्रमवाप्नब्र *tश्च সংস্কৃতে আর সহপ্রবানের শাস্ত্র অল্পগ্রংশে লেখা হল। এই অপভ্রংশ শাস্ত্রের রচয়িতার হলেন সিদ্ধপুরুষ। তাদের ভিতর সরহপাদ, কৃষ্ণ বা কাংগা ও ডিম্নোপানের লেখা বেশী পাওয়া cशtछ । बtअब्र छाषा स थोप्लेौन दtरली खांबांब्र छिलब्र दए गांर्षक, নেই-তাই এদের লেখা বইগুলি বাংলা ভাষায় আলোচনার জঙ্ক খুব মূল্যবান। প্রাচীন জ্বশ্বে এর যে সব নুতন স্বর সংযোগ করলেন তারই अछाप्न याह्रौंब वाणी स झ्न्यौि महिआ आफ्नै छ? ज्ञ । विद्माणखि,०. চণ্ডীদাস ও কীর প্রভূতির ভিতর এই প্রাচীন সহজসিদ্ধদের লেবার ভাব ও রূপ আরঙ পৱিস্কুট হয়ে উঠল। * и ठिtझांजणाष यषन नषाविइ श्वांद्र छछ निtजब मनtक जाप्शन . করছেন—“মন, ভূমি এখন যেখানে ইচ্ছ। সেখানে বাও । তোমাক - बांब्र 4षां८ब हान cनरें । चांबि अषTांच्च८क $पषाप्रेन कtब्र, बश्वन ধ্যানে স্থিত হ’ব ও ধ্যানদৃষ্টি লাভ কৰে।” - जषद1 महत्वशाम शश्वन नह्छ निकिब्र यांशाछ &थछि*ीघ्र कङ्गबाब्र छछ दलूइन-4ाई cन शबनबिं९ मचाकिनी, अ३ cन बनूनी, जांब अ३ cन शृङ्गाणांत्रञ्च । &थब्रां★ बांब्रार्थनी, यl छठा निदाकद्वe ** छथन पठf८षङ्ग छ1८बम्र छिछब्र cय ॐचcéjब ७ खांब1 जीब्र इव्यब्र छिङद्र cष नखिाइ cर्षांज गारे ठा' छांबद्दछद्र भषाबूनद्र गाश्रिठा विद्रण। * cबोकषtईब्र पर्नब, नाश्छि, छांकर्षा ७ छिंबकण1 वहकांण षtब cष वाबाप्क्इ छूका cबाँझोप्क् फाप्रु चाब्र गणश् कि ! cन ब्रङ्गक उपू. छणबूङ जाश्प्ड षष्। फूप्ण बिष्ड जाना छारे । পরিচয়, শ্রাবণ (ত্রৈমাসিক, ১৩৩৮ ঔপ্রবোধচন্দ্র বাগচী