পাতা:প্রবাসী (একত্রিংশ ভাগ, দ্বিতীয় খণ্ড).djvu/৬৭০

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৪র্থ সংখ্যা ] বিবিধ প্রসঙ্গ-ভারতবর্ষে দেশীদের ও বিদেশীদের সংবাদপত্র అe& छांनिब्रां चाश्नादिङ हऐलांब, cष, बांठछांट्ज बांजकबाणिक উভয়ের জগুই জাবপ্তিক শিক্ষাৰিধিতে মুসলমান বালিকা विनzक ८ष बांन cनeब्रा चांदइ, भांक्षारजब्र भूनणभांन जच्थनांब्र छांश ब्रन कब्रिब्रां ॐांश८जब्र बांजिकां८णब्र छछe चांबलिाक निकांब्र नांदि कब्रिब्रां८इन । cदनंभ जाएश्याँ छैiहांब्र अस्छिडाबर १ डिनüि दिव८ञ्चब्र ऍछे°ब्र cखांब्र ८मन । প্রথমতঃ তিনি বলেন, “ऐश बछ इडीश्वाब विदछ, cष, 4षन पथन cञानब डिब्र छिब्र पईनच्यंषांtब्रव्र भएषा पूब cवनै मढीव ७ गांभsछद्र पद्रकtब्र, ठषन जांभब्र: विष्हिछ । किड़ 4है विशांशtभtषब्र कांजिषां ब्र छिडङ्गe রৌপ্যের জান্তর দেখা যাইতেছে —সকলের পক্ষে-সাধারণ একই èरषश्च नावप्नब्र जछ जकन नच्यवाप्द्रब्र नान्नैौक्त्रिप्क ५३ कनृकाप्त्वरण cषान विद्या गांलांशानि हैंiष्क्लारेब्रा कांब कब्रिtठ cषथा बाहेरठtइ. ऐश कम प्राथब्र विदछ नरह ॥ ऐश जांबीरबद्ध नूबषज्ञांठिब्र जइनऋतब बछ फेब्षण वृडेखि । पनि ठांशबा डांशप्नब कर्डश जांवहन जनवर्ष हरेद्वांtइन, ठांश हईtण जांबांधिनtक चांत्राएलब . दांब्रिच छेन्जकि कब्रिtठ हऎव, aवर जांबांप्नब्र यष्ठाकरक जांबांटमब्र चांग्रेौ, जांठ ७ नखांनशिनं८क छिज्ञ नयनां८ब्रब्र ८णांकटमब्र गश्ठि भू बैंछि ७ मामल्लछ ब्रको कब्रि छजिप्ठ बोथा कब्रिष्ड हरैरव। देश न कब्रिtठ श्रृं:ब्रिटण, छब्रठवई नांष कब्रिवांब्र मठ ¢कांन , ब्राझेब्र छैब्रठि कब्रिाउ गाब्रिtव नौ।” (अक्रूवांव) । দ্বিতীয়তঃ, তিনি তাহার সকল ভগিনীকে দেশী পণ্যশিল্পের সহায়ক ও পৃষ্ঠপোষক হইতে অনুরোধ করেন। “डांबछवर्ष नवज शृषिशैरङ प्रक्लिबठब cत्र, aषः जठ झरे द९गम्बद्र शृषिशैशाली जार्षिक कृङ्गदइ जांबांप्नञ्च कांशे ७ कांब्रिनद्रविप्नब्र वांद्र जर्स्नां★ कद्विब्रांtइ ॥ थिब्र छनिनैौ*१, जांबब्रां पथन चांबांप्नद्र बिाजद्र ७ गडांबtबद्ध अछ इन्वत्र प्लभद्र cशांशांक किनिष्ठ वीरें, छषन कि चांबांविप्नंब्र कiब्रिग्रंa cथfब्र जांभांtषद्ध cनरें नष जलांनिंनी छनिबौरवव्र ७ ठोहांटबद्ध नछांनानब्र कषी बरन ब्रांथों छेफ्रेिष्ठ नव बांशप्रब अखि 4कॐ वप्नात्वात्र छाशक्ऋिक चनाशब इश्छ बकी कऋिष्ठ नtछ ? हेही अठाड जछीघ्र, cष, चांबांटबद्ध निदजब्र • জাইবোনের মা-খাইভে जाँबणबांब अछ विरक्ञी क्तिष कबिंब1. चांबांब बूगणवान नच्यवाप्ब्रह छत्रिनोक्त्रिक ស៉្យា" ៉ चचज्.cनरै गब्रिबांtन छांबडीब्र गनं नित्रनबूहरक ७९गांश् यज्ञान कङ्गन, cष बिबो५ ७९णाइ अञ्चोछ जसिक्रोप्द्रङ्ग छनििनैौब्रो प्छिन्दछन ।" *(चुषोष ) ॥ ग्र८िुषि ङिनि बद्मश्रं वंशंब्र ऎकाक्षि जांक्ष८नब्र खङ्गना। সঙ্কলকে সনিৰ্ব্বন্ধ আছুরোধ জানান। তিনি বলেন, “এই éवैषl खांब्रज्रब८र्वब्र चटनक अशंभल «थछजिष्ठ, किरू* जकरणब्र cछटब cवनौ वांखांटल " चांभद्र! उ भटन कब्रिडांब, cय८षब्र

  • मा लिथि८ठ eरछान दाद्धांजौ ब८ब्रब्रl e ब८ब्रब बांc"ब्राँदै এ বিষয়ে সকলের উপর টেঙ্কা মারিতে পারেন ।

नछाप्नवौं छैभउँौ जब्रणा ब्राङ्ग 5शब्र चछिछोष८१ বালিকাদের শিক্ষার উৎকর্ষবিধান সম্বন্ধে অনেক কথা वtणन । बांनाविवाह बक इहेब्रा षांeद्राब्र हेह चाब्रe cबनौ चांदशरू झहेब्रांटरू । निकांब्र ८ष-च९* छब्रिज-ज*न, उiहॉब्र প্রয়োজন খুব বেশী হইয়া পড়িয়াছে। অতঃপর, তিনি সকল বিদ্যালয়ে নৈতিক ও আধ্যাত্মিক শিক্ষার ব্যবস্থার প্রয়োজনীয়তা বর্ণনা করেন। তিনি বলেন, নানা ধর্শ্বের লোকদের খালিকার যেখানে পড়ে, সেখানে বিশেষ বিশেষ কোন ধৰ্ম্মমত ও ক্রিয়াকলাপ শিক্ষণ দেওয়া যায় না, কিন্তু এমন শিক্ষা দেওয়া যায় যাহাতে সত্য ও স্তায়ের প্রতি অনুরাগ, শ্রদ্ধাভক্তির ভাব, পূজার ভাব, নিয়মান্থবর্ভিত, নীচ ও পার্থিব বিষয়ের অতিরিক্ত নিত্য কিছুর অনুসন্ধিৎসা, এবং আত্মবিশ্লেষণের সত্য মননের ও ধ্যানের শক্তি জন্মে—এক কথায় আদর্শান্থগামিতা জাগ্রত হইতে পারে। ভারতবর্ষে দেশীদের ও বিদেশীদের সংবাদপত্র এখনও ভারতবর্ষে ভারতীয় অনেক লোক কেন যে ভারতবর্ষে বিদেশীদের দ্বারা অধিকৃত ও চালিত খবরের কাগজ কেনে ও পড়ে, তাহা বুঝিয় উঠা কঠিন । ধাহারা বিদেশীদের ঐ সব কাগজের রাষ্ট্রনৈতিক মত ভালবালে, তাহাদিগকে কিছু বলা বৃথা । বাহারা বিদেশীর भूष उॉब्रडौष्ठ भांश्वप्नब्र ७ छांबडौद्र नांना विवाहब e জিনিষের নিন্দা কুৎসা ভালবাসে বা অন্ততঃ সধ করিতে गांzब्र, ठांशंनिग्रं८कe किङ्ग बज वृषः । बांशंब्र डांशtनग्न বড় সাহেবকে জানাইতে চায়, যে, তাহারা অমুক এংলোইণ্ডিয়ান কাগজ কেনে ও পড়ে, তাহারা কৃপার পাত্ৰ । किरू जत्ररङब्र थबाबब्र बछ, खांब्रडबcर्षब्र थबप्प्रब्र' जछ, বিশেষ করিয়৷ যে-সব খবর ভারতীয়দের জানিতে बिप्लष चांGइ cगरे गद शब८ब्रब्र बछ, ८ह*ौ कांगंजखनिई वtषडे । बांरणां cनप्नब्र कषाहे शक्न । ७षांनकांब्र ७९rन-देखिबांन दैननिष्क चांष्ट्रांप्नब्र खांडवा धबद्ध बांश ৰাকে, তাহা অপেক্ষ দেশী দৈনিকগুলিতে সেন্ধপ খবর