পাতা:প্রবাসী (একত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৩৫২

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কালীপ্রসঙ্গ মানলে সচেষ্ট ছিলাম । g ‘মালতী-মাধবের ভাষা ও রচনা অনেক পরিমাণে थांडण हहेबां८ह नऊा, किरू हेश cष न-शूर्ण चांडांबिक शहेबां८इ छांश बणा बाञ्च न । मूष्णब्र cझाक७नि इटग्म चइवांनं न! कब्रिड्रा डांशब्र छांदार्ष ग्रं८ला थकांश कब्र হইয়াছে। এই প্রণালী রামনারায়ণ তর্করত্নও অবলম্বন कब्रिब्राcझन, किरू हेंश विप्लष क्लeधन शहेब्रां८झ cबांध श्ब्र না ; কারণ, সংস্কৃত নাটকের শ্লোকগুলিই ও তাহার ধ্বনিবৈচিত্র্য, তাহার নাট্য-সৌন্দর্ঘ্যের আধারস্বরূপ। মালতীকে দেখিয় মাধবের পূর্বরাগ ও বিরহাবস্থা তাহার সখা মকয়ন্দের নিকট এইরূপ বিবৃত করা হইয়াছে (क्लर्डीौद्ध थक, श्रृं: ०० ) : भकझ्च । बद्रज ! ५ छूबि cकबन वरन्न, ७कदाब्र वर्णन करझरे कि 4ठांधुन यनज्ञ इब्र. ना ना cडाषाविप्नब चाडब्रिक कान कषा चारह, मकान करष्क्र नt, गद्यपूण कि छठकिब्रटन विकनिष्ठ हच्च । भाषब । दग्नश ! जाधि cठाधां★ विकरके किङ्क३ cजाणन कब्रि नारे, उदर (भारना गवि८र्षद बनिा कब्रि, षषन श्वो गणैश्रt१ cबडछ शश्वा चाबाष्क बर्तन करङ्गन, ठषन गबन्ग:ब्रद्र नूषांवप्नाकन करब्र, সকলে হাস্ত কত্তে লাগলেন। সখে। এই সকল দর্শন করে জামার जकूडब श्रण1cष जात्रि में कॉभिर्नौत्रप्नब निक गब्रिक्लिष्ठ थाहि । भकङ्गन्त्र (चणङ) नथाद्र शषद्योकोप्ण cचएबन्नु छेगन्न श्रब्रप्झ् । कणश्रण (चभउ) cकान ब्रमनैद्र विक्द्र जप्द्र क्रषाणकथन श्राक्ल । মকরন । সখে । এক্ষণে চল আৰাসে গমন করি। बाषद । मां भिद्यष्ठब ! जानि वचरन cकानङ्ग८बरे छनTांब नब्रिखTांन करख शाब्रव मां, कटावबबैौब्र ब्रान्जांबना वर्लब थांबि छांमनूद्यश्लेिख श्रब्र,ि कि थकोटब्र छ। ६ष्णा अबम कब्रि । cकान जरब३ cष अब প্ৰবোৰ মানৰে ন জামায় মলেৰাঙ্গা পূর্ণ হবার কোন সভাৰম৷ ना३. कांडन छादिनौब्र उववर्णtन =गडे यठौछि हटण, खैशब जखtब्र कामरक्य्दछ आविर्डोद श्रब्रट्छ, किस्त्र चोनि किङ्कबाज श्रृंकङ (ct) कब्रि आहे. ८कषण छिबनूखणिकांब्र छाड़ cरब्रहिणाभ, गएषा भाषा नास्तिर्क छांtदन जाविडीव हरन् श९क=ण शtब्रक्ष्णि, जाथि a३ जवज्ञाब्र अदहीम कछि,अभङ गबाइ रूठकछणि जजषांब्रि चांद्रशांण 4ावर 4क दूक, कॉबिनैौननं८क इखिब्र खेणब्र बनाझेब्रा ननद्रांखिबूcष श्रबन कब्रिज । जांश छद्मंश्मैिौ श्रृंशबक्षीप्ज *ज: *बः बालग्नींश्चाप्नङ्ग अवच्छि गड़क महत्व वृeिमिप्कन करल जात्र प्गन, दूब एप्ठ cराष रण, cवन थइफेक अञ्चङ्गुण गोब्रप्त नकानिङ श्प्छ, गम्ष। वृभक्द्रमात्र जानीन cष वज़नी नझ कटग्रहि ठ1 वर्षबी कब्र बांग्र मl, कीड़न मtणारा विब्रह (विद्रण ? ), कथन वा कांगाधि यमकनिष्ठ शक कcख जानcणt, भाषा ऋषा जtछछछख दtञ्चह्ञिांन, षषन छठछ छषत्र कि वकीब्र छिंख घहिब कtपर्व1 किहूरे हिब्र-करख ংহ ও র্তাহার নাট্যগ্রন্থাবলী . . . याँख हऎ नाम्नेि बारे ॥*

  • <रे इरण इणनाब जल ब्राशनाद्राज५ उकहाद्र नानडी-बाषव'

OEE काजौदधग८ब्लग्न - जङ्गबांन चोचब्रिक माँ इझे८णe शंश्ल्ड जङ्क्रन थाल अषाप्न सक्छ श्श्ण, किरू बाक्यादात्वप्नद्र चष्ट्रवाब नद्र क९नद्र थप्द्र sv७१ पृडेारण अकानिड - wo वकबच । नष1ष्ट्रवि cप्रथछि बर्नन रूटहरे ●ाब जानागरका नंषिक हाब्रह, किड़ ॐाब्र ऋबब्ब छांष किडू जाएख cगरब्रह ? cछांबाब «यछि ॐiब्र खांवछनि किङ्क इtब्रहेिज ?०००००० মাধৰ। সখ। সে কথাও তোমাকে জাম্বুপূৰ্মিক ৰলি শোল । ७क्रिन cजांटकब्र अछाड छनड1, छांब्रि cकांजाइश, जावि अहैि इोबाँscठ दरन ड९णष cवधछि, जॉब *बै क्कूण नोइ cषक कूण नफ़यछ, उारे निtा बदृष्हाजरब बक इकी वाण1 *ाथ छि, 4नन नबन्न छ९नद अभां८अम्ल बाषा हरठ cनरे नर्देौबा गकर्तांधश्चमॆी क4क जब गर्थौ गयञ ( অজুলি দ্বারা নির্দেশ) এই দ্বিগের পুষ্প চরম করতে এসে এই বৃক্ষতলে मैंiफ़ारणा : पॅiफ़ारण 4काँले नथैौ चबनि वरण ॐzण "cनश् छिनि cणी তিনি এই কথা শুনে ভারা সকলেই আমার প্রতি চেয়ে দেখলে । মকরন । তৰে ৰোধ হয় পূর্বে তারা তোমাকে কোথাও দেখে থাকবে, এ লুক্তন দেখা নয় । DDDDS BS BBS BBB BD BBS DD DBBD DB BBBDD ৰখন দেখি নাই । মৰুরঙ্গ । তা হবে, তার পর। মাধৰ। তারপর আর একটি সখী জামা প্রতি অঙ্গুলি নির্দেশ DB BBB DDDBB BB SBBD BBBS DD DDD BBS gg কথা বলে সে হাগতে লাগলো,তাতে সেই মৰম যেন লঙ্ক পেৰে जएषांवधन इष्णन । जtषांदमन श्रजन मछ, किरू ठाँच रुणि, जात्रीब्र ●यठि छाब्र वृ*िब विब्रफि इप्ना नt, कथन cनश् cषांश्न बच्चन-पूर्णण विकनिष्ठ हेचौकcद्रव्र छांद्र यकर्केड बांधूर्वी-णाद१ यकांन करखा লাগলো, কখন জক্ষপ লতাকৃত মুকুলিত কুস্কমের স্বতীয় ৰক্তভাৰে যুদ্ধ करखा जांभरणी । जांब्र कथएन1 वी जाभांब्र नब्रनtनाछद्र इरण, ७क्लिष्ठद्र छांच्च क्रमकिठ हा cनजiष्हाप्रब्र यांथइ जवणचन करखी जांजtजा । जथ, cण बध्मांश्ब्र छांदाँs ७षरमी जोशांब जड:कब्रtन जांभद्विष्ठ ब्रtग्नcछ, cन प्रिक घृ,ि वधूम्न बूर्ति थाबि कथन२ विज्वक श्रङ •ाब्रुवा ना। সে বা ছো, জামাকে দেখেই তাদের পুষ্পচয়ম গেলে জঙ্ক আলাপ cनप्णt नू५बक्षनि बिब्रछ श्रण, जकरण जमनि हिब्रलांrव हैाक्लिब কানাকানি করতে লাগলে, তাই ভাই আমার বেন কিছু লজ্জা হলে, जानि cषन कठ जछबtन चाहि, थाजा भीषl cवन जामाबू बढ़श् প্রয়োজন, না হলেই যেন নয়, আমি এমনি ভাবটি প্রকাশ করৰার চেষ্টা কত্ত্যে লাগলাম, কি তা কল্যে কি ছৰে ? মন কি আমার আছে যে আমি তাকে বশীভূত করে রাখৰো ? আর মনই যখন পরবণ श८ण एठषत्र बझन षङ्गि बांक्षीब चंडं षशिबि ८ङ्गम ? नन्वम७ बमिव সঙ্গে সেই স্বরূপান্ন রূপাযুক্ত-সাগরে সতন্ত্রণ দিতে লাগলে৷ ফলভঃ ऐटिाङ्गगनंदक जांब जामि जाइख कcखा शांझरजभ ब1, अभनि हठtछठकृ হয়ে চিত্ৰাপিতের স্থায় য়ৈলেম।--- मकब्रन्प । कछांल्ले कठचन cनषोप्न झिण ? बाथव ।। ७1 वफ़ थर्षिक च१ नब्र । कि*ि९ गtछ भब्रिखtबङ्ग জঙ্গুরোধে একটি স্বসজ্জিত গঙ্গাপুষ্ঠে আরোহণ করে সেই গঙ্গেজগামিনী क्किी नश्व्वीन५ जराब भयन कारणब। भवनकारण cनऐ। ऋणाझ्या, cषमम वृणोष्णञ्च खेणंब्र काकूजगन्न नवबश्रिज्ञाप्न ●क बकवाब विवर्डिंड छाध्ष cबाणाद्रगान दश cनश्क्रन, जागांब अछि चूषकमण किब्रिज इवाविक चिक कठीच मिरचण कक्रड कक्वङ जवखांमरषा बषिडे हरणब जात्र जानि cमथ छ cनरलन नl । ( औषनिचान ) । *