পাতা:প্রবাসী (পঞ্চবিংশ ভাগ, দ্বিতীয় খণ্ড).djvu/৫৫০

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৪র্থ সংখ্যা ] tज्ञांक छक छ कब्रिब्रांtझ्न ठांशंrछ बांशै जबांगोब्र क्रूण जर्ष बूको शांब्र । নিয়ে শাস্ত্রাঙ্গুমোদিত ভৈরব রাগের একটি আলাপ দেওয়া হইল। গান্ধারাংশগ্রহগুলো গান্ধীয়াদিকমুচ্ছ না। গীয়তে ভৈরবঃ প্ৰাতৰ্হকুমন্মত্তকো ৰিদৈঃ ॥ न जी ! त्रां । अत्र ब्रां ! म न्नृ नां ष1 । नूनी श्री त्रा ! अशी মধ। প মপ ধ ন ন ৰী পী ষপ গমা গা র সা সৰু সখা।

  • i r1 *i l i m" ir i n Fil ft| 1 Fi शांनं अश्नां भज| ब्रl 1 गl मृ1 न षांनी अज1 भनं ब्रां न সান্‌ লগা ॥

স্বাঃ সঙ্গীতাচার্য শ্ৰীকৃষ্ণধন ভট্টাচাৰ্য্য । প্রধান অধ্যক্ষ, সঙ্গীতপরিষদ বিদ্যালয় । অকৃবরের শিক্ষা चक्क्व्र बाक्लाइ निम्नकब वा निक्रिङ रिजन, cन-जषष्क जामात्र আষাঢ় মাসের ( প্রবাসী ৩৯৩ পৃ: ) প্রবন্ধের জাখিল মাসে ( ৮২৬ পৃঃ) *क$ि थठिबांझ थरूiनिङ इल्लेब्रांtझ ८णथिब्रl छ्शौ इक्वेलांभ । dद्भाण &थठिबांझ बां झहेंtण धैष्ठिझांनिक मठ बिक्रन्द्धि झघ्र बां, किड़ s &थङियांzप्त बिट्टमप्यवह झड़ेtङ श्रांब्रिजांभ नl, कांबून ३

  • । जबूण कव्रल ७क हांtन जिशिद्रांप्ळ्म, बकूगरब्रव्र कांtरू बभन যে পুস্তক বঙ্গ পাঠ করা হইত, সেই স্থানে পুস্তকের গায়ে সম্রাট चठ्ठाल मरषा लिथिब्रां क्रिठन । *झे मरभा मखबड: छाबेिथ, tकबनां পরে বলা হইয়াচে পাঠকদের পঠিত পাওীর সংখ্যা গুণিয়া বেতন o७शां हल्लेख। निबक्रद्र बाखि अब्रtणं शङ बूब गा? इश्श cनथाrन সংখ্যা লিখিয়া ব্লুথে না ।

এখানে বলা উচিত যে ব্লকম্যান এই "ফিলিসা" শব্দের বিকৃত worth Geometrical figure wsantown, fou fiforns two wystw Rwm cardinal number esal SfB's i २ । अश्ब्रन कमिश्न किब्रिनष्ठl अकछन जकूबाइब्र जमनांबब्रिक ঐতিহাসিক । তিনি ১৪৭• ঈশাজের কাছাকাঙ্কি কোনও সময়ে हेंब्रांtबद्ध अज्ञांदांज बनंtत्व खश्वअंश्नं कब्रिव्रांझिtजन ; witā शकिनांtठाग्न यषप्य बझ्भानत्रtा, witद्र ( sev>) विजांशूद्र ब्रांछ मब्रकांरब्र जांभळखब्र *ष शाहेब्राझिtजन । षशन विश्रांशृप्त्वब्र ब्रांजकछांब्र जकूवब्र-शूख भिर्बी छनिम्नांtजद्र जहिठ विदांश् ( s७०s) हब्र ठषब ठिनेि ब्रांछकछब्र cषहब्रो शरण श्रिजन। खकुबाच्न धृष्ट्राब भन्न (१७०७) डिनि अशंबोल्न ब्रांखभच्छtठ छांनिम्नांझिटलन । डिनि cश श्रtरबल कब्बिङ्गां देठिशांन जिषिद्वांtइन, ठांशंद्र यबोन ठिनि चबर cषनकज यांछैौन शूखक ना? कब्रि भद्या बिक्रण' कब्रिक्लिएजब ठोशब्र कर्थ ब्रिtइन । छिवि ७e थांनि योौन हेठिहांग *? कब्रेिष्ठांझिटणम ॥ ३शं झांक्लl ss षांनि जछ भैछिझांनिक स जयर्थ-विवब्र* श्रृंखक हहैंtठ भरवांक गtiइ कबिद्रांझिजन। किबिन छ जकूदन-नचरक cष शांलों नकछणि शबशब कबिब्राश्न ठाशत्र चर्ष-“जकूदब बeि ●कबन छछ जाबब निक्छि विषान् हिष्णन न“” अ३ जएनब श्रrबबि जइरांब बित्रज्ञ Lt. Colonel John Briggs ) at of wfoto -- Although Akbar was by no means an accomplished scholar, he sometimes wrote poetry and was well read in history, at afat vtsi car firs tim sta আলোচনা—ফকিরের গান (? ఏ cष, चकृदब्र निबचब्र श्छ *ifब्रन बl. £कनबl ar५ontplished RCholar না হওয়া ও নিরক্ষর হওয়াতে আকাশপাতাল প্রeেজ । चकुवत्र c*ष cमाबांबtकब्र कांप्इ अवृदौ छष निक कfब्रt* बाङ्गल कब्रिञ्चाङ्गे ८लय कब्रिज्ञांक्लिप्शन, किड़ cकक्ल यज्वरोो छांना न छ।iनिtज লোকে নিরক্ষর হয় না। তবে, সে-কালের সংস্কৃতজ্ঞ পণ্ডিঙের বাঙ্গার সংস্কৃত জ্ঞানিত না, এমন লোকদের, পূর্ণ ভাবিনে ; সেক্টরূপ এরণী डवांग्न विचांप्नबा गांशंद्रt अमृतौ छांनिष्ठ ना ठांशरणञ्च चूर्श बजिtठन । এভাব জাঁজকাল নাই বটে, কিন্তু gene বৎসর পুৰ্ব্বেe সংস্কৃতুঞ্জ পণ্ডিত ७ जबूरो छांबांग्न बिषांबू cयोठारौtछद्र भtश जरमाकझे ॐक्र° थांब्रलt cगाब4 করিতেন। সম্ভব যে জ্ঞহাঙ্গীর আপনার পিতাকে ইসলাম ধর্মের ভাব जङ्गरोो न छोनिबांब्र खछ छेत्रौ चक्षुषां मूर्ष बलिग्नांtछन । ●थठिषांधकांद्रौ cनtशब्र अशtर्ण tरु श्रछ शिशिग्नftछन, शांझांt७ ऐक्छौब উক্তি “নবীয়ে মা উন্মী বুদ......” লিপ্পিয়াছেন, সেটি আষাঢ়ে গল্প মাত্র, ८ङ्गंब७ बॆिशमनौश्च भूख:झ नां । ঐ জমৃত লাল শীল ফকিরের গান काबद्र cावांनीहठ बैयूङ बलैौठबांथ cमन उस अझां★ब्र ‘नल्लौभत्रौtछ डसंकल् िककिब्र लांजन न' नौर्वक *कै क्रूज थबक लिथिब्रांtझम ! षडौन-तांबू जानक चश्मकांन कब्रिह ककिtछब्र cव भान ७ दिवब्रन नरअंह कडिब्रांtइन, tगछछ बांखदिकहे ठिनि पञ्चवांघाई । अरबक नि झहेtठझे &थवांनौtठ 'हांब्रांशनि' बांध ब्रिां भtथा-ऋषा द्मभद्र-ग्नमब्र कfकçãङ्ग-श्रीन &यकांजिट झझेब्र चांगिरष्ठtझ । किड़ sढें जांबलजिग्न मरङ्गांश्कञ१८कखण श्रांन ग३िञ्च मखहे मा ङठेब्र वरि कबिराब डौवनी-नाशtइब क्रिक७ अकई লক্ষ্য রাখেন, তবে এইগুলি পুস্তিকাকারে প্রকাশ করার পক্ষে বিশেষ স্ববিধা হয়। নিয়ে আমার সংগৃহীত জালাল টান নামে এক ফকিরের अक विबब्र= cमeब्रां tनज अांणांण छैiझ ककिरद्भग्न मक्लिष्ठ पञांशांब्र अांलां* झग्न *ांबबांग्न *ञ्चांद्भ-शांtज़ ●क बिल6न हांtन। बड़े वृक रुकिरद्रब tछोtष नृtष ●मन-4क$1 किहू झिण cय ८भथिब्राहे कॅझैन्न मङ्ठि जांशांन्न चांजांनं कग्निtठ हैंछक इडेंज ॥ यांत्रि যখন ফকিরসাহেবের কাছে গিয়া বলি, তখন তিনি সারেঙ্গীর সাহায্যে গাইতেছিলেন— e प्रब्रध्नौ मई जीशि किट्नङ्ग शांछि यांझेलfश cझधों কিছুই ঠিক ঠিকানা নাই। नंब्रथम किलांध cडांभांब्र शाम्न এক্ষণে আইলাম পরের দ্বারে श्रंa cषांख्र श्शैल ख्र३ এক্ষণ পরের বেগার থাইট্য মরি शृष्टद्रव्र उवघ्नई क्षांझे । इग्न श्रृंख्र बांदल्ल इम्न क्रिकट्ठ বাৰে মোরে জিনি-ব্লাইতে कठहें इ:ष शोई ॥ छबू ठांcनंब्र जांनि खिचक प्रांत्रि ছুটির বেড়াই। शक्sि घ*बांt *ाँकि वझ्द्र जांtत्रकांब्र, ठबू श्रीटमब श्ब्र*ि cबन अषन७ जांबांबू कांtन जांनिंब्रांदे यांtझ । *हे £नौभTश्र्नन कfकरञ्चद्र आवानब्र