পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/৭৫

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ধৰ্ম্মতত্ব। uाई कांबt१ मैंiहांब्रां जब्राiणषर्चांबजशे, डैiझiनिtभंब्र নিকট অপভাপ্রীতি ও দম্পতিগ্রীতি অতিশয় স্বশিত। छैIशंब्रां जौबांब८कहे *ि*iछी ब८ब कद्दब्रन ! चांषि তোমাকে বুঝাইয়াছি, অপত্যগ্ৰীতি ও দম্পতিগ্ৰীতি नमूक्लिष्ठ मांबांद्र नब्रब वर्ष ॥ ठांड1 *ब्रिउTां★ cचांब्रछब्र जथई। उघड अरु जबाiजषर्षांबणशेशिtञब्र यहे खषां5ब्र१ cष बह९ श्रृंtनtछब्र१, डांश cठfयां८क बलि८ङ ह३८व नां । चांब बांग्रंछिक ब्रैौछिडस्र बुवांझेबांब जबब cऊांयां८क बूक्षांहेबांछि cष, यहे शाब्रिपांबिक थौछि जांनंडिक यौष्ठिाङ जां८ब्रांश्नं कब्रिसांब्र अंषष সোপান। যাহারা এই লোপানে গদার্পণ না করে, छiहांब्रां छांशंठिक üौष्ठुि८ठ जांtब्रांकन कहिद्दष्ठ श्रृंicब्र लिया । वैौल ? खङ्ग । शैस्ॐ वाँ अंक7जि९८ह्ब्र छांग्न शॉक्षांब्रl *ां८ब्र, उiहांटनब्र बैठंब्रांश्नं बलिब्र भन्नुtष्ट्र शेौलांब्र कब्रिब থাকে। ইছাট প্রমাণ যে, এই বিধি যীশু বা শাক্যगिरtहत्व छांद्र भन्नुषा छिद्र बांबू ८कझ्झे जख्चन कब्रिटङ *ांtद्र बl ॥ चांद्र शैौउ द थांकानिरह बनि श्रृंरो इईब्रां জগতের ধর্শ্বপ্ৰবৰ্ত্তক হইতে পারিঙেন, তাছা হইলে উহাদিগের ধাৰ্ব্বিঙ্ক ঙ্গ সম্পূর্ণভাপ্রাপ্ত হইত সন্মেং নাই। ও আদর্শ পুৰুষ শ্ৰীকৃষ্ণ স্থা , বীণ্ড বা শাকगिश् गब्राांनी-बांक्-* शूक्व नcङन । অপভ্যন্ত্রীত ও দম্পত পীতি ভিন্ন স্বজনপ্রীতির डिङद यांब्रs किडू चांtछ (s ) षांझांब्र बन s] স্থানীয়, তাহারাও অপ &ী গুর ভাগী। (২) ঘাহীরা tāiलेि छ जष८क जांशीटकब जहि छ ज१थक, वश्रां ভ্রাঙ্গ, ভগিনী প্রভৃতি, তাহারাও আমাদের প্রীsির श्रृंiछ। जष्णलॉजनिछट्टै इऍठक, चांब्र श्रांप्यूधौछिब्र সম্প্রসারণেই হউক, তাছাদের প্রতি গ্ৰীতি সচরাচর छन्रिाब्रां पंizक ॥ (e) uाईंक्लनं थौडिब्र जस्थंनlबन हद्दे८ठ থাকিলে, কুটুম্বাদি ও প্রতিবাসিগণ গ্ৰীতির পর চয়, हेही ॐौछिद्र नगर्शिक दिखांब्रकथनकांटण वणिब्रांछ् ि। ( e ) এমন অনেক ব্যক্তিত্ন সংসর্গে আমরা পড়িয়া पंiकि ८ष, ए5iशंब्र! चांषांटनब्र चखनश८षा नं*नौब्र नां हई८णe ठांशंरमब्र ७rनं बूक हड़ेब्र णांयब्रां छांशंtनब्ब थउि विtनव यौउिबूछ इझेब्र षांकि । यझे रुकूधौष्ठि उबरनक गभरद्र च sाख वशदडौ श्ध वाटरू ।

  • *#F5ब्रिब* नlष+ stइ यहै कथांछि रुखैशांन aइकब्र कर्बुरू गदिखांtव्र जांटलांछिङ श्ब्रांटल् ।

ግመ केमृन औडिख च्छ्नेनबीब ७ ४६कडे ष*। गांयजटछब्र गांषांब्रन बिब्रएयब्र बनंदउँौं इहैब्रां हैंशंत्र चइबै)णन कब्रिट्स । চতুৰ্ব্বিংশতিতম অধ্যায়। चरक्रवं-वॆछि । ७ङ्ग। चशनैणप्नब्र $एकछ, जषस्व बुखिलगिएक यूब्रिङ ७ न*ि*ड कब्रिब छैचंबबूदौ कब्र। हेशंद्र गांधन कर्णौब भटक केवtबांकि कई। ईश्वब जर्कडूड चां८छ्न, uछछ मृएख बग्रं९ श्रांज्रव< यौछिब्र णांषांब्र रुलग्न छैश्छि। जां★उिरू यौद्धिव्र ऐशहे यूण ॥ थरे মৌলিকতা দেখিতে পাইভেছ, ঈশ্বরোদিষ্ট কর্থের। णभख ख१९ cकन उषांननांब शङ छांलवांजिब ? देश ঈশ্বরোদিষ্ট কৰ্ম্ম বলিয়া। ফৰে যদি এমন কাজ দেখি cश. छांशंख छैचंcब्रांटेि, किरू ७ई बांग्रंडिक প্রীতির বিরোধী, তবে আমাদের কি কয় কর্তব্য ? वनेि छूई निकु बखांब्र ब ब्रांष बांद्र, उद्दष cकांनू निकू बवणशव कब्र कर्डतT ? विंशा । cन इटल वि5ांबू कब्र कर्डवा ॥ बिक्रां८ब्र cश शिकू उक्र इई८व, cगई कूि व्षवणचन कब्र रूखैवा । ७ङ्गम् । छzरु षांझ! वृशि, छांश सुनेिब्रां शिल्लांब्र করা,দম্পডিগ্ৰীতি-তত্ব বুঝাইবার সময়ে বুঝাইয়াছি যে, সমাজের বাহিরে মন্থয্যের কেবল পশুজীবন चो८ह थोब, जभो८छद्ध छिड८त्व छिप्न श्रृङ्करदाच्न प¥छौरान बाँहै। जयांप्जइ छिङाब्र छिइ ८कांब aयकांब्र भनन नोहे दलिटणe चङ्काङि रुद्र ना ॥ नषांजक्ररrण जयख अकृण्षाब्र शर्षक्ष्वरण, ७षर जमख भकूटबाङ्ग •जकल dवंख्jब्र बघलक्ष्वरन् । cडॉषांब्र कृांब्र इचिंचिकठररू কষ্ট পাইয়া এ কথাটা ৰোধ করি বুঝাইতে হইবে না। निशा ॥ ब्दिछटम्नांछन । यtछन्क्रीडि प्रहांच्चॅब cमळवं षांकिरण ७ जकल क्षि८ब्र यां★डि छैथंiनिष्ठ कब्रांज्ञ ठiब्र छैizब्र लिङांध । ७ङ्ग। यदि ठांशंई रुद्देण, शनिं नृशांज-भदश्रण ধৰ্ম্মধ্বংস এবং মন্থষের সমস্ত মঙ্গলের ধ্বংস, ভৰে সৰ ब्रांथिब्रां चां८णं जषांछ ब्रक्रां कब्रिटष्ठ हब ॥ ७ई छछ Herbert Spencer wflutton, The life of the social organism must, as an end, rank above the lives of its units, चं५ि আত্মরক্ষীয় জপেক্ষীe দেশরক্ষা শ্রেষ্ঠ" এবং এই জন্যই সহজ সৰল