পাতা:বঙ্গদর্শন নবপর্যায় পঞ্চম খণ্ড.djvu/৩৬৯

উইকিসংকলন থেকে
এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

- * t ॐ पिछात्डाल्क डिस्तिष्क .*शरक भिबांध । 鬱 • १ॉईबांटगञ्च विश्ञ श्रृंग्रैौक खे*हिछ, ীিকৈ কি বর দিৰে, নিজে তখনও সিন্ধিলাভ क८ब्ब नांहे । हेमांब्रांम्र शां८व्र पै|फ़ांहेब्रl স্বীকুলচিত্তে সিংহেশ্বরবাৰাকে স্বয়ণ করিল। *ांडूब, ७ बूझ्प्6 किङ्ग ७कफै बन्न जामाब স্বাগু, লছিলে-জামার মাহাত্ম্য লোপ পাৱ । মেৰাদিদেৰ সাধুত্ব রূপ ধরিয়া সেখানে जबर्डोर्ने इरेट्णन । काक्रवाण८क थिाहेब्र। क्रिणन <ष, छूणगौद्ध tाठी छूणिबा जौ८क पां७ङ्कांदेछ। cन । छेहरठ खेहांब्र छूणगौमांग *tcम शूज जकिरद ।***हे जाली कांब्र ക്ഷ =ബ - "ক্ষাল শুরু ক্ষতা । গুৰ,ইয়াস ফারাম চললে थांबाँषाचा । छायांबा ठून ठून % कीब्रचांन जां★ांश्च धूनी। जब कब्ररक গুৰ, কারাস কৰে সিংহেশ্বরবাবকে বুঝার ধাৰা সিহোর হামকে অব বর দেও হতে ভিছা মাজৰে লেইলি মারসে। * क्नि जात्रिन¢क वृनैौ चन वांद्र इंछेकी मोबरठ अँीड1cश वांद्र । লেখান হইতে কারুদাস আপনার ক্ষেত্রে গেণ এবং শুষ্ক গোস্কর সংগ্ৰহ করিয়া ধুনী ●यचड कब्रिण । उषन गिररश्चब्ररक बगिण,

    • i

f*幟1 वाब,'जानि उ वाडांब निको श्रेप्ड डिक जानिब्रांझि, ७ईयांच्च मांबांच्च बग्न ns, ८षन अग्नि विना भांबाब्र भूनौ जनिद्रां ॐd, जॉन आोमि रुब्रज्रण मणिप्णरे cबन भैोथ1 Gथञ्चठ रब ! उषांख ! उशिरे श्रेण, काँक्रशांप्नब তপস্ত ফলিয়া গেল । ' छद, धूनी जश्ब्र cनंन। ७ग, कांक्रमांग 参见 क़ुकी भाण जांभ, ठव कुछेकी भांप्लरक नां९ जैज cश c*ण তৰ, কারদাসকে ভেল পৰ্বতীত ।

  • श्चिकांपूब cनबन कब्रिञ्च कांक्रमांग fग९८श्वब्रवादाब्र मभिरद्र चठ:*ब्र आच्छा णहेण । चाब्र निरtश्रंब्रटक बूकाइब्रा वाणण c२, cन cगहे९iरन थांकिब्रl."बगांश बरब्रण"एक ঘাস ছিলিয়া খাওয়াইৰে । ঠাকুর সম্মত इहेरणन । बगिब्रां विष्णन cष, cखांब्रनि যোগিতপস্বীর বেশে ভিক্ষা করিও, রাত্রে जाबांब्र भङ्गनां*ङ्ग इहे७ ।।

গাজ পি কল্পকে কারাস বা করকে निरtश्वब्रवांबांक थाहांनcछब्रांcवशहकीं । सेत्र कtश् निरश्रद्रषांवरक बूकत्र dश् बषिः fगतिश्चन्ता श्श् शिष्ा ब्रझष वनाश वरङ्गजरक पैन भाफूरक क्जिाऐरक। তৰ,সিহেশ্বৱৰাৰ কৰে ফরিদাসকে বুখার निष्ठङ्ग (पोो छ•ीव्र cइ| कङ्ग छिध्रए। मोत्र • डेब ब्रांडrक शबॉब्रां भङ*प्न ब्रह्। ¥ीधैञ्चध्टम्न भक्षुमनोन्न।