পাতা:বঙ্গদর্শন নবপর্যায় পঞ্চম খণ্ড.djvu/৫৩২

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ग१था । ] छैiउणचणक करग्नकठैि कषों । (తి ) ক্ষেত गांशtत्रब्र बछ cय वखांनिक%झछिब्र, चर्थ गकिठ रईवप्र, ठहtब्र चां८इ aऋ* রন্থমোদিত একটি শিক্ষাগায়ের জাৰগুকতা अछाइ, खtहl cबtष हङ्ग 'cकहई अग्लो कोच्न कड़िtष्ठ wiब्रिtबन न । बड्ड, माणांज e श्रttबननशंtब्रब्र बिछाনয়ের অনুরূপ একটি আদর্শবিস্তালন্ধের অভাৰ সম্প্রতি বাংলাৰ বিশেষরূপে লক্ষিত श्ऎ८७८छ् । भाझाrबच्च बिछांणब्रछि नब्रकांद्रौ, भां८मनনগরের বিভালর স্তর দিনসা মাণিৰঞ্জি পেটটের স্থাপিত। বাঙালসরকার এ পর্য্যৰ aछन विचागब्रका”tनन्न चावछकउ बूकन नाहे, नचयंडि मारिकडेt८ब्रब्र नखण अथ5 cब्रांषকাৰিত কটাক্ষপাতের সম্মুখে ৰে শীঘ্ৰ তাহ दूक्रिड नॉब्रिप्रम, ठाश बटन श्इ ना । शबू भिननांब अङ वtनलहिटेडदौ षनौ महाजन আমাদের দেশে এখনো দেখা যাইতেছে না। शङब्राँ१ cवप्नम्र ७दे बह९ जडाँवtभां5ानब्र छाब्र बोडोब्ररूो७ोब्र८कहे जहेरउ श्हेएन। छाठौड़छां७tब्र बाeालिबाँ७िब्र चक्रब्रकोर्षि । ऐश पांज्ञा शक् ि(ऋतब्र प्रशाइtण रजनिtन्नब्र ५कठेि चावनंत्रिकtश्राद्र शनिद्ध इइ, डांश एश्रण देहाब्र छेप्कश गॉर्षक ७षः डाशब.कण नवअ डांब्रtड दिइड श्रेष्व, **९ नरेि । बांठौइछांeftब्र ८क्-श्रृंडिबॉ१ ८कांन पञांमर्थॐिक्रांब्र छाजिष्ठ हद्देष्ठ *ांरब्र কি না, তাহা এখনে ৰলিতে পারা যায় না । किस्त्र ८मएचब्र पनौ दकोछ महालङ्गभ१ ७ -बिप्ञ একটু দৃষ্টি করিলে ভাণ্ডারের অর্থের অভাৰ cष अफ्रैिग्नां९ cषांछिठ ह३tब, फांश पञानं। कब्री शांग्न ! জাতীয়ভাণ্ডারকর্তৃক স্থাপিত শিল্পবিষ্ঠালয়ের গঠনদিবিষয়ে আলোচনা চলিতেছে। বিশ্ববিদ্যালয়ের গঠনসম্পর্কে দেশের অগ্রণীগণ সকলে মিলিত হইয়. বেরূপ আলোচন দ্বার সিদ্ধান্তে উপনীত হইবার c5डे। कब्रिएउtश्न, छोडोब्रछा७टिङ्गब्र अtर्षग्न जद्यावहांtब्रम्ल 'জঙ্গও ভজপ अप्णिाक्लन। हरेछ। शिक्षास्त्र श्ख्नि ह७इ1°७९ाख २iहम्रौञ्च । cमालब्र बांश नरर्कब्र यड, छाशांब्र गषप्क cकांनब्रन फूणङ्गरय डांशद्र चनशवहाब्र श्हेप्ड (क्सङ्गा जफाउ अश्छुि एहेप्व, এবং তজ্জ্বল্প সমগ্র দেশৰালীকে পস্থিতপ্ত श्हेरठ श्रद ।। ७विश्रइ cष विप्नव गउर्कठाग्न थtब्राजम, ठांश बणारे बांहणा । इङब्रां९ जावर्णविछांद्वाrब्रब्र ●खांद जड *ाँiछब्रकम यचारवव्र गरुिङ ङीषttब्रब्र नवउभनकईक जाएगांछिठ शब, ऐशरे दाँझ्नौह । ஆஈ