পাতা:বাঙ্গালা ভাষার অভিধান (দ্বিতীয় সংস্করণ) দ্বিতীয় ভাগ.djvu/৬১৬

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ואזוהה कून शंरक अ1, कूल ब्रॉथिएल छाम थाहक नी अर्ष९ छोभट्क हाक्लिष्ठ इब्र। अकएिक छांटमब्र थांकई१ अठि धवन, नकtछtब्र कून कामिनौञ्च कूण ब्राथ! श्र°द्विश्ॉ६r]। यl० वा९ब्राँशेंॐ-बक्र रूझक । ब्रांर्थ७-बक्र করে। রার্থসি-রক্ষা করিস। রাখইब्राँधं ! *ब्रtथश् खाँ*न भ८ि१ !”-♚० कौ० ।। রাখিলো-রাখিলাম ; রাখিব { উ• भू-] भावि ब्राधिद। २ [य• भू-] ब्राषिt१ ।। *छt१ cठाँक ब्रॉथिबू ¢कॉ१ छन ।” -a- কী• । রাখিবাক - রাখার জঙ্ক। রার্থী,-রক্ষা করিয়া ; রাখিয়া । “খুন্নিধে। রাধী-ই কী ! [ব্ৰঙ্গ. রার্থক্ট, রাখৰ্ত, রাখয়ে-রাখে। “রাখই আমার իԵ ". *० ! *अt*! cमहे ब्रांथई।”ঐ। রাখমু, রাখালু-রাখিলাম। “লাখ जॉथ पूर्ण श्रिम श्रिध्न ब्राँथशू !”-दि• *० ।। ब्रांर्शद-ब्राषिद । “जौछे निकलव एव ब्रांवर কোই।” -ৰ প•। রাখবি - রাখৰি। রাখঙ্গ-রাখিল । क्वाथमैि[ब्राथ1(ज:) षाडूब निवड ब्रभ। ब्रांथारे, ब्राक्षांe (ब्राधान्, ब्राथांन), ब्राथछि (ब्रांथांम) ; ब्रtथाश्रठ ; ब्रांथाईग्र (cञ० ब्रांथांtग्न)] गि, ब्रांविष्ठ दां५; कब्र । জরণ ধারাখি { রাখা (আঃ) - রাখি (१ङ्गश्णवं ७ शृf४Itं विश्)] बॆि, विश्वं 4षttन 4कषाब्र ७थाrम ब्रtथीं । २ नहणद्र ब्लक कब्र ! कि, cभांब्रक्रक; cणीनांशक । "ब्राँथॉन १l:ग्र *ांग शट्ध्न श:ग्न मॉt#। १ि९-१ cपग्न भन मिछ ঙ্গিজ পাঠে।”-ম• মে' ত• । ~রজি:•ৰি, बैकूपः । *cवtब्रांtग्न ब्रांधftनग्न ब्रांछ वैमtनद्र भवन।”-आन। -जा-ि,ि cथनिवाब णtpविः । “fठf श्वघ्न: ब१ङ्गrठै| शूल!!! इts ছেলেজের চুৰীক্ষার্ট রাখাললাট লাt * * देिखुम्ल कब्रिग्न श्रोभोसििरक विक्रो हिस्रेम !” -शत्रौञ्च गकिङअॉठिब्र कै। ~जें★l, রাখাল নাড়, খৈয়াকে ধি,ইপ্রাণ cucumis colocynthis. ज्ञाथांलिग्नt tबाथांन+रेश ( 8+ . &ty?" cवा'ी)] दि१, ब्राथाइल्ब्र छ•बूढ़ । "cश्ब्रि ब्रj० छtद कङ एछाद अॉदिॐीब***० ४६ ।। জুলাখালী (রাখাল+ঈ (বৃত্তি অর্থে}} রি, রাখালের কৰ্ম্ম ; গোরক্ষা : গোপালম ; cश्tstब१। *वकं नििश श्रूमणश्tम चाशक्षितः। c*ाङ्गब्र ब्रॉ० कड्रेिष्ठ ।°-दाँत्रtजांब अधिीfअक हेठिइनि ! ज्ञाथि, ब्रांथैौ. ब्रिकौ >] दि, बकबकमरब । “भs cन cय गूठ ब्राथैौद्र ब्रांडl পুতে বাধন দিয়েছিনু হাতে।--রণী• । ~পূর্ণিমা-বি, প্রাণ মাগের পূর্ণমাতিধি, a३ f&थिtउ वैङ्ग्शन शूलिनबिl cश्च श्न & রক্ষাৰন্ধন করিতে হয়। ~বন্ধন সিং-রক্ষী >झंशौ (श्य) त्रिश्नं] बॆि, *नश्शङ्ख मङ्f१ ब्रभtर्ष अभिवष्क भाँअठjएक दकन ; ब्राँर्थी भूभाग्न छभिनौकर्दूक बाङ्श्प्स श्ब्रिजরঞ্জিত কুত্র বন্ধন । আলাখোয়া/ল হিন্] ধি, গোরক্ষক ; भूfर्थfल ! *अप्लेदौब्र श्रृंकौ कfन् व८क्षा ब्रांtथाब्रांज"-भश• (वांश्t१२)। २ ब्रमक। ~লি (রাখোয়াল +ই (কর্ণার্থে)] ধি, রক্ষাকাৰ্য্য। ২ রাখালের কৰ্ম্ম । 'দলাগ, ইংrug এর লিপ্যন্তর বি, cमांÉ1 कवज ।। *कfश्ttक किङ्क न वणिग्न একখানি রাগ, মুড়ি দিয়া পড়িয়া রহিল।” न्व"[* {बन्ल, (ब१ कब्र)+य (८१) ] ধি, রঞ্জন দ্রব্য। ২ রক্তবর্ণ ; রঞ্জিমা । ৩রও। “অধরে ধিক্রম স্থতি তাম্বুলের ब्रो’ छर्षि मोमोcु भनिक भcनष्ट्रौ ।” -कविक० ! *cष८छ्रह क८नांश ब्रtर्भ वशह दिङां★ ।* 8 अशृङ्गाँश ; ८थ१ । "ब्रांcत्र छणमर्थ थडू ८नश नडप्र१ । गt८फ़ बैंक्लिारैश पठ उछ११॥*-cर्भा३िम कछ5 ! ¢ बांब्र! ; cयाई ; नमठ ! *छ७ो कtब्र १७:भाण छूठ 8खङ्ग८२ब्र cद्रॉल ८कम श्tथ थांह ¢कांघ রাগে।"-জ ম.। ৬ বিষ্যশৃং ; বিষয়াসক্তি। ৭ [ৰেী• সাe । উপেক্ষার বিপরীত] चtनखि : काम ! ४° [न६-८ङ ८ब्रॉम जtर्थ ध० अ० किरू बां१-ब्र cब्रांव चcर्षश् ध5द्र । cब्रांनं अtर्ष न६ > हिं०-८ङ cदमव ‘ब्रांग्रं' (ौक्लt) শব্দের ব্যবহার (ংি শ৭ সাগর), বাং-য় তজপ মোৰ (অর্ধে) >রোধ > স্বাগ জালাও । चुल्लुको नडव]cबॉष ; cबाद ; cकां★ । ॐ दिबान, বিরক্তি । ১০ মাৎসর্ঘ্য হিংসা। ১৯ৰৈয়, नउठt ; बिtब्रांश । $२ cदष ! "cश्ञ cम९ Şiबिग्न cषनिश भाणभात्र । ब्रांt* बख इश्व झाँक्लिश शब्रिनभि1°-अ-भ०l $७ श्रटिशांन। ৯8 উৎসাহ ॥৯৫ রাজী । ৯৬ চঞ্জ। ১৭ चत्र : ८ष पञ्च cणाएकब्र ठेिखद्रश्चन क८ब [ब्रांश इ१ &कांब्र । खमाँग्न मcठ-मै (*ौष्ठ cणs), क्मष्ठ (दमtद्ध cुग्न), 'क्ष्म (यौरश्न ८मा) গুৈরত্ব (শরতে গেয়), মেঘ (বর্ষায় গেয়) ও নট নারায়ণ (হেমস্তে গেয়) । *ছত্রিশ রাগিী মেলে ছয় রাগ সদা খেলে অণুরগিবে এব ब्राीि।”-अ• मन् । छब्रठ ७ श्नूमग्राउ8छब्र६, भाक्षद८कांश, श्रिमांज, फैौ°क, बैँ ७ cभ६ । cनाँtभवब्र भद्दछ-2ङङ्गव, भांजर, मैं হিদোল,দীপক ও মেঘ। আর এক মতে-বসন্ত, বৃহন্নট, মল্লার, মালব, প্রদীপ ও কৌশিক। মতান্তরে-ভৈরব, কৌশিক, হিন্দোল, দীপক, झै e tभन्न ! अक्नु भtठ-:छझूद, भाँङाक्, अग्नित्र, ३ि:माjछ, ौिशृंक ७ cमद । अत्रौठ*ांटम्ल*धtडाक ब्रांtभन्न छ्ग्न इद्र ब्रां*ि१ी कब्रिठ श्ब्रां८झ् । 8छब्रवग्न-8ङब्रवैौ, बाँञांजौ, ४नकरौँ, स"एकलौ, प्लुी, ब्राम८की ! cम८षद्र-भल्लांद्रौ, cमोब्ररी, मांtब्रध्नौ, ८कोनिकौ, शाकाबौ, श्ब्रभूत्राब्र। ननांब्रांst*ब्र-कारमाथी, कशjtä, श्रांछिन्नैौ, शॉप्लेिक भाँव्रत्रौ ७ शत्रौग्न । ॐब्रांtजन-भांशधै, बि३१, cशोब्रेौ, ८कलांग्रेौ, मसूमाश्रौ, भाशफ़ौ । वनखब-cरने, cनदः किच्नौ, बद्रोप्ने, cठाऊँौ, शनििठl, श्८िमानौँ । পঞ্চমের-ৰিভাষ, ভূপালী, কর্ণাটী, ঘড়ংলিকা भांजरीौ७**मश्चद्रौ (खांब्र ठाकांक) । *वर्थपूछ रु८क; द! झ्ट्श्व ब्राम्रोनिक्कै निक्क्क म कब्रि ८७ cन छूय श्• कठकeणि वप्नब दांब्र श्रांtबांश्न, अषtब्रांश्१,यूहनl, रूणन,ठान, लद्र थङ्कठि cषांt* ८कदल श्द्र भूtर्थ ब्रां★ांद्रि श्रृंब्रिऽtब्रव्र नांश अjöt*ाँ । उबॉलॉ८° ब्रां★ब्रानिलैब श्ब्रकी मूर्डिंद्र अष९ श्राश्न ठांtशह बांच्चो मूहिंद्र यकॉन इद्र। ब्राशबार्जिनैcछ_cद एबहिब्र थेषामङ पृठे श लांब वांब दांनौ, cरु श्रृंद्र यांकौब्र मशक्रांबिरु कtब्र, छ। न६वांलौ 4ब५ cद नकल श्ब्र बरे सङद्र স্বরের অনুগমন করি প্রতিস্থখ সম্পাদন काब, छांब्र। स्नेछ्वांनैौ * * अष९ cव

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警 3, 4