পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টম খণ্ড.djvu/২৩৭

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खिइदकब्रण 't a৩৫ ] ख्रिशु९कब्रभाँ ई । कtव जाहे । बूनिन cनब्रिक अङ्गडि दिल्लकन किकि९नकभ१ डाशद्र अउिदार रुब्रिव्रा वtगन cर, जिबूरडब्र निच्प्फब्र : हांप्नद्र स१ अषिक, नमड यूरण cउमम ७१ मारे । ननड भूग यावशज कब्राप्ऊ अह्नरकहे छेनकाब नान मारे, उाशरठरे अनाश नैोकाहेब्राप्रु। बाबाम्ब्र भूल ७ बृष्णद्र इन ७ख्द्ररे «क नtव बिजौड इब्र, डांश श्रेरठ हांन वांझिब्र' जरे८ङ श्ब्र । त्रिकरफुग्न इन ७क aरूभोश् ि२ श्रेष्ठ s देवि गर्षास्त्र जदt ७द१ निकि देक् िश्हेरठ ७क ऐक गर्षाढ cमाझे इब्र, ठांश cर्शषष्ठ प्लेक्ब्रां मणांकाब्र रुउरुझेt cउब्रछ, भन्ए५, জাস্বাদ জয় কটু, টাটুকা হইলে বেশ সাগন্ধ থাকে। খেত t जिर्ण्डद्र निकtफ़ग्र इणि cनषिष्ठ भूगग्न ब ब्रङांड भूनब्र । झरु ৱিস্কৃতের পিঙ্গলবর্ধ। শ্বেত ত্রিবৃতের ছাল কৃষ্ণ অপেক্ষা * অনেকট পুঙ্ক ।’ এখন প্রধান প্রধান চিকিৎসকগণের মতে ইহার ও৭—বিলাতী জলাপের সমান ও রেউচিনি অপেক্ষা अश्रुि कार्याकोो । বৰ্ত্তনং বৃৎ ত্রিঃ তিস্রঃ বৃতো বক্স । (ত্রি) ২ দ্বিধা ত্রিগুণিত, যজ্ঞোপবীত ডিনবার ত্রিগুণিত করিয়া প্রস্তুত করিতে হয়, <ई छछ ऐशग्न भांभ बिशू९ ।।

  • কাপাসমুপৰীক্তং কাধি প্রস্তোন্ধবৃতং ত্রিবৃৎ ।” ( মচু ২৪৪ ) ‘ত্রিবৃদিতি ত্রিগুণং কৃত্বা উৰ্দ্ধবৃত্তং দক্ষিণাবৰ্ত্তিতং একচ্চ পৰ্ব্বত্র সম্বখ্যতে যদ্যপি গুণত্রয়মেৰোদ্ধং বৃতং মমুনোক্তং তথাপি তৎত্রিগুণীকৃত্য ত্রিগুণং কার্য্যং তদ্ভুক্তং ছন্দোগ

•ब्रिनिtटे-छेकंढ़ जिबूङ१ कार्षाश् ऊरुजङ्गमtथांबूठ१ ।। ত্রিস্তুতঞ্চোপবীতং স্তাত্তস্তৈকে গ্রন্থিয়িষ্যতে ॥’ ( কুক্‌ ক ) शनि९ भन्नु “जि९५९ कार्षा' छि७५ कब्रिएरु दशिग्नttझ्न । তথাপি ছন্দোগপরিশিষ্ট প্রভৃতির মতানুসারে তিনবার क्केि ७५ कब्रिब्रां कग्निcङ झ्हेंtरु । নির্বর্ততে বৃত ক্ষিপ। ৩ মিশ্রিত তেজ, জল ও অল্প । *ऊानां२ बिबूफ१ बिबूडtमहेककांश रूद्रबालि ” (इtरमांtशंit"नि") 8 डिसनिङ । झिउिष१ाङ्कनाभङिर्तडीएउ ठूङ कर्डब्रि ন্ধিপূ। • যজ্ঞ। ত্ৰিন্ত্রিবর্ততে ত্রিশস্বস্ত বাঙ্গার্থৰং। ৬ খ্রকৃ बिरलप्रद्र नद्रक । रेश कcपरमब्र नश्डि अकाद्र यूर्कबूथ श्रेष्ठ फे९णद्र श्ब्र। **ॉडबैौक क5रकब खिञ्जू९एखांम१ ब्रथढञ्च९ ।। चधिtडेमिक शब्ञानां९ निन्ईtब এখমাখাৎ ৷” (বিষ্ণুপু ১us৮) खिइड (जैौ ) जिडिब्रवडट्रैक्टूडि । जिदू९ । [ जिबू९८मथ । ] खिइ६कब्रन (ऊँगै) बिबूडांइ कब्र११ ४ड९ ।। съч, ми е जtब्रइ बाiचक्कब्र१, डिtनब्र ७शैकब्र१। किछि, जग ७ ८च्चथरे थ्वित्व विव, रेजिन इब्ररू चाक्षा, विच्ङ कब्रिब्रां अदृडाटकच. ७क श्वक जर्कtक शूनकाँग्न झऐलांरभं विडरू कबिा चैौन्न चर्रषासीउ अछ झरे भए६ ७क ७क खांशं ८षाजिएछ कब्रt । इशांरमांcशrां*निदान usऐब्रश्नं णिषेिष्ठ जांtइ-- “डांगां५ जिबूडcमदैककांश् रूब्रवनैिडि cनब्र१ जिवृउ** ( इोटमणांशा• ॐ* ७se) cनहै डिम cनवड1 अर्षीए cछछ* छण ७ पञइक्रश्नं ८न दडtजद्र रीजफूड जबाझ्ड चाकांक्शटल अष्ट अtवन कहिब्रा हेहारिश्रङ्ग मान्न क्रन् दाङ कब्रिरु, यद्दे अछि७याएझ गुमि कब्रिब्राcगरे cनवउॉजब्रप्स ७क ५रुtौएक जिदू९ रूब्रिरण ८षभन गबान नद्रियांt१ एजजग्न बांब्र! जिवृठ श्रेब्रा ब्रष्कू शक, cनरे छन् ८उछ, जल ७ अन्न ७ हेक्षालिtभन्न जिबू९कब्रण जानिरङ इहे८रु । किरु डिरनग्न श्रृथक् श्रृंर्थक् नाम श्हेब्राtइ, अर्था९ यहे cङअ, ५ाहे जण, ७रे अन्न देठriभि cडज eधझडिtरु दिएलय कब्र बांग्न । ठेउ cठज धफूठि cमवठांद्र ४ख ब्रt* षष्थांखा ोएशन्न मश्उि भढ:यिबिहे हहेङ्ग प्टेरुङ्गाज ग्नि छ अर्थ९ cनरुज्राদিগের পিওে অনুপ্রবেশপূৰ্ব্বক ইহার এই নাম এবং ইহার এই রূপ ইত্যাদি প্রকারে নাম রূপ ব্যক্ত করিয়াছেন, যেরূপে এই বহিঃস্থ পিগু হইতে তিন দেবতার ত্রিবৃৎকরণ হইয়াছে । দেবতাদিগের যে এই ত্রিবৃৎকরণ কথিত হইল, তাহার উদাহরণ এই রূপ । অগ্নির যে লোহিত রূপ দেখিণ্ডেছ, উহা উক্ত তেজের क्र" छानिएउ श्हेप्त । जै अभिप्ड ८य ७क्रमण झुट्टे श्ब्र, उाश्। स्रtणग्न ७ ग१ फ़ैश्t८ङ cय झकझन् अप्छ्,ि फाइ अtब्रग्न क्र' অর্থাৎ অত্রিবৃৎকৃত পৃথিবীরই ঐ কৃষ্ণ রূপ জানিতে হুইবে । তথাপি লোকে ঐ অগ্নিকে রূপঞ্জয় ব্যতিরিক্ত জ্ঞান করে; ইহাতে অগ্নির অয়িত্ব অপগভ হইয়াছে, পূৰ্ব্বে যে রূপএর विtवकदिखानबरन अभिबूकि झ्नि, ८ऊणः षां ब्रॉ cग३ अग्नि বুদ্ধি ও অগ্নি শব্দ অপগত হইয়াছে। রক্তোপধাসগংযুক্ত झठिकभनि &झ्न रुब्रिtण हेश गग्रब्रांश म१ि५३ क्लन् eवठौष्ठ श्ब्र । यथम द्देशद्र दक्र” ऎ*णकि इब्र, अर्ष९ ब्ररख्ञां★थान हेश छाम याज, उथन भांब्र नब्रज्ञान वणिद्रा छांन थांtफ मा, সেই রূপ যাবৎ অগ্নিতে পূৰ্ব্বোজ গুণত্রদের ধিবেক জ্ঞান না श्ङ्ग, डाष९ अश्चि दूकि ७ अघि भक थोएरु । श्थन झै क्रश्रणtब्रङ्ग गगाक् खान श्छ, उथन जान्न शृथक् वणिग्न जांन थारक न । पखिविक ७श विकाँग्न भांछ, ८करुण क्र*णब्रहे गडा । ब्रभणद्र राष्ठिरज्ञएक जांद्र किङ्करे नऊा नtर । जांनिध्णब cर cणारैिफ ब्रन इ* रक, खेश cडरजत्र छन? • फ्रेंकिब एंव ज्ञक्र" हुदै श्, मै अङ्ग ऋण बाणङ्ग, केहाव्र ८६